हरियाणा में बन रहा देश का सबसे बड़ा रावण : 100 फीट ऊंचे पुतले में 6 क्विंटल लोहा, 300 मीटर कपड़ा और 70 किलो रस्सी लगी, दस लाख आई लागत, एक माह का समय लगा

हरिभूमि न्यूज. बराड़ा ( अंबाला )
लिम्का बुक ऑफ रिकार्ड में अपना नाम दर्ज करवाने वाले श्रीराम लीला क्लब द्वारा 3 वर्षों के बाद एक बार फिर कस्बे में रावण के पुतले का दहन किया जाएगा। विश्व के सबसे 221 फुट ऊंचे रावण के पुतले का खिताब हासिल कर चुका श्रीराम लीला क्लब अबकी बार 100 फुट ऊंचे पुतले का दहन करने जा रहा है। क्लब के संस्थापक तेजेन्द्र चौहान के अनुसार कोरोना महामारी और मैदान की उपलब्धता न होने की वजह से अभी रावण के पुतले के दहन का कोई इरादा नहीं था लेकिन कस्बावासियों के दवाब के कारण उन्हें इस बार एक बार फिर रावण के पुतले के दहन का कार्यक्रम बनाया है।
उन्होंने बताया कि कस्बावासियों द्वारा बार-बार उन्हें दोबारा इस दशहरा महोत्सव कार्यक्रम को शुरू करने की अपील की जा रही है। कस्बावासियों का कहना है कि पिछले 3 वर्षों से दशहरा महोत्सव कार्यक्रम के न होने से क्षेत्र से रौनक गायब हो गई थी। इसी बात को ध्यान में रखते हुए श्रीराम लीला क्लब ने फिर से यह कार्यक्रम आयोजित करने का निर्णय लिया है। क्लब द्वारा 14 अक्टूबर को क्रेन की सहायता से 100 फुट ऊंचे रावण के पुतले को खड़ा किया जाएगा।
एक महीने से कारीगर लगे हैं तैयारी में
100 फीट ऊंचे रावण के पुतले को बनाने में कारीगर लगभग एक महीने से पसीना बहा रहे हैं। तेजेन्द्र चौहान के अनुसार यह पुतला 14 अक्तूबर को खड़ा कर दिया जाएगा। इस पुतले के पैर से घुटने तक की लंबाई 15 फीट रखी गई है जबकि घुटने से धड़ तक की लंबाई 40 फीट है। इसी प्रकार 15 फीट की लंबाई पुतले के चेहरे की गर्दन से लेकर माथे तक है। सिर के मुकुट से लेकर क्षत्र तक की लंबाई ही 30 मीटर है। चौहान ने बताया कि क्लब द्वारा अबकी बार 100 फुट ऊंचे पुतले का दहन करने का निर्णय लिया गया है। इस पुतले का रंग रूप 221 फुट ऊंचे पुतले जैसा ही होगा। पुतले के निर्माण में 24 फीट लंबे बांस के 300 पीस प्रयोग किए गए हैं। इनका वजन लगभग 15 क्विंटल है।
रिमोट कंट्रोल से ही किया जाएगा दहन
इसके अलावा पुतले को बनाने में 6 क्विंटल लोहा, कपड़ा 300 मीटर, 70 किलो रस्सी व सुतली, चेहरा बनाने के लिए फाइबर ग्लास 1 क्विंटल, मैट 250 मीटर का प्रयोग किया गया है। पुतले का कुल वजन लगभग 22 क्विंटल है। इसके अलावा रावण के इस पुतले में आतिशबाजी के इस्तेमाल के साथ-साथ इसका दहन रिमोट कंट्रोल से ही किया जाएगा। बनने वाले इस रावण के पुतले पर करीब 10 लाख रूपए खर्च आएगा। चौहान ने बताया कि 2018 में रावण के पुतले को पंचकूला लेकर जाना उनके दिल पर पत्थर रखने के सामान था, लेकिन सरकार व स्थानीय प्रशासन से सहयोग न मिलने के कारण उनको यह फैसला लेना पड़ा।
चौहान ने बताया कि वह पिछले कई वर्षों से कस्बे में दशहरा ग्राउंड की मांग करते आ रहे हैं। प्रशासन ने पिछले कई वर्षों से दशहरा आयोजन में अड़ंगा अड़ाने में कोई कसर नहीं छोड़ी। इसी के चलते उन्होंने वर्ष 2018 में दशहरा महोत्सव का आयोजन करने से तौबा कर ली। उन्होंने 2018 में पंचकूला तथा 2019 में धनास क्षेत्र 5 नंबर कॉलोनी चंडीगढ़ में रावण के पुतले का दहन किया था। जबकि वर्ष 2020 में कोरोना की वजह यह कार्यक्रम आयोजित नहीं किया जा सका।
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