Sex Ratio : पिछले साल आखिरी पायदान वाला जिला आज बेटियों को बचाने में पहुंचा दूसरे नंबर

हरिभूमि न्यूज, चरखी दादरी
सभी जिलों की लिंगानुपात स्थिति में पिछले साल अंतिम पायदान पर खड़ा चरखी दादरी जिला आज बेटियों को बचाने में दूसरे स्थान पर आ गया है। कन्या भ्रूण हत्या रोकने के लिए जिला प्रशासन, पुलिस, महिला एवं बाल विकास विभाग सहित स्वास्थ्य विभाग निरंतर प्रयासरत है। सिविल सर्जन डॉ. सुदर्शन पंवार ने नागरिक अस्पताल में आयोजित हुई पीएनडीटी एक्ट से संबधित बैठक में यह जानकारी दी। उन्होंने बताया कि उपायुक्त अमरजीत सिंह मान के मार्गदर्शन में दादरी जिला ने लिंगानुपात की स्थिति में बेहतर सुधार किया है।
गत वर्ष दादरी जिला में एक हजार लड़कों के अनुपात में 882 लड़कियां थी और यह 22 जिलों में आखिरी स्थान पर था। इस साल अप्रैल माह से निरंतर इसमें सुधार आ रहा है और अब 944.5 अनुपात के साथ दादरी दूसरे पायदान पर है। दादरी से पहले रोहतक में यह अनुपात 962 का है। अब यह कोशिश की जाएगी कि दादरी को पहले पायदान पर लाया जाए, जिसके लिए युवा शक्ति का सहयोग जरूरी है। बेटियों की रक्षा के लिए युवा दंपतियों को गर्भ में पल रहे शिशु को बचाए रखने का संकल्प लेना होगा।
सीएमओ ने बताया कि कन्या भ्रूण हत्या को रोकने के लिए आशा वर्कर, एएनएम, आंगनबाड़ी वर्कर तथा जागरूक नागरिकों ने पूरा सहयोग दिया। पीएनडीटी एक्ट और एमटीपी के नियमों की जिला में पूरी पालना की जा रही है।
सभी प्रसूता स्त्रियों को रिकार्ड किया जा रहा दर्ज
उन्होंने बताया कि संदिग्ध स्थानों पर छापामारी भी की गई है और जिला की सभी प्रसूता स्त्रियों का ब्यौरा रिकार्ड में दर्ज किया जा रहा है। समय-समय पर गर्भवती महिलाओं के स्वास्थ्य की जांच भी की जाती है। इस बैठक में निजी अस्पतालों में सीटी स्कैन, सीएसजी मशीन की स्वीकृति को लेकर विचार-विमर्श किया गया। जिला न्यायवादी आंनद कुमार जागलान ने सुझाव दिया कि शारीरिक जांच मशीनों के संचालन के लिए योग्य स्टाफ होना चाहिए और आवेदक किसी कानूनी कार्रवाई से नहीं घिरा होना चाहिए। कानून के मुताबिक ही किसी अस्पताल को संवदेनशील मशीनों को चलाने या रखने की स्वीकृति प्रदान की जा सकती है।
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