युद्ध भूमि को छोड़कर जन्मभूमि में पहुंचे, परिजनों ने अपने जिगर के टुकड़ों को देखा तो किसी ने किया तिलक तो किसी ने पहनाई पगड़ी

युद्ध भूमि को छोड़कर जन्मभूमि में पहुंचे, परिजनों ने अपने जिगर के टुकड़ों को देखा तो किसी ने किया तिलक तो किसी ने पहनाई पगड़ी
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हिसार रोड गणेश कॉलोनी निवासी 21 वर्षीय राधव मेहता पुत्र अशोक मेहता ने यूक्रेन से लेकर भारत तक आने में जो मुसीबतें सामने आई उनका खुलकर बखान किया। वही भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की मददगार नीति और फाइव स्टार जैसी सुविधाएं उपलब्ध कराने पर उनका कोटि-कोटि धन्यवाद किया।

हरिभूमि न्यूज : भूना (फतेहाबाद)

यूक्रेन में मेडिकल की पढ़ाई कर रहे चार विद्यार्थी युद्ध भूमि को छोड़कर जन्मभूमि में पहुंच गए हैं। जहां पर परिजनों के उन्हें देखा तो चेहरे खुशी से खिल गए। छात्र-छात्राओं के परिवार के लोगों ने अपने जिगर के टुकड़ों को सामने देखा तो कोई खुशी के आंसू बहाने लग गया और किसी ने चूमना शुरू कर दिया। घर पहुंचते ही किसी ने तिलक लगाकर स्वागत किया तो किसी ने पगड़ी एवं पटके मालाएं पहनाकर अपने बच्चों का मनोबल बढ़ाया।

हिसार रोड गणेश कॉलोनी निवासी 21 वर्षीय राधव मेहता पुत्र अशोक मेहता ने यूक्रेन से लेकर भारत तक आने में जो मुसीबतें सामने आई उनका खुलकर बखान किया। वही भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की मददगार नीति और फाइव स्टार जैसी सुविधाएं उपलब्ध कराने पर उनका कोटि-कोटि धन्यवाद किया।छात्र ने सिरसा लोकसभा के सांसद सुनीता दुग्गल का भी विशेष आभार व्यक्त किया जिन्होंने उनकी मदद के लिए व्यापक स्तर पर पैरवी की। छात्र ने भूना वासियों का हाथ जोड़कर अभिवादन किया कि उन्होंने जो दुआएं की उसकी बदौलत सुरक्षित भूना पहुंच पाया। यूक्रेन की लविव यूनिवर्सिटी में एमबीबीएस की लगातार पांच वर्षों से पढ़ाई कर रहा है। मगर रूस ने यूक्रेन पर किए गए हमले के बाद वहां का माहौल बहुत ही निराशाजनक एवं चिंताजनक बन चुका है। यूक्रेन में कई शहर बमबारी के कारण तहस- नहस गए हैं।

राधव मेहता ने बताया कि 25 फरवरी को यूनिवर्सिटी ने भारत में लौटने की इजाजत दी थी। जबकि पहले हर विद्यार्थी को डरा धमका कर रखा हुआ था। यूनिवर्सिटी की अनुमति मिलते ही वह अपनी दोस्त की गाड़ी से 794 किलोमीटर लविव से कीव पहुंचे। मगर कीव में बमबारी होने के कारण वह पोलैंड के सैयनी बॉर्डर पर पहुंच गए। सैयनी बॉर्डर से वह टैक्सी के द्वारा पोलैंड बॉर्डर पर जाने लगे तो उनसे 10 गुना किराया टैक्सी चालक ने वसूला। मगर उन्हें 10 किलोमीटर चलते ही बम ब्लास्ट का हवाला दे दिया और उन्हें टैक्सी नीचे उतार कर वापस चला गया। छात्र ने बताया कि उन्होंने 64 किलोमीटर पैदल चलकर पोलैंड बॉर्डर तक पहुंचना पड़ा। मगर लगातार 72 घंटों तक भूखे प्यासे जीरो माइनस डिग्री मौसम में भयंकर संकट से गुजरना पड़ा। जिस मंजर को याद करते है तो आज भी दिल कांप उठता है। छात्र ने बताया कि 1 मार्च को पोलैंड एयरपोर्ट पर एंट्री हो गई थी। मगर फ्लाइट नहीं मिलने के कारण देरी हुई है। परंतु पोलैंड बॉर्डर से लेकर घर तक भारत सरकार ने फाइव स्टार जैसी खाने पीने की सुविधाएं उपलब्ध करवाकर अपना नागरिक की रक्षा का दायित्व निभाया है। जिसको कभी नहीं भुलाया जा सकता।

खुशी के आंसू रोक नहीं पाया

यूक्रेन की लविव यूनिवर्सिटी में सेकंड वर्ष की छात्रा दृष्टि नारंग शनिवार की सुबह अपने वतन लौट आई है। जिसका घर में पहुंचने पर दादा रामलाल नारंग व दादी निलावंती नारंग ने अपनी पोती का जोरदार स्वागत किया। दादी पोती को देखते ही चूमने लग गई और दादा अपनी आंखों से खुशी के आंसू रोक नहीं पाया। छात्रा के पिता अनिल नारंग व माता रिया नारंग ने अपने जिगर के टुकड़े को काफी देर तक गले लगा कर रखा। दृष्टि नारंग को पगड़ी पहनाकर और फूल माला डालकर स्वागत किया गया। इस मौके पर परिवारिक सदस्यों के अतिरिक्त रिश्तेदार भी पहुंचे हुए थे।

संकट भरी हुई आपबीती बयान की

दृष्टि नारंग ने अपनी संकट भरी हुई आपबीती बयान की। छात्रा ने बताया कि यूक्रेन में फंसे भारतीय लोगों की मदद के लिए किसी भी सरकार ने कोई ठोस मदद नहीं की। बल्कि छात्र-छात्राएं अपने स्तर पर यातनाएं झेल कर विभिन्न बॉर्डर पर पहुंचे हैं। यूक्रेन में हो रही बमबारी से हर कोई भयभीत और सहमा हुआ था। छात्रा ने बताया कि लविव यूनिवर्सिटी ने पहले तो किसी भी विद्यार्थी को यूनिवर्सिटी छोड़ने की गाइडलाइन जारी नहीं की। लेकिन जब हालात बिगड़े तो राम भरोसे छोड़ दिया गया।

बॉर्डर पर भारतीय लोगों की पिटाई कर रहे

दृष्टि नारंग ने बताया कि 24 फरवरी को उन्होंने भारत आने के लिए टिकट बना ली थी। लेकिन जब वह ट्रेन के माध्यम से कीव जा रही थी तो रास्ते में बम ब्लास्ट हो गया। इसलिए उन्हें वापस यूनिवर्सिटी के हॉस्टल में जाना पड़ा। इसलिए दो दिनों तक इधर से उधर भटकना पड़ा। 26 फरवरी को वह पोलैंड टैक्सी के माध्यम से जा रही थी तो उनकी सहपाठी छात्राओं ने फोन करके बताया कि बॉर्डर पर भारतीय लोगों की पिटाई कर रहे हैं। फोन की सूचना के बाद वह 10 किलोमीटर पीछे ही टैक्सी से उतर कर खुले आसमान में सड़क पर बैठी रही। जहां पर भारी मात्रा में भारतीय एमबीबीएस की पढ़ाई करने गए छात्र-छात्राएं फंसे हुए थे। परंतु बैंकर संकट की परिस्थितियों से गुजर कर 1 मार्च को वह रोमानिया बॉर्डर पार करके एयरपोर्ट पर एंट्री कर गई। जहां रोमानिया से दुबई और फिर दिल्ली पहुंच है। वही गणेश कॉलोनी निवासी तनु बेनीवाल व गांव ढाणी सांचला निवासी सुरेश कुमार भी अपने घर सुरक्षित पहुंच गए हैं।


गणेश कॉलोनी निवासी राधव मेहता का स्वागत करते पिता अशोक मेहता व माता तथा बड़ा भाई।

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