नौकरी छोड़कर खेती को बनाया मुनाफे का कारोबार : लाल एवं पीली शिमला मिर्च की दिल्ली और लुधियाना तक हो रही सप्लाई, पढ़ें कैसे मिली कामयाबी

नौकरी छोड़कर खेती को बनाया मुनाफे का कारोबार : लाल एवं पीली शिमला मिर्च की दिल्ली और लुधियाना तक हो रही सप्लाई, पढ़ें कैसे मिली कामयाबी
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मात्र डेढ़ एकड़ जमीन के मालिक राधेश्याम टाक दस एकड़ जमीन के किसान जो परंपरागत खेती को अपनाए हुए हैं, उनके बराबर मात्र डेढ़ एकड़ जमीन में दोगनी कमाई कर रहा है। 5 वर्ष पहले आर्थिक तंगी की बदहाली से गुजर रहा टाक परिवार अब साधन संपन्न हो चुका है।

दलबीर सिंह : भूना

गांव नाढोड़ी के डेढ़ एकड़ जमीन के किसान एवं आईटीआई एवं प्रोटेक्निकल डिप्लोमा होल्डर राधेश्याम टाक ने संरक्षित खेती की बम्पर पैदावार लेकर दस से तीस लाख के बीच मुनाफा कमा रहा है। उसकी लाल व पीली रंग की शिमला मिर्च 100 से लेकर 300 रूपए प्रति किलो दिल्ली व लुधियाना की सब्जी मंडी में थोक भाव में बिक रही है। डिमांड अधिक हो जाने के कारण 300 से भी ऊपर भाव मिल जाता है, इसलिए मात्र डेढ़ एकड़ जमीन के मालिक राधेश्याम टाक दस एकड़ जमीन के किसान जो परंपरागत खेती को अपनाए हुए हैं, उनके बराबर मात्र डेढ़ एकड़ जमीन में दोगनी कमाई कर रहा है। 5 वर्ष पहले आर्थिक तंगी की बदहाली से गुजर रहा टाक परिवार अब साधन संपन्न हो चुका है। किसान की संरक्षित खेती में मेहनत से जो तरक्की की है उसकी नाढोड़ी गांव में चर्चा बनी हुई है।

गांव नाढोड़ी के किसान मनीराम टाक के बेटे 27 वर्षीय राधेश्याम टाक ने प्रोटेक्निकल व आईटीआई करने के बाद केमिशन इंडिया लिमिटेड कंपनी में बतौर इलेक्ट्रिकल विभाग में नौकरी पर लग गया था। घरेलू आर्थिक परिस्थितियां कमजोर होने के कारण कंपनी से पर्याप्त मात्रा में वेतन नहीं मिल रहा था, इसलिए उसने क्लार्ेस्कर कंपनी में काम किया, लेकिन अचानक राधेश्याम की माता का हृदय गति रुक जाने से देहांत होने के बाद वह परेशान हो गया। उसे अपनी डेढ़ एकड़ जमीन में परंपरागत खेती से भी लाभ नहीं मिल रहा था। एक दिन उसने बागवानी विभाग के अधिकारियों के सेमिनार में सब्जी उत्पादन को लेकर तकनीकी को समझ लिया। राधेश्याम टाक ने बागवानी विभाग से सब्सिडी पर दो नेट हाउस लगवाए, जिसमें उसने प्रथम फसल खीरा की लगाई, मगर उसमें कोई लाभ नहीं हुआ। वर्ष 2017 में शिमला मिर्च के पौधे लगाए तो उसमें हुए बंपर उत्पादन से राधेश्याम को भारी मुनाफा हुआ। वर्ष 2018 में लाल व पीली शिमला मिर्च की पौध कुरुक्षेत्र से खरीद कर लगाई तो प्रति एकड़ 100 क्विंटल से ज्यादा शिमला मिर्च की पैदा हुई, जिसे दिल्ली व लुधियाना बेचा गया। जहां पर 100 से लेकर 300 रूपए प्रति किलो के हिसाब से सब्जी मंडी में भाव मिला। हरे रंग की शिमला मिर्च को आसपास की स्थानीय मंडी में बेचा गया जहां पर 80 रूपए प्रति किलो का भाव मिला। प्रतिवर्ष लगभग राधेश्याम टाक मात्र डेढ़ एकड़ जमीन में बड़े स्तर पर आमदनी हो रही है।

पौधा लगने के 90 दिन बाद शिमला मिर्च की खेती हो जाती है तैयार

किसान राधेश्याम टाक ने बताया कि अगस्त महीने के प्रथम एवं द्वितीय सप्ताह में लाल, पीली शिमला मिर्च का बीज कुरुक्षेत्र कंपनी से लेकर आते हैं। जहां पर एक पौधा 6 रुपए का मिलता है और 2 रूपए ट्रांसपोर्ट एवं रोपित करने का खर्चा हो जाता है। एक एकड़ जमीन में लगभग दस पौधे रोपित किए जाते हैं। शिमला मिर्च का पौधा 35 दिन बाद फ्लावर एंड फ्रूट बनाना शुरू कर देता है और 90 दिन में कलर का माल तैयार हो जाता है। उन्होंने बताया कि नवंबर से लेकर मई तक लगातार शिमला मिर्च के पौधे पर फल लगते रहते हैं।

जैविक रासायनिक खाद पौधों में देकर चमक एवं साइज को बढ़ाया

किसान राधेश्याम टाक ने अपने नेट हाउस के पास जैविक रसायनिक खाद बनाने का यंत्र लगाया हुआ है, जिसमें देसी गाय का गोबर-मूत्र, दही, नारियल का पानी व केला इत्यादि का पानी में घोल बनाकर जैविक रसायनिक खाद तैयार कर रहा है। उपरोक्त खाद को शिमला मिर्च के पौधों में ड्रिप सिस्टम के माध्यम से पहुंचा रहा है। किसान ने बताया कि उपरोक्त जैविक रसायनिक खाद से शिमला मिर्च में किसी भी प्रकार की कोई बीमारी नहीं आती जबकि फल की चमक एवं आकार भी बड़ा हो जाता है, जिसका बाजार में भाव भी अधिक मिलता है। किसान राधेश्याम टाक ने पड़ोसी किसान से एक एकड़ जमीन अब 6 वर्ष के लिए पट्टे पर ली है और उसमें नेट हाउस लगवाया जा रहा है, जिसमें संरक्षित खेती का उत्पादन बढ़ाया जाएगा।

चौधरी चरण सिंह कृषि विश्वविद्यालय के वाइस चांसलर ने किसान राधेश्याम को किया सम्मानित

गांव नाढोड़ी के संरक्षित खेती के प्रगतिशील किसान राधे श्याम टाक की डेढ़ एकड़ जमीन में लाखों रुपए की पैदावार लेने की सूचना के बाद हिसार के ओम इंस्टिट्यूट में चौधरी चरण सिंह कृषि विश्वविद्यालय के वाइस चांसलर जेपी खोखर ने हाल ही में 23 दिसंबर को राधेश्याम टाक को विशेष अवार्ड देकर सम्मानित किया। खोखर ने किसान से संरक्षित खेती की टेक्नोलॉजी के बारे में भी विस्तार से जानकारी ली। किसान ने बताया कि घरौंडा, हिमाचल व वाराणसी में कई बार संरक्षित खेती के बारे में प्रशिक्षण ले चुके हैं।

लाल और पीले रंग की शिमला मिर्च सेहत के लिए बहुत ही फायदेमंद

बागवानी विभाग भूना के उपनिदेशक डॉ. सुभाष चन्द्र ने कहा कि लाल और पीले रंग की शिमला मिर्च सेहत के लिए बहुत ही फायदेमंद है। इसमें एंटीऑक्सीडेंट भरपूर मात्रा में पाए जाते हैं जिससे आप तनाव से बचे रहते हैं। धमनियों में रक्त संचार भी बेहतर तरीके से होता है। उन्होंने बताया कि जितनी भी कलरफुल सब्जियां होती हैं उनमें एंटीऑक्सीडेंट बहुत मात्रा में पाए जाते हैं जो हमारी सेहत के लिए बहुत ही फायदेमंद है। इसमें विटामिन ए, विटामिन सी, विटामिन के भरपूर मात्रा में पाए जाते हैं। घुटनों व जोड़ों में समस्या है तो शिमला मिर्च खाओ। इससे आर्थराइटिस की समस्या में भी लाभ पाया जा सकता है। इसमें कैलोरी नहीं होती है जिससे कि आपका खराब कोलेस्ट्रॉल नहीं बढ़ता है। नूडल्स, बर्गर, पनीर टिक्का, चिकन रोस्टैड इत्यादि कई तरह के व्यंजनों में इसका जमकर इस्तेमाल किया जाता है। चाऊमीन में तो इसकी खपत सबसे ज्यादा होती है।


भूना : जैविक रसायनिक खाद तैयार करने का यंत्र दिखाता किसान राधेश्याम टाक।



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