नाबालिग का अपहरण और दुष्कर्म के मामले में दो दोषियों को आजीवन कारावास की सजा

नारनौल। नाबालिग का अपहरण कर उसके साथ दुष्कर्म करने के मामले में स्पेशल कोर्ट/अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश फास्ट ट्रैक कोर्ट, पॉक्सो कोर्ट के न्यायाधीश अमनदीप दीवान ने दो आरोपित सतीश व अंकित को दोषी करार देते हुए कठोर कारावास की सजा सुनाई है व जुर्माना लगाया है। न्यायालय ने दोषी सतीश को धारा 120-बी आईपीसी के तहत 10 वर्ष, धारा 363 आईपीसी के तहत सात वर्ष, धारा 366-ए आईपीसी के तहत 10 वर्ष व धारा चार पॉक्सो एक्ट के तहत अंतिम सांस तक कठोर कारावास की सजा व एक लाख 30 हजार रुपये जुर्माना की सजा सुनाई है। न्यायालय ने दोषी अंकित को धारा 120-बी आईपीसी के तहत 10 वर्ष, धारा 363 आईपीसी के तहत सात वर्ष, धारा 366-ए आईपीसी के तहत 10 वर्ष व धारा 216 आईपीसी के तहत तीन वर्ष कठोर कारावास की सजा व एक लाख 30 हजार रुपये जुर्माना की सजा सुनाई है।
मामले के अनुसार सात सितंबर 2019 को नाबालिग पीड़िता के परिजन के ब्यान पर थाना कनीना में मामला दर्ज किया गया था। जिसमें आरोपित सतीश पर नाबालिग को बहला फुसलाकर अपने साथ ले जाने के आरोप थे। इस संबंध में थाना कनीना ने अविलंब अभियोग आईपीसी की धाराओं के तहत पंजीबद्ध किया था। नाबालिग को बरामद कर न्यायालय में उसके ब्यान करवाए गए। जिसमें उसके साथ दुष्कर्म करने के आरोप थे। मामले की जांच में पॉक्सो एक्ट की धारा जोड़ी गई थी। मामले की जांच में आरोपित अंकित की मामले में संलिप्ता पाई गई। मामले की सुनवाई अमनदीप दीवान स्पेशल कोर्ट/अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश फास्ट ट्रैक कोर्ट, पॉक्सो कोर्ट में हुई। न्यायालय में सुनवाई के दौरान उप जिला न्यायवादी भारत भूषण दहिया ने अभियोजन के पक्ष में प्रभावशाली पैरवी करते हुए न्यायाधीश के सम्मुख दलीलें पेश करते हुए आरोपितों को सजा दिलाने में भूमिका निभाई। सुनवाई के दौरान न्यायालय ने मामले को बहुत ही संगीन माना और जांच इकाई की उत्कृष्ट पैरवी व प्रॉसीक्यूशन की ओर से पेश की गई मजबूत दलीलों से दोषियों की सजा में कोई नरमी नहीं बरती।
पुलिस प्रवक्ता सुमित कुमार ने बताया कि मामले में पुलिस की ओर से बिना किसी विलंब के अभियोग अंकित किया गया। इसके बाद नाबालिग पीडि़ता के मजिस्ट्रेट के समक्ष ब्यान करवाए गए तथा जांच इकाई की ओर से महत्वपूर्ण साक्ष्यों का आंकलन कर अभियोग में प्रभावी कार्रवाई करते हुए आरोपितों को गिरफ्तार कर न्यायालय के सम्मुख पेश किया गया था। मामले की सुनवाई न्यायालय में हुई। जिसमें सुनवाई के दौरान उप जिला न्यायवादी भारत भूषण दहिया ने अभियोजन के पक्ष में प्रभावशाली पैरवी करते हुए न्यायाधीश के सम्मुख दलीलें पेश करते हुए आरोपितों को सजा दिलाने में भूमिका निभाई।
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