हरियाणा में 28 करोड़ का शराब घोटाला : जिला आबकारी उपायुक्त, उप जिला आबकारी उपायुक्त और एक्साइज इंस्पेक्टर सस्पेंड

हरियाणा में 28 करोड़ का शराब घोटाला : जिला आबकारी उपायुक्त, उप जिला आबकारी उपायुक्त और एक्साइज इंस्पेक्टर सस्पेंड
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बिना राजस्व ( एडीसनल ड्यूटी ) जमा कराए मुरथल के एल-13 के ठेकेदार को कोटा से पांच लाख पेटी ज्यादा शराब उठवा दी। मामला सामने आने पर उसका लाइसेंस सस्पेंड करके दोबारा से ठेकेदार की मिलीभगत से उसके ही साथियों को दूसरे नाम से जारी कर दिया गया।

हरिभूमि न्यूज : सोनीपत

ठेकेदारों से मिलीभगत करके आबकारी विभाग के अधिकारियों ने 28 करोड़ का शराब घोटाला कर दिया। बिना राजस्व ( एडीसनल ड्यूटी ) जमा कराए मुरथल के एल-13 के ठेकेदार को कोटा से पांच लाख पेटी ज्यादा शराब उठवा दी। मामला सामने आने पर उसका लाइसेंस सस्पेंड करके दोबारा से ठेकेदार की मिलीभगत से उसके ही साथियों को दूसरे नाम से जारी कर दिया गया। आबकारी विभाग के अधिकारियों ने इस घपले को दबाए रखा। मामला शासन के संज्ञान में आने पर डीईटीसी ( उप जिला आबकारी एवं कराधान आयुक्त ), एडीईटीसी और आबकारी निरीक्षक को सस्पेंड कर दिया गया है। इसके साथ ही शासन ने उच्च स्तरीय जांच कमेटी का गठन कर दिया है।

मुरथल में एक शराब ठेकेदार के नाम से एल-13 ( देशी शराब ) का ठेका दिया दिया गया था। ठेकेदार ने अपने निर्धारित लाइसेंस से ज्यादा शराब उठाना शुरू कर दिया। वह आबकारी विभाग के अधिकारियों से मिलकर एक्सस परमिट जारी कराए और पांच लाख पेटी ज्यादा शराब उठाकर बेच डाली। इस एक्सस परमिट वाली शराब का राजस्व ( एडीसनल ड्यूटी ) जमा नहीं कराया गया। आबकारी विभाग के अधिकारियों और ठेकेदार की मिलीभगत सामने आई तो आनन-फानन में लाइसेंस केंसिल कर दिया गया। अफसरों ने मिलीभगत करके ठेकेदार के साथी को ही उसके साथियों को ही दे दिया।

आबकारी विभाग के अधिकारियों व जिले के कुछ ठेकेदारों ने इसकी गोपनीय शिकायत शासन को भेज दी। शासन स्तर से प्रारंभिक जांच में 28 करोड़ के राजस्व ( एडीसनल ड्यूटी ) का घपला सामने आ गया। इसके चलते डीईटीसी नरेश कुमार, एडीईटीसी कश्मीर सिंह कांबोज और आबकारी निरीक्षक रामपाल सिंह को सस्पेंड कर दिया गया है। उनको पंचकुला मुख्यालय से संबद्ध करने के साथ ही जांच को शासन से उच्च स्तरीय कमेटी बना दी गई है।

अधिकारियों की लापरवाही

शराब ठेकेदार ने राजस्व ( एडीसनल ड्यूटी ) जमा कराए कराए बिना एक्सस परमिट जारी करा लिए। इसके चलते करीब 28 करोड़ रुपये का राजस्व बकाया है। अधिकारियों की इसमें लापरवाही रही है। हम ठेकेदार से राजस्व जमा कराने का प्रयास कर रहे हैं। इसके साथ ही किन हालात में एक्सस परमिट जारी किए गए और राजस्व क्यों नहीं वसूला गया, इसकी जांच की जा रही है। -अशोक कुमार, जांच अधिकारी, आबकारी विभाग।

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