स्कूल चले हम : एक साल बाद छोटे 'फूलों' से महके शिक्षा के मंदिर

स्कूल चले हम : एक साल बाद छोटे फूलों से महके शिक्षा के मंदिर
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इस बार निजी के साथ-साथ सरकारी स्कूलों में इन छोटे बच्चों को कोविड से बचाने के लिए विशेष प्रबंध किए गए थे। जो बच्चे मास्क नहीं पहने थे उन्हें मास्क भी स्कूल प्रबंधनों द्वारा उपलब्ध करवाए गए।

हरिभूमि न्यूज. जींद

एक साल बाद सरकारी स्कूलों और निजी के स्कूलों में सोमवार से पहली और दूसरी कक्षा के छात्र ऑफलाइन पढ़ाई के लिए स्कूल पहुंचे। इस बार निजी के साथ-साथ सरकारी स्कूलों में इन छोटे फूलों को कोविड से बचाने के लिए विशेष प्रबंध किए गए थे। शिक्षा विभाग के निर्देशानुसार ठीक 10 बजे बच्चों के स्कूल पहुंचने पर सबसे पहले अभिभावकों की सहमति पूछी गई और इसके बाद उनका टैम्प्रेचर जांचा गया। जो बच्चे मास्क नहीं पहने थे उन्हें मास्क भी स्कूल प्रबंधनों द्वारा उपलब्ध करवाए गए। फिर बच्चों के हाथों को सेनेटाइज्ड किया गया। इसके बाद ही उनकी कक्षाओं में एंट्री हुई। जींद ब्लॉक में प्रथम कक्षा में कुल 1763 बच्चों में से केवल 568 बच्चे ही पहुंचे जबकि दूसरी कक्षा के 1786 बच्चों में से 729 बच्चे ही स्कूल आए। अभी भी अभिभावकों में अपने बच्चों को स्कूल भेजने के लिए रूचि कम ही है। ऐसे में वो यह सैशन ऑनलाइन क्लास के माध्यम से ही पूरा करना चाह रहे हैं।

तीन घंटे ही बच्चों ने लगाई क्लास

पहली तथा दूसरी कक्षा के बच्चों ने सुबह 10 से डेढ़ बजे तक ही अपनी क्लास लगाई। ऑफलाइन पढ़ाई के लिए सभी प्राइमरी स्कूलों तथा निजी स्कूलों में पहले ही तैयारियां पूरी कर ली गई थी। क्लास रूम में साफ.-सफाई के अलावा सेनेटाइज्ड करवाया गया था। छोटे बच्चों को लेकर स्कूल प्रबंधनों को पहले से ज्यादा सतर्कता और सावधानी बरतने की जरूरत है। क्योंकि ये बच्चे न तो स्वयं अपने हाथ सेनेटाइज्ड कर सकते हैं और न ही पूरा दिन मास्क पहन सकते हैं। सरकार स्कूलों को खोल रही है वहीं दूसरी ओर अभी भी अभिभावक बच्चों को स्कूल भेजने के हक में नहीं है। हालांकि अधिकतर माता-पिता बच्चों को स्कूल भेजने के दौरान सहमति पत्र नहीं दे रहे।

खांसी, जुखाम, बुखार के लक्षण वालों को नहीं मिली एंट्री

सोमवार को स्कूलों में प्रवेश के दौरान बच्चों का टैम्प्रेचर जांचा गया और उसके बाद ही उनको स्कूल में प्रवेश दिया जाएगा। जिस बच्चे का तापमान 'यादा था या फिर उसमें खांसी, जुखाम, बुखार के लक्षण थे उन्हें स्कूल में प्रवेश नहीं दिया गया। वहीं जो बच्चे पढ़ाई के लिए स्कूल में नहीं आना चाहते हैं उनके ऑनलाइन पढ़ाई का विकल्प खुला रखा गया है। बच्चे ऑनलाइन और ऑफलाइन पढ़ाई कर सकेंगे। अभिभावकों का कहना है कि इतने महीनों तक बच्चे घर पर थे। अब स्कूल भेजने में डर लगता है।

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