122 दुपहिया वाहनों के फर्जी दस्तावेज तैयार कर कंपनी से लिया लोन, ऑडिट में सामने आई सच्चाई

हरिभूमि न्यूज : नारनौल
दुपहिया वाहन पर लोन देने में एक फर्जीवाड़ा सामने आया है। कंपनी की ओर से ऑडिट टीम ने जब जांच-पड़ताल की तो 122 दुपहिया वाहनों के दस्तावेजों को चिन्हित किया, जिनके दस्तावेज फर्जी मिले। इसमें कंपनी को करीब एक करोड़ से अधिक का नुकसान हुआ है। अब कंपनी के सीनियर प्रोडक्ट की शिकायत पर सतनाली पुलिस थाना ने छह नामजद के खिलाफ आईपीसी की धारा 120बी,420,467,468,491 के तहत केस दर्ज किया है। अब पुलिस मामले की जांच करेगी।
श्रीराम सिटी यूनियन फाइनेंस लि. में बतौर कार्यरत सीनियर प्रोडक्ट दीपक ने पुलिस को शिकायत दी है। उसने बताया कि श्रीराम सिटी यूनियन फाइनेंस लि. आरबीआई से मंजूरशुदा कंपनी है जोकि टू व्हीकल, एसएमई गोल्ड लोन, पर्सनल लो इत्यादि लोन जनता को उनकी जरूरत के अनुसार देने का काम करती है। इस कंपनी का रजि. मुख्यालय चैन्नई में है और हरियाणा का जनरल आफिस राजेंद्र नगर करनाल में है। आरोपित प्रदूमन एसएस मोटर्स टीवीएस कंपनी की एजेंसी का अधिकृत डीलर है। बिजनेश एशेसिएट रोहित है और फिल्ड इन्वेटीगेशन आफिसर रविंद्र कुमार है। सहायक प्रोडक्ट मैनेजर मोनू शर्मा वासी पालुवास भिवानी है। क्रेटि टीम में यशपाल व अवनीश है। आठ जुलाई को शिकायतकर्ता कंपनी की ऑडिट टीम के सदस्य सुनील कुमार ने ऑडिट किया था तो ऑडिट टीम ने आरोपित प्रदूमन के द्वारा बेचे गए वाहनों की शिकायतकर्ता कंपनी द्वारा ऑडिट किया तो ऑडिट टीम के सामने 15 ग्राहकों के लोन एग्रीमेंट आए। जिनमें केवल दो एग्रीमेंट को छोड़कर शेष 13 एग्रीमेंट के लोन के सभी दस्तावेज फर्जी है।
जैसे कि आईडी का प्रमाण, रिहायश का प्रमाण, डीलर इन्वाइस, बीमा के कागजात, बिल व केवाईसी इत्यादि। इन सभी झूठे व फर्जी दस्तावेजों को लगाकर लोन दिया गया। इनमें प्रदूमन ने मास्टर माइंड की भूमिका निभाई और आरोपित बिजनेश एसोसिएट व क्रेडिट टीम ने उनका साथ दिया। इसके बाद ऑडिट टीम की रिपोर्ट को देखकर डिविजन हैड दीपक के द्वारा आगे की जांच की गई तो कुल 122 दुपहिया वाहनों के झूठे व फर्जी लोन पाए गए। जिनकी जांच मौका पर जाकर की गई तो संंबंधित लोनी व्यक्ति कोई नहीं मिला तथा ना ही उनकी रिहायश से संबंधित प्रमाण मिला। सबके सब दस्तावेत आईडी का प्रमाण, रिहायश का प्रमाण, डीलर इन्वाइस, बीमा के कागजात, बिल व केवाईसी के साथ छेड़छाड़ व कंटिंग करके साजिश के तहत नकली तैयार करके कंपनी के पास भेजे गए थे। इन 122 दुपहिया वाहनों के लोन का कोई भी बैंकिंग रिकार्ड नहीं पाया गया। ग्राहकों की बैंक एकाउंट रिकार्ड डिटेल भी आरोपितों ने शिकायतकर्ता कंपनी को दे रखी है, वे सभी झूठे, फर्जी पाई गई तथा बैंक के द्वारा वे रद्द कर दी गई।
सीनियर प्रोडक्ट मैनेजर दीपक द्वारा की गई जांच में 122 दुपहिया वाहनों के लोन एग्रीमेंट, केवाईसी भी फर्जी पाए गए। सभी एग्रीमेंट माह की आखिरी तारीख तक साजिश के तहत मंजूर कर दिए गए और इनके इनवाइस मॉडल के हिसाब से लगभग एक समान है। सभी इनवाइस नंबर लगभग एक ही क्रम में है और आरोपित ने 96 फ्राड लोन के ईएमआई कंपनी को अपने पर्सनल एकाउंट से डिजिटल ट्रांजेक्शन कंपनी की निर्धारित तारीख से पहले ही कर दी गई ताकि कंपनी को फ्राड का पता ना चल सके। ये सभी ईएमआई ग्राहकों के एकाउंट की मार्फत आनी चाहिए थी लेकिन कोई ग्राहक ना होने की वजह से आरोपित ने अपने पर्सनल एकाउंट से किश्तों का भुगतान करता रहा। यह सभी बातें सिद्ध करती है कि आरोपितों ने आपस में साजबास होकर फर्जी दस्तावेजों को सही बताकर धांधली, फर्जीवाड़ा व गबन करके कंपनी को करीग एक करोड़ रुपये का भारी आर्थिक नुकसान पहुंचाया है। आरोपितों ने आपस में साजबाज होकर साजिश रचकर फर्जी लोन दिखाकर कंपनी के साथ धोखाधड़ी की है।
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