LUVAS के वैज्ञानिकों को पशुओं में गलघोटू का मौके पर जांच लिए मिला पेटेंट

LUVAS के वैज्ञानिकों को पशुओं में गलघोटू का मौके पर जांच लिए मिला पेटेंट
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गलघोटू एक ऐसी बीमारी होती है जो भैंसो में तीव्र और घातक मृत्यु दर के लिए जिम्मेदार होती है। यह परीक्षण 30 सेकेंड के भीतर गलघोटू का मौके पर परीक्षण और जांच करता है।

Hisar News : केन्द्र सरकार ने हिसार स्थित लाला लाजपत राय पशु-चिकित्सा एवं पशु-विज्ञान विश्वविद्यालय (Lala Lajpat Rai University of Veterinary and Animal Sciences) के पशु चिकित्सा विज्ञान कॉलेज के पशु चिकित्सा सूक्ष्म जीव विज्ञान के वैज्ञानिकों को पशुओं में गलघोटू का मौके पर जांच की तकनीक विकसित करने के लिए 20 साल का पेटेंट प्रदान किया है।

पशु चिकित्सा सूक्ष्म जीव विज्ञान विभाग के डॉ. पंकज कुमार व डॉ. अरविंद कुमार की टीम ने पशुओं में गलघोटू में शोध 2014 में संपन्न किया था। यह शोध डॉ. पंकज द्वारा अपनी पीएचडी के शोध के तहत किया गया। शोध के पीछे की अवधारणा मवेशियों और भैंसों में मौके पर ही गलघोटू करने वाले रोगजनकों की जांच और निदान परीक्षण विकसित करना था। गलघोटू एक ऐसी बीमारी होती है जो भैंसो में तीव्र और घातक मृत्यु दर के लिए जिम्मेदार होती है। यह परीक्षण 30 सेकेंड के भीतर गलघोटू का मौके पर परीक्षण और जांच करता है। पेटेंट 20 मार्च 2015 में फाइल किया गया था। इसके बाद पेटेंट कार्यालय ने शोध को परखा तथा करीब आठ साल बाद अब पेटेंट अवार्ड दिया गया। अब उस रिसर्च की विधि को कोई इस्तेमाल करता है तो उसे लुवास के वैज्ञानिकों से अनुमति लेनी होगी।

लुवास के कुलपति प्रो. (डॉ.) विनोद कुमार वर्मा ने गलघोंटू की जांच में हुई उन्नति की सराहना की और उम्मीद जताई कि इस जांच से पशुओं में गलघोटू रोग को खत्म करने में सफलता मिलेगी। रजिस्ट्रार डॉ. एस एस ढाका और अधिष्ठाता, पशु चिकित्सा विज्ञान कॉलेज डॉ. गुलशन नारंग व विभागाध्यक्ष सूक्ष्म जीव विज्ञान डॉ राजेश ने इस उपलब्धि के लिए डॉ. पंकज कुमार और डॉ. अरविंद कुमार को बधाई दी।

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