कैप्टन व कोच में सामंजस्य बनाया, सीएम से 'मनोहर' निष्ठा का डॉ. बनवारी लाल ने इनाम पाया

नरेन्द्र वत्स. रेवाड़ी। एक तरफ राजनीतिक गुरू के रूप में केंद्रीय मंत्री राव इंद्रजीत सिंह, तो दूसरी तरफ सरकार के मुखिया मनोहरलाल। राजनीतिक रूप से राव और मनोहर के बीच छत्तीस का आंकड़ा। इसके बावजूद दोनों के बीच राजनीतिक सामंजस्य बनाकर चलने की कला 7 साल के दौरान दोनों में से किसी एक से दूरी बनाने की भूल नहीं की। इसी कला के चलते प्रदेश के कैबिनेट मिनिस्टर डा. बनवारीलाल को मनोहर इनाम के रूप में सहकारिता के साथ जनस्वास्थ्य अभियांत्रिकी विभाग और मिल गया है। इससे डा. बनवारी लाल की राजनीतिक कद भी बढ़ना स्वाभाविक है।
वर्ष 2014 के विधानसभा चुनावों में राव इंद्रजीत सिंह ने बावल हलके से भाजपा की टिकट डा. बनवारीलाल को दिलाने में बड़ी भूमिका अदा की थी। डा. बनवारीलाल राव को अपना राजनीतिक गुरू मानते हैं। भाजपा पार्ट-1 में बनवारीलाल को राज्य मंत्री बनवाने में ही राव की भूमिका रही थी। राव और सीएम मनोहरलाल के बीच राजनीतिक पटरी पहले कार्यकाल में ही नहीं बैठ पाई थी। भाजपा सरकार के दूसरे कार्यकाल कई मौकों पर मनोहरलाल राव के निशाने पर रहे। दोनों के बीच एक ही पाटी में रहने के बावजूद राजनीतिक मतभेद आज तक दूर नहीं हो पाए हैं। इसके बावजूद डा. बनवारीलाल सीएम मनोहरलाल के साथ मधुर संबंध बनाकर चलते रहे। राव और सीएम के बीच राजनीतिक खटास उनके लिए पूरी तरह बेअसर बनी रही। हालांकि एक मौके पर सीएम से अधिक नजदीकियों के साथ राव की बनवारीलाल से दूरी बनाने की चर्चाओं ने भी जोर पकड़ लिया था, परंतु बाद में सब कुछ सामान्य हो गया। सहज स्वाभाव के डा. बनवारीलाल की मंत्री के रूप में कार्यकुशलता को देखते हुए ही सीएम ने उन्हें एक और विभाग थमाकर कर्त्तव्यपरायणता का पुरस्कार दिया है।
बावल में विकास के दम पर बनाई पकड़
इसमें कोई संदेह नहीं है कि डा. बनवारीलाल ने बावल हलके में विकास के नए आयाम स्थापित करने में कोई कसर नहीं छोड़ी है। बावल में बस स्टैंड से लेकर लघु सचिवालय के निर्माण सहित कई परियोजनाओं को उन्होंने सिरे चढ़ाया है। विकास के मामले में विरोधी भी उनकी सराहना करने में कंजूसी नहीं बरतते। पूर्व मंत्री शकुंतला भगवाडि़या के बाद मजबूत पकड़ बनाने के मामले में उन्होंने अपने विरोधियों को काफी पीछे छोड़ दिया है। उनके पास जनस्वास्थ्य विभाग आने से बावल हलके में ही नहीं, बल्कि जिले में भी पेयजल परियोजनाओं के विकास को गति मिल सकेगी।
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