Mahendragarh : 10वीं व 12वीं के विद्यार्थियों को स्कूल बदलने का बताना होगा वैध कारण

- हरियाणा विद्यालय शिक्षा बोर्ड की ओर से विद्यालय बदलने को लेकर जारी किए नए आदेश
- शिक्षक संगठनों का कहना है कि बोर्ड ने निजी स्कूलों को लाभ पहुंचाने के लिए जारी किए नए आदेश
- हरियाणा विद्यालय शिक्षा बोर्ड से संबद्ध स्कूलों सभी स्कूलों पर बोर्ड के यह आदेश होंगे लागू
Mahendragarh : 10वीं और 12वीं कक्षा में स्कूल बदलने का मन बनाए बैठे विद्यार्थियों को शिक्षा विभाग ने नए आदेशों ने झटका दिया। अब 10सवीं व 12वीं कक्षा में विद्यालय बदलने वाले विद्यार्थियों को वैध कारण बताना होगा तथा इसके लिए अलग-अलग कारणों के लिए एक से तीन हजार रुपए तक की फीस का भी भुगतान करना होगा। बोर्ड का तर्क है कि 9वीं, 10वीं तथा 11वीं व 12वीं की पढ़ाई एकीकृत पाठ्यक्रम के तहत होती है।
विशेषज्ञों का कहना है कि जब एक ही बोर्ड से संबंद्ध स्कूल विद्यार्थी को अन्य विद्यालय में किसी छात्र को जाना है तो उसमें बोर्ड को कोई परेशानी नहीं होनी चाहिए। बोर्ड के नए आदेशों से अप्रत्यक्ष रूप से निजी विद्यालयों को लाभ पहुंचाने की कोशिश की जा रही है। वहीं नए आदेशों के चलते दूसरे राज्यों के विद्यार्थी भी हमारे यहां पर दाखिला कराने से हिचकेंगे। बता दें कि हरियाणा विद्यालय शिक्षा बोर्ड की ओर से हाल ही में कक्षा 10वीं और 12वीं के विद्यार्थियों के लिए स्कूल बदलने के संबंध में नए आदेश जारी किए हैं।
इन कारणों का देना होगा जवाब:
हरियाणा विद्यालय शिक्षा बोर्ड से विद्यालय परिवर्तन के संबंध में आठ ठोस कारण निर्धारित किए गए हैं, जिसके अनुसार विद्यार्थी के माता-पिता का दूसरी जगह स्थानांतरण होने पर, परिवार के दूसरे जगह शिफ्ट करने, होस्टल में शिफ्ट करने, फेल होने या परीक्षा से वंचित होने पर पुन: दाखिला, बेहतर शिक्षा, विद्यालय की अधिक दूरी, स्वास्थ्य संबंधी कारण शामिल हैं। इसके अलावा विद्यार्थियों को एक से तीन हजार रुपए की फीस भी जमा करानी होगी। 10वीं व 12वीं कक्षा में विद्यालय बदलनेे की स्थिति में एक माह के अंदर विद्यालय को बोर्ड को सूचना देनी होगी। हरियाणा विद्यालय शिक्षा बोर्ड से संबद्ध स्कूलों सभी स्कूलों पर बोर्ड के यह आदेश लागू होंगे।
बोर्ड का फैसला गलत
हरियाणा विद्यालय अध्यापक संघ के जिला उपप्रधान महेश यादव का कहना है कि बोर्ड का यह फैसला बिल्कुल गलत है। कहीं न कहीं बोर्ड ने निजी स्कूलों को लाभ पहुंचाने के लिए यह नियम लागू किया है। इससे सरकारी स्कूलों की छात्र संख्या पर भी विपरित प्रभाव पडे़ेगा। इस प्रकार अभिभावकों पर स्कूल बदलने की स्थिति पर फीस भरने का दवाब डालना बिल्कुल गलत है। इस फैसले को वापस लेने के लिए बोर्ड के अधिकारियों से मुलाकात की जाएगी।
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