Mahendragarh : बाजरे के सिट्टों पर हरे कीड़े का हमला, किसानों को 60 फीसदी पैदावार का झेलना पड़ेगा नुकसान

Mahendragarh : बाजरे के सिट्टों पर हरे कीड़े का हमला, किसानों को 60 फीसदी पैदावार का झेलना पड़ेगा नुकसान
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  • बाजारे में कीड़ा मारने की कारगर दवाई और स्प्रे करने की मशीन नहीं उपलब्ध
  • विभागीय अधिकारियों को भी मशीन सप्लाई का इंतजार

Mahendragarh : बाजरे की फसल पकने के कगार पर है, लेकिन इससे पहले ही फसल के सिट्टों पर हरे कीड़ाें ने हमला बोल दिया। बीते 15 दिनों में करीब 60 फीसदी पैदावार खत्म हो गई। अभी नुकसान रूका नहीं, बचाओ के लिए प्रशासन व सरकार को तुरंत प्रभाव से किसानों को दवाइयां मुहैया करवानी चाहिए। उक्त विचार रिटायर्ड आईएएस विनय यादव ने धोलेड़ा में किसानों के समक्ष रखे।

उन्होंने कहा कि दक्षिण हरियाणा में अधिकतर गांव नहरों से अटेच नहीं है। कृषि बोरवेलों में भूजलस्रोत सूख गया है, जिसके कारण किसानों की फसल बारिश पर निर्भर है। खरीफ सीजन में बाजरा, कपास, ग्वार की प्रमुख फसलें होती है। नांगल चौधरी हलके में 40 हजार एकड़ से अधिक रकबे पर बाजरे की फसल उगाई गई थी। अगस्त के अंतिम महीने तक फसल पकने की संभावना है। सिट्टों में बाजरा भरना आरंभ हो गया, लेकिन इसी दौरान सिट्टों पर हरे कीड़ों ने धावा बोल दिया। एक सिट्टे पर 8 से10 कीड़े हैं, जो चंद घंटों में कच्चे अनाज को खा जाते हैं। अधिकतर खेतों में 50 से 60 फीसदी नुकसान हो चुका है और अभी भी कीड़े का कहर खत्म नहीं हुआ। सरकार ने जल्द ही दवाई व स्प्रे सिस्टम का प्रबंध नहीं किया तो पूरी फसल नष्ट हो सकती है। धोलेड़ा, नोलायजा, कालबा, भुंगारका, मेघोत हाला, मेघोत बींजा, नायन, थनवास, रायमलिपुर, नांगल दुर्गू, कोरियावास, हसनपुर, बसीरपुर, गोद, बलाह समेत 45 गांवों की फसलों का निरीक्षण किया। इस दौरान किसानों ने बताया कि कीड़ा मारने के लिए बाजार से दवाई खरीद रहे है, लेकिन यह दवाई असरकारक नहीं, जिस कारण कीड़ा अभी भी सक्रिय बना हुआ है। परेशान किसानों ने विभागीय अधिकारियों को कीड़े दिखाकर समस्या से अवगत करवा दिया। बावजूद अभी तक स्थिति भयावह बनी हुई है।

मुख्यमंत्री व कृषिमंत्री को लिखेंगे शिकायत पत्र

रिटायर्ड आईएएस विनय यादव ने बताया कि किसानों को बाजरे की फसल से ही खाद्यान अनाज तथा पशुओं के लिए चारा उपलब्ध होता है। अब तैयार फसल पर कीड़े का प्रकोप होने से किसानों की उम्मीदों पर पानी फिर गया है। नुकसान की भरपाई के लिए फसलों की विशेष गिरदावरी करानी जरूरी है। इसके लिए मुख्यमंत्री व कृषिमंत्री को शिकायत पत्र भेजा जाएगा।

चर्म व फुंसी रोग से पीड़ित होने लगे किसान

किसानों ने बताया कि विभागीय निर्देशों के अनुसार खेतों में दवाई का स्प्रे कर रहे हैं। इस दौरान किसान के हाथ व अन्य शारीरिक अंग कीड़े से टच होते हैं। टच होते ही शरीर पर खुजली व फुंसी की समस्या होने लगती है। घास के साथ पशुओं के पेट में भी कीड़े जाने का खतरा बढ़ गया है, जिससे पशु को जानलेवा खतरा तथा दूध जहरीला होने की आशंका बढ़ गई है।

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