Mahendragarh-Narnaul News : शहीद मेजर सतीश दहिया कॉलेज में नए कैंपस का बजट स्वीकृत, कोर्ट केस से निर्माण प्रक्रिया अटकी

Mahendragarh-Narnaul News : शहीद मेजर सतीश दहिया कॉलेज में नए कैंपस का बजट स्वीकृत, कोर्ट केस से निर्माण प्रक्रिया अटकी
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केस सुप्रीम कोर्ट में लंबित होने के कारण निर्माण की प्रक्रिया अटकी हुई है। ऐसे में कॉलेज के 1500 विद्यार्थियों को पढ़ाई करने में असुविधा झेलनी पड़ सकती है।

Mahendragarh-Narnaul News : शहीद मेजर सतीश दहिया कॉलेज में आर्ट-कॉमर्स संकाय (Arts-Commerce stream) का नया कैंपस स्वीकृत हो गया है। एस्टिमेट के अनुसार उच्चतर शिक्षा निदेशालय (Directorate of Higher Education) ने कॉलेज को बजट भी मुहैया करवा दिया तथा जल्द काम शुरू कराने के निर्देश दिए हैं, लेकिन निर्धारित जमीन पर एक स्थानीय युवक ने मालिकाना हक जता दिया। केस सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) में लंबित होने के कारण निर्माण की प्रक्रिया अटकी हुई है। ऐसे में कॉलेज के 1500 विद्यार्थियों (Students) को पढ़ाई करने में असुविधा झेलनी पड़ सकती है।

गौरतलब है कि नांगल चौधरी के शहीद मेजर सतीश दहिया कॉलेज में 400 सीट आर्ट, 80 कामर्स तथा 80 दाखिले विज्ञान संकाय के स्वीकृत है। सरकारीकरण करने के बाद कॉलेज में आर्ट, कॉमर्स तथा साइंस के अलग-अलग कैंपस निर्माण की घोषणा की गई थी, लेकिन उस दौरान बजट में भवन निर्माण के लिए पैसों का प्रबंध नहीं किया गया था। जिस कारण कॉलेज को आधुनिक सुविधाओं से लैस भवन उपलब्ध नहीं हो पाया। इधर करीब 45 साल पहले निर्मित भवनों में कक्षाएं लगती रही हैं। रिपेयर नहीं होने के कारण अधिकतर कमरों की दीवार में दरार और छत का प्लास्टर गिरना शुरू होने पर विद्यार्थियों को जानलेवा खतरा उत्पन्न हो गया था। तत्कालीन प्राचार्य के आग्रह पर 2015 में पीडब्ल्यूडी विभाग ने भवनों का अवलोकन किया था। संतुष्टी नहीं होने पर पुरानी बिल्डिंग को कंडम करार दिया। रिपोर्ट के आधार पर डीएचई द्वारा कंडम भवनों को गिराने की मंजूरी दी गई थी, लेकिन कॉलेज प्रशासन को बजट मुहैया नहीं करवाया, केवल मलबे की कीमत से ही भवनों को कंज्यूम करवाने की हिदायत दी थी। इन शर्तों पर कोई भी ठेकेदार काम करने को तैयार नहीं हुआ। इसके बाद दो साल पहले कॉलेज प्रशासन ने टेंडर प्रक्रिया से भवनों को डिमोलिस करवा दिया। अथक प्रयासों के बाद कैंपस का नक्शा तथा बजट भी स्वीकृत हो गया है। कॉलेज प्रशासन ने निर्माण की रूपरेखा बनाई थी, इसी दौरान एक स्थानीय युवक ने सुप्रीम कोर्ट में केस दायर करके जमीन पर मालिकाना हक जताया। जिस कारण निर्माण शुरू करने की प्रक्रिया अटक गई है। अगले महीने नया शैक्षणिक सत्र शुरू हो जाएगा, कक्षाएं लगने पर विद्यार्थियों को बैठाने के लिए कमरे उपलब्ध नहीं। ऐसे में विद्यार्थी व कॉलेज प्रशासन को परेशानी झेलनी पड़ेगी।

320 सीटों की हो चुकी कटौती, कैंपस निर्माण के आश्वासन पर हुई थी बहाल

सितंबर 2016 में यूनिवर्सिटी की ओर से कॉलेज का निरीक्षण किया गया था। टीम को भवन व अन्य सुविधाओं में खामियां नजर आई थी। जिसके आधार पर आर्ट संकाय की 320 सीटें कम कर दी थी। उस दौरान कालेज प्रशासन की ओर से जून 2017 के शैक्षणिक सत्र तक नया कैंपस बनाने का आश्वासन दिया था। जिसके आधार पर सीटें बहाल हुई हैं, लेकिन अब निर्माण की प्रक्रिया अटकने के कारण दुबारा सीटों में कटौती संभव है।

एक बार बजट हो चुका लैप्स, अब कोर्ट केस बना मुसीबत

विभागीय जानकारी के मुताबिक 2019 में कॉलेज को 5.97 करोड़ रुपये का बजट कैंपस निर्माण के लिए मुहैया करवाया गया था। टैंडर प्रक्रिया के दौरान पुलिस हाउंसिंग कॉपार्ेरेशन को निर्माण करने की जिम्मेवारी मिली थी। एजेंसी ने नींव खुदाई के लिए मिट्टी के सैंपल लिए थे, ताकि रिपोर्ट के अनुसार ही मैटेरियल का इस्तेमाल किया जा सकें, लेकिन उस दौरान पुराने भवन गिराने की प्रक्रिया अटकी हुई थी, जिस कारण निर्धारित बजट लैप्स हो गया था।

सुप्रीम कोर्ट ने कुछ रिकॉर्ड मांगा है, प्रस्तुत करेंगे

कॉलेज के प्राचार्य डा. अनिल यादव ने बताया कि कंप्लेंटकर्ता का सेशन कोर्ट व उच्च न्यायलय में केस खारिज हो चुका है। अब सप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की है, अदालत ने कुछ रिकॉर्ड तलब किया है। हैरिंग पर पूरा रिकॉर्ड कोर्ट में पेश कर दिया जाएगा। कोर्ट के जैसे भी आदेश मिलेंगे उनकी पालना की जाएंगी।

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