मेजर सिंधु ने विश्व विजेता मुक्केबाज Manisha Moun का स्वागत किया

मेजर सिंधु ने विश्व विजेता मुक्केबाज Manisha Moun का स्वागत किया
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इंडस पब्लिक स्कूल में आयोजित इस सादे समारोह में मेजर सत्यपाल सिंधु ने कहा कि बेटी आप ऐसे ही आगे बढ़ती रहो, यह देश आपके साथ खड़ा है। कभी भी किसी भी मौके पर आपको कोई कमी महसूस नहीं होने दी जाएगी।

हरिभूमि न्यूज : रोहतक

गत दिनों जर्मनी में हुई केमिस्ट्री कप प्रतियोगिता में गोल्ड मेडल हासिल करने वाली देश की बेटी मनीषा मौण का शनिवार को श्याम इंडस पॉवर सोल्यूशन प्राइवेट लिमिटेड के प्रबंधक निदेशक मेजर सत्यपाल सिंधु ने स्वागत किया।

इंडस पब्लिक स्कूल में आयोजित इस सादे समारोह में मेजर सत्यपाल सिंधु ने कहा कि बेटी आप ऐसे ही आगे बढ़ती रहो, यह देश आपके साथ खड़ा है। कभी भी किसी भी मौके पर आपको कोई कमी महसूस नहीं होने दी जाएगी। मेजर सिंधु ने कहा कि उनकी तरफ से जितना ज्यादा से ज्यादा बन पाएगा, उतना हर हाल में किया जाएगा। इस पर मनीषा मौण ने कहा कि बुजर्गों का आशीर्वाद ऐसे ही मिलता रहेगा, तो वह भारत की झोली स्वर्ण पदकों से भर देगी। इस मौके पर मेजर सिंधु ने मनीषा, उनके पिता कृष्ण मोहन मौण, कोच राजेंद्र सिंह और हरियाणवी गायक कर्मबीर फौजी का चादर ओढ़ाकर सम्मानित किया। कर्मबीर फौजी की बॉक्सर बेटियां और मनीषा मौण की सहेलियां हैं। इसलिए दोनाें परिवार में काफी नजदीकियां हैं। इस मौके पर ओमबीर हुड्डा भी मौजूद रहे।

आज बेटियां बेटों से भी काफी आगे निकल चुकी :  प्रबंधक निदेशक मेजर सत्यपाल सिंधु ने कहा कि बेटियां, बेटों के साथ न केवल कंधे से कंधा मिलाकर चल रही हैं। बल्कि लड़काें से काफी निकल चुकी हैं। कोई भी क्षेत्र ऐसा नहीं हैं, जहां बेटियों ने अपनी महारत न दिखाई हो। मेजर सिंधु ने बताया कि जब जर्मनी मेंं प्रतियोिगता चल रही थी तो मुझे बेटी के पंच देखकर पूर्ण विश्वास हो गया था कि मनीषा देश के लिए स्वर्ण पदक लेकर ही लौटेगी। मेजर सत्यपाल सिंधु ने कहा कि किसान की बेटी मनीषा प्रदेश और देश की दूसरी लड़कियों के लिए भी प्रेरणा स्त्रोत बन चुकी है। बेटियों को मनीषा के पदचिह्नों पर चलना चाहिए। ताकि वे भी मनीषा की तरह देश का नाम सुनहरे अक्षरों में लिखवा सकें।

13 साल में शुरू की बॉक्सिंग

हरिभूमि से बातचीत करते हुए मनीषा मौण ने कहा कि किसी भी खेल में अगर सर्वाेच्चता हासिल करनी है, तो इसके लिए खिलाड़ी को नियमित रूप से अभ्यास करना चाहिए। आंधी, बारिश चूक जाएंगे, लेकिन खिलाड़ी की नियमित प्रैक्टिस नहीं छूटनी चाहिए। उन्होंने बताया कि जब वह 13 साल की थी तो उन्होंने बॉक्सिंग में पहला कदम रखा था। कोच की व्यवस्था नहीं हुई तो एक दिन वैसे ही हाथ-पांच चला दिए तो खेल शिक्षक ने कहा कि मनीषा तुम अच्छी बॉक्सर बन सकती हो। इसके बाद अभ्यास शुरू कर दिया।

पिता को बेटी पर नाज

जब किसी की औलाद सफलता के शिखर तक पहुंचती है तो यह स्वभाविक है कि माता-पिता का सीना गर्व से फुल जाता है। मनीषा के पिता कृष्ण मोहन मौण कहते हैं कि भगवान ऐसी बेटियां सभी के घर दें। उन्होंने बताया कि मुझे अपनी बेटी पर आज बहुत फक्र है। इसके लिए मैंने भी खूब मेहनत की। जब मनीषा दूध नहीं पीती थी तो मैं इसे गुस्से में आता। इनकी मां कहती कि क्यों बेवजह गुस्से में आते हैं। मैं उनकी एक नहीं सुनता और मन-मन ही विचार करता है कि अगर बेटी को एक दिन विश्व विजेता बनाया है तो खान-पान को लेकर थोड़ी सी सख्ती बरतनी पड़ेगी। पिता बताते हैं कि बेटी को इस मुकाम तक पहुंचाने के लिए काफी कठिनाईयां सहनी पड़ी। बेटी अच्छी खिलाड़ी बने, इसके लिए कर्ज तक लिया। लेकिन इसका एहसास कभी भी मनीषा को नहीं होने दिया।

कई पदक जीत चुकीं मनीषा

- अप्रैल 2019 में एशियन चैंपियनशिप में कांस्य जीता

- 2018 में आईबा ओपन प्रतियोगिता में गोल्ड मेडल

- 2019 में आईबा ओपन प्रतियोगिता में सिल्वर मेडल

- 2019 में दिल्ली में हुई बिग बाउट प्रतियोगिता में सिल्वर मेडल, इसके अलावा नेशनल स्तर की प्रतियोगिताओं में करीब 20 गोल्ड जीत चुकी हैं।

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