मनेठी एम्स : मुआवजा विवाद से सर्द मौसम में गर्मी का अहसास

मनेठी एम्स : मुआवजा विवाद से सर्द मौसम में गर्मी का अहसास
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प्रस्तावित एम्स के लिए नया विकल्प तलाशने की आहट से सक्रिय हुई एम्स संघर्ष समिति अब भी अपनी हट से पीछे हटती नजर नहीं आ रही है। जिसके लिए वह एक बार फिर नेहरू पार्क में सांकेतिक धरने से पूर्व की भांति संघर्ष का आगाज कर सकती है।

हरिभूमि न्यूज : रेवाड़ी

मनेठी में प्रस्तावित एम्स निर्माण (AIIMS Construction) में एक बाधा का समाधान होने के साथ ही दूसरा विवाद निर्माण की प्रक्रिया शुरू करने की राह रोक देता है। 2015 में हुई घोषणा (Declaration) के बाद से लगातार यह सिलसिला चला आ रहा है। एक के बाद एक आ रही बाधाओं से पार पाते हुए जैसे ही सरकार ने जमीन अधिग्रहित कर एम्स निर्माण की दिशा में कदम बढ़ा ही रही थी कि एम्स निर्माण को लेकर करीब तीन माह तक संघर्ष करने वाली एम्स संघर्ष समिति ने मुआवजे के लिए नई शर्ते रखकर स्वयं निर्माण की गति पर ब्रेक लगा दिया है।

प्रस्तावित एम्स के लिए नया विकल्प तलाशने की आहट से सक्रिय हुई एम्स संघर्ष समिति अब भी अपनी हट से पीछे हटती नजर नहीं आ रही है। जिसके लिए वह एक बार फिर नेहरू पार्क में सांकेतिक धरने से पूर्व की भांति संघर्ष का आगाज कर सकती है। ताकि एम्स निर्माण में बाधा बन रही अपनी मुआवजे की हट को पीछे धकेलकर एम्स निर्माण न होने का पूरा दोष सरकार के माथे पर मढ़ने का प्रयास कर सकती है। ऐसे में अब बस देखना होगा कि एम्स का मनेठी में ही बनेगा या मसानी व जिले से बाहर कहीं दूसरी जगह दूसरा ठिकाना मिलेगा। ताजा विवाद को देखते हुए किसी भी प्रकार की संभावनाओं से पूरी तरह इंकार नहीं किया जा सकता।

2015 में मुख्यमंत्री मनोहर लाल की घोषणा के बाद करीब चार साल तक मनेठी एम्स की फाइल केंद्र की मंजूरी मिलने के इंतजार में धूल फांकती रही। लोकसभा चुनावों से पहले केंद्र ने न केवल मनेठी एम्स पर अपनी स्वीकृति की मोहर लगाई, बल्कि लोकसभा चुनावों से पहले पूरक बजट में इसके लिए करीब 1300 करोड़ रुपये का बजट भी अलाट कर दिया। निर्माण के लिए टेंडर जारी होने से पहले वन पर्यावरण सलाहकार समिति ने एम्स के लिए प्रस्तावित जमीन अरावली क्षेत्र की बताकर नए विवाद को जन्म दे दिया।

मनेठी में ही एम्स बनाने के लिए मुख्यमंत्री ने ग्रामीणों के सामने कलेक्टर रेट पर जमीन देने का प्रस्ताव रखा। कई दौर की चर्चाओं के बाद संघर्ष समिति व मुख्यमंत्री के बीच एम्स के लिए कलेक्टर रेट प्लस पांच अर्थात (20 से 30 लाख के बीच) लाख रुपए प्रति एकड़ में जमीन देने पर सहमति बनी। स्वेच्छा से किसानों की जमीन लेने के लिए सरकार ने एक पोर्टल खोला तथा पोर्टल पर दर्ज हुई 300 एकड़ जमीन के बीच में कुछ किसानों ने अलग-अलग स्थानों पर करीब 50 एकड़ जमीन पोर्टल पर दर्ज करने से इंकार कर दिया। जिससे एम्स के लिए पोर्टल पर दर्ज हुई जमीन अलग-अलग टूकड़ों में बंट गई। अभी यह विवाद सुलझ भी नहीं पाया था कि संघर्ष समिति ने रेवाड़ी- नारनौल एनएच के लिए अधिकृत जमीन का हवाला देते हुए सरकार के सामने प्रति एकड़ 50 लाख रुपए मुआवजा देने की शर्त रख दी। संघर्ष समिति की यह शर्त सामने आने के बाद मनेठी में एम्स निर्माण पर संशय गहराने लगा था। जिसकी तस्वीर वैकल्पिक जमीन की तलाश में वीरवार को डीसी की अगुवाई में प्रशासनिक अधिकारियों का मसानी दौरा सामने आया।

और चर्चाओं में आ गया था मसानी

मनेठी एम्स के लिए प्रस्तावित जमीन का विवाद गत वर्ष मई माह में सामने आया था। टेंडर जारी करने की प्रक्रिया के बीच वन पर्यावरण सलाहकार समिति (एफएसी) ने प्रस्तावित जमीन वन विभाग की बताकर अपना दावा ठोकते हुए सरकार को एम्स के लिए दूसरी जमीन तलाशने की सलाह दे डाली थी। एम्स से जुड़े इस विवाद के साथ ही मनेठी एम्स के साथ मसानी का नाम चर्चाओं में आ गया था। मुख्यमंत्री से 2015 में मनेठी एम्स की घोषणा करवाने वाले केंद्रीय मंत्री राव इंद्रजीत सिंह ने स्वयं जमीन विवाद का समाधान नहीं होने पर रेवाड़ी में एम्स की पैरवी करते हुए मसानी को मनेठी का विकल्प माना था। सरकार के कलेक्टर रेट पर जमीन खरीदकर एम्स बनाने की घोषणा के बाद गुमनामी में खोया मसानी का नाम मुआवजा विवाद के उभरने के साथ एक बार फिर चर्चाओं में आ गया था तथा वीरवार को अधिकारियों के साथ डीसी के दौरे ने जरूरत पड़ने में चर्चाओं को हकीकत में बदलने के संकेत दे दिए हैं।

मसानी में बने एम्स, पीएम को लिखा पत्र

प्रकाश खरखड़ा ने प्रधानमंत्री, संयुक्त सचिव हेल्थ सुनील शर्मा, मेडिकल सुपरिंटेंडेंट दिल्ली एम्स डीके शर्मा, पीएमएसएस निदेशक नरेंद्र कुमार ओज व एम्स राय बरेली के जीपी श्रीवास्तव, केंद्रीय व प्रदेश के स्वास्थ्य मंत्री, मुख्यमंत्री व जिला उपायुक्त को पत्र लिखकर एम्स मनेठी की बजाय मसानी में बनाने की मांग की है। उन्होंने कहा कि जमीनी विवाद सहित कई प्रकार की रूकावटों के चलते पिछले डेढ़ साल से एम्स का निर्माण अटका हुआ है। मसानी बैराज की 503 एकड़ सरकारी भूमि में से न केवल 225 एकड़ भूमि एम्स के लिए सबसे उपयुक्त है, बल्कि इससे दक्षिणी हरियाणा के साथ हरियाणा व राजस्थान के बड़े हिस्से के लोगों को मेडिकल सुविधाएं मिलेगी। मसानी में प्रस्तावित जमीन दिल्ली जयपुर हाइवे से सटी होने के साथ निर्माणाधीन रैपिड मैट्रो लाइन के अलावा एनएच 71 से भी जुड़ा हुआ है। जिससे यह साइट एम्स के लिए मनेठी से ज्यादा बेहतर साबित होगी।


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