Dev Uthani Ekadashi : कल से शुरू हो जाएंगे मांगलिक कार्य, धर्मशाला व बैंक्वेट हॉल सब फुल

Dev Uthani Ekadashi : कल से शुरू हो जाएंगे मांगलिक कार्य, धर्मशाला व बैंक्वेट हॉल सब फुल
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कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी को देवउठनी या प्रबोधिनी एकादशी कहा जाता है। मान्यता है कि देवउठनी या देवोत्थान एकादशी के दिन ही भगवान विष्णु चार माह बाद निद्रा से जागते हैं और शुभ व मांगलिक कार्य शुरू हो जाते हैं।

रेवाड़ी। देवोत्थान यानि देवउठनी एकादशी (Dev Uthani Ekadashi) के साथ ही 4 नवंबर से शादियों का सीजन शुरू होगा। चातुर्मास में अटके हुए मांगलिक कार्य देवोत्थान एकादशी के साथ शुरू हो जाएंगे। देवोत्थान एकादशी को सबसे बड़ा अबूझ साया माना जाता है, जिस कारण इस दिन सबसे अधिक शादियां होती हैं। इस बार एकादशी पर लगभग 12 सौ शादियां होने का अनुमान है। शहर से लेकर गांवों तक सभी धर्मशालाएं, बैंक्वेट हॉल व सामुदायिक केंद्र शादियों के लिए पहले से बुक हैं।

कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी को देवउठनी या प्रबोधिनी एकादशी कहा जाता है। मान्यता है कि देवउठनी या देवोत्थान एकादशी के दिन ही भगवान विष्णु चार माह बाद निद्रा से जागते हैं और शुभ व मांगलिक कार्य शुरू हो जाते हैं। शास्त्रों में देवउठनी एकादशी का विशेष महत्व बताया गया है। बताया जाता है कि आषाढ़ शुक्ल पक्ष की देवशयनी एकादशी को भगवान श्री हरि विष्णु 4 माह के लिए क्षीरसागर में शयन के लिए चले जाते हैं।

देवउठनी एकादशी व्रत एवं पूजन विधि

ज्योतिषाचार्यों का कहना है कि प्रबोधिनी एकादशी के दिन भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी की पूजा होती है। भगवान विष्णु से जागने का आह्वान किया जाता है। इस दिन प्रात: स्नान कर स्वच्छ वस्त्र धारण कर भगवान विष्णु का ध्यान कर व्रत का संकल्प लेना चाहिए। आंगन में भगवान विष्णु के चरणों की आकृति बनाएं, लेकिन धूप में चरणों को ढक दें। इसके बाद एक ओखली में गेरू से चित्र बनाकर फल, मिठाई, मौसमी फल और गन्ना रखकर डलिया से ढक दें। रात्रि में घरों के बाहर और पूजा स्थल पर दीये जलाए जाने चाहिए और पूरे परिवार के साथ रात्रि में भगवान विष्णु और अन्य देवी-देवताओं की पूजा करनी चाहिए। शाम की पूजा में भगवत कथा और पुराणादि का श्रवण व भजन आदि किया जाना चाहिए। इसके बाद भगवान को शंख, घंटा-घडियाल आदि बजाकर उठाया जाना चाहिए।

शहर में रहेंगे जाम जैसे हालात

देवोत्थान एकादशी के दिन साया अधिक होने के कारण शहर में यातायात का दबाव बढ़ जाएगा। लगभग हर साल देवोत्थान एकादशी पर अधिक शादियां होने के कारण वाहनों की भीड़ काफी बढ़ जाती है, जिस कारण शहर और बाहर की सड़कों पर जाम जैसे हालात बने रहते हैं। बड़ी संख्या में शादियां होन के कारण सड़कों पर वाहनों की लाइनें देर रात तक लगी रहती हैं। शादियों को देखते हुए लोगों ने पहले से ही हलवाई से लेकर दूसरी व्यवस्थाएं पहले से ही की हुई हैं। टैक्सी स्टैंड पर अधिकांश टैक्सियों और प्राइवेट बसों की बुकिंग भी पहले से हो चुकी है।

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