जज्बा : सिक्किम के ग्लेशियर में एवरेस्ट विजेता मनीषा पायल ने सीखे आपदा बचाव के गुर

हरिभूमि न्यूज. फतेहाबाद
जिले की इकलौती माउंट एवरेस्ट विजेता बेटी मनीषा पायल ने सिक्किम के गलेश्यिर में आपदा बचाव नेशनल ट्रेनिंग कैम्प को सफलतापूर्वक पूरा करके एक और उपलब्धि अपने नाम जोड़ ली है। पश्चिम बंगाल के हिमालयान माउनटेयनरिंग इन्स्टीच्यूट द्वारा 6 से 28 मार्च तक यह ट्रेनिंग कैम्प लगाया गया, जिसमें कोलकता, मुम्बई, केरला, गुवाहटी, यूपी व हरियाणा के 12 युवाओं ने भाग लिया। इन 6 राज्यों के प्रतिभागियों में फतेहाबाद के गांव बनावली निवासी महेन्द्र पायल की बेटी मनीषा एकमात्र महिला प्रतिभागी के रूप में शामिल हुई। मनीषा ने 23 दिन जान हथेली पर रखकर की जाने वाली इस ट्रेनिंग को पूरा करके एक बार फिर जिला फतेहाबाद व हरियाणा प्रदेश का नाम रोशन किया है। जिला उपायुक्त नरहरि सिंह बांगर ने मनीषा पायल की इस उपलब्धि पर उसे महिला सशक्तिकरण की मजबूत पहचान बताया।
गौरतलब है कि मनीषा पायल को जिला उपायुक्त ने ही 5 मार्च को राष्ट्रीय ध्वज सौंपकर इस ट्रेनिंग के लिए रवाना किया था। फतेहाबाद पहुंची मनीषा पायल ने अपने इस नेशनल कैम्प व अन्य उपलब्धियों का श्रेय अपने माता-पिता व गुरूजनों को दिया। उसने बताया कि जब उसे पता लगा कि पश्चिम बंगाल में स्थित हिमालयान माउनटेयनरिंग इन्स्टीच्यूट द्वारा गलेश्यिर टूटने या अन्य किसी आपदा के समय फंसने वालों को बचाने का नेशनल ट्रेनिंग कैम्प लगाया जा रहा है, तो उसने अपने परिवार के समक्ष यह ट्रेनिंग लेने की सहमति ली।
ट्रेनिंग कैम्प में पहुंचने पर उसे यह जान कर हैरानी हुई कि 12 प्रतिभागियों में वह अकेली लड़की है। उसे इस बात का गर्व भी रहा कि उसने इन युवाओं के बीच अपनी दमदार उपस्थिति दर्ज करवाकर यह साबित किया कि महिलाएं स्वयं की रक्षा करने के साथ-साथ आपदा में फंसे असहायों को बचाने में भी सक्षम है। मनीषा ने बताया कि सिक्किम में 15 हजार फिट की ऊंचाई पर स्थित बर्फीली रोहतांग पहाडि़यों में टास्क देकर उन्हें लोगों को बचाकर लाने के गुर सिखाए गए। आपदा के समय किसी को बचाने में किस प्रकार के धैर्य का परिचय देना चाहिए, क्या सावधानियां बरतनी चाहिए इस प्रकार के अनेक अहम टिप्स मिले। ट्रेनिंग के दौरान अनेक बार जान जाने तक का खतरा भी नजर आया, पर वह इससे पहले साउथ अफ्रीका की किली मंजारो और दुनिया की सबसे उंची चोटी माउंट एवरेस्ट को फतेह कर चुकी थी, इसलिए उसे ज्यादा दिक्कत नहीं आई।
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