हरियाणा : ब्रिटिश काल से चली आ रही प्रथा होगी खत्म, गांवों के लाल डोरे की मैपिंग का कार्य पूरा, अब कृषि भूमि को मापा जाएगा

हरियाणा में गांवों के लाल डोरे की ड्रोन के माध्यम से की जा रही मैपिंग का कार्य पूरा हो चुका है और अब 31 अगस्त से राजस्व संपदा (कृषि भूमि ) की मैपिंग का कार्य सर्वे ऑफ़ इंडिया द्वारा शुरू किया जाएगा जिसे आगामी छः मास में पूरा करने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है। यह जानकारी हरियाणा के वित्तायुक्त, राजस्व एवं आपदा प्रबंधन विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव संजीव कौशल ने जिला उपायुक्तों के साथ वीडियो कॉन्फ्रेंस के माध्यम से आयोजित स्वामित्व योजना की समीक्षा करते हुए दी।
उन्होंने कहा कि भारत सरकार ने राजस्व संपदा (कृषि भूमि ) की मैपिंग का कार्य सर्वे ऑफ़ इंडिया के माध्यम से करवाने की मंज़ूरी प्रदान की है तथा राज्य सरकार द्वारा इस कार्य के लिए आने वाले खर्च को वहन किया जायेगा। कौशल ने बताया कि हरियाणा में ब्रिटिश काल से वर्ष 1908 से चली आ रही लाल डोरा की प्रथा को खत्म करने की कवायद शुरू की गई है और इसके तहत गत 24 अगस्त तक राज्य के 22 जिलों के लगभग 6329 गांवों के लाल डोरे की मैपिंग का काम पूरा कर लिया गया है, जिसमें से 5333 गांवों का डाटा प्रोसेसिंग सर्वे ऑफ़ इंडिया द्वारा किया जा चुका है।
स्वमित्व योजना के तहत 1990 गांवों में 1,63,262 संपत्तियों का पंजीकरण किया गया है और 1963 गांवों में 1,59,041 संपत्ति कार्ड वितरित किए गए हैं। गांवों में विशेष अभियान चलाकर और शिविर लगाकर पंजीकरण प्रक्रिया में तेजी लाने का प्रयास किया जा रहा है। उन्होंने बताया कि कुल परियोजना परिव्यय 150 करोड़ रुपये का है। उन्होंने बताया कि टाइटल डीड का पंजीकरण और वितरण का कार्य भी इसमें शामिल है और 31 अक्टूबर, 2021 तक इसे पूरा कर लिया जाएगा। कौशल ने बताया कि लाल-डोरा मुक्त होने से गांव की संपत्ति को विशेष पहचान मिलेगी तथा अचल संपत्ति पर बैंक द्वारा लोन भी मंजूर किया जायेगा और ग्रामीणो को अपनी संपत्ति बेचने और खरीदने का मालिकाना हक भी मिला है इससे स्वामित्व से संबंधित मामले भी नियंत्रित हुए हैं ।
कौशल ने बताया कि लाल डोरा को भवन उपनियमों/निर्माण कानूनों/अनुसूचित क्षेत्रों आदि से छूट दी गई थी, जिसके कारण इन संपत्तियों का विकास हुआ। पहले लाल डोरा में मकान या जमीन के लिए कोई रजिस्ट्री नहीं होती थी और इससे परिवारों और समाजों में टकराव होता था। संपत्ति होने के बावजूद, संपत्ति के स्वामित्व का कोई कागज नहीं था और ग्रामीणों द्वारा उपयोग की जाने वाली और पंचायत के स्वामित्व वाली भूमि का कोई सही सीमांकन नहीं था। जिसके चलते गांवों में सार्वजनिक स्थानों, खेल के मैदानों, तालाबों, नालियों आदि पर अतिक्रमण कर लिया गया था।
कौशल ने बताया कि राजस्व विभाग द्वारा ड्रोन तकनीक से मैपिंग का कार्य करवाने के लिए भारतीय सर्वेक्षण विभाग के साथ समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए गए हैं, जिसके तहत हरियाणा के 44212 वर्ग किलोमीटर क्षेत्रफल का मानचित्रण किया गया है और हरियाणा, शहरी, नियंत्रित क्षेत्र और आबादी-देह क्षेत्र की ड्रोन से चित्र लेकर रोवर्स और सीओआरएस नेटवर्क उपयोग करने वाला भारत का पहला राज्य है। उन्होंने बताया कि इस कार्य में तेजी लाने के लिए 10 नए ड्रोन के लिए 90 लाख रुपये और जारी किए गए हैं।
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