शहीद मंदीप सिंह के अंतिम संस्कार में श्रद्धांजलि देने उमड़े हजारों लोग, शव से लिपट बिलख पड़ी मां

हरिभूमि न्यूज : भूना ( फतेहाबाद )
जम्मू कश्मीर के उधमपुर से सेना में तैनात सैनिक मंदीप सिंह का शव शुक्रवार की सुबह गांव बोस्ती पहुंचने पर उन्हें नम आंखों से श्रद्धांजलि अर्पित की गई। मनदीप का पार्थिव शरीर जब श्मशान भूमि के लिए लेकर चले तो हजारों की संख्या में लोगों ने अंतिम दर्शन किए। बोस्ती गांव के बच्चे बूढ़े व महिलाएं सड़कों पर उमड़े हुए थे। युवा भारी संख्या में तिरंगा लेकर शव यात्रा के आगे चल रहे थे।
गांव बोस्ती निवासी मनदीप सिंह जम्मू कश्मीर प्रदेश में सेना में तैनात था। बुधवार को वह ड्यूटी पर था। लेकिन अचानक उसका पांव फिसल गया और हाथ में ली हुई राइफल से गोली चल गई। जो मनदीप के शरीर में जा घुसी जिस की मौके पर मौत हो गई। शुक्रवार को सेना लेफ्टिनेंट मनोज कुमार व सूबेदार रामधारी सैनिक मनदीप सिंह के पार्थिव शरीर को लेकर गांव पहुंचे तो परिजनों में कोहराम मच गया। बड़ी संख्या में क्षेत्र से ग्रामीण उनके घर पहुंचे। अंतिम दर्शनों के दौरान ग्रामीणों व गण्यमान्य लोगों ने गांव पहुंच कर सैनिक को श्रद्धांजलि अर्पित की। सैनिक की चिता को मुखाग्नि बड़े भाई संदीप कुमार ने दी।
टीए मुख्यालय में इन्फेंट्री बटालियन में था तैनात
सेना में लेफ्टिनेंट मनोज कुमार ने बताया कि सिपाही मनदीप सिंह जम्मू कश्मीर के उधमपुर में टीए मुख्यालय इन्फेंट्री बटालियन की 103 यूनिट में ड्यूटी पर तैनात था। लेकिन अचानक उसका पांव फिसलने से राइफल का ट्रिगर दब गया। जिससे उसको गोली लगने के कारण मौके पर मौत हो गई। सेना के जवान मनदीप सिंह का पार्थिक शरीर को लेकर टोहाना पहुंचे। जिसके बाद तहसीलदार रमेश कुमार व सदर थाना प्रभारी जय भगवान सेना के जवानों के साथ गांव बोस्ती पहुंचे। जिसकी सूचना मिलते ही हरियाणा उपक्रम ब्यूरो चेयरमैन सुभाष बराला, पूर्व कृषि मंत्री सरदार परमवीर सिंह, कैबिनेट मंत्री के छोटे भाई मनोज बबली ने पहुंचकर सैनिक के पार्थिव शरीर पर पुष्प चक्र चढ़ाकर श्रद्धांजलि अर्पित की।
मेरे लाल कैसे जिऊंगी तेरे बिना
सैनिक की मां कर्मा देवी अपने लाल को तिरंगे में लिपटा देखकर जोर-जोर से बिलख पड़ी और बोली मेरे लाल कैसे जिऊंगी तेरे बिना.. इतना कहते ही वह मनदीप के पार्थिव शरीर से लिपट गई। बता दें कि सैनिक के पिता रामफल सेन का दिसंबर 2015 में बीमारी के चलते निधन हो गया था। तब भी कर्मा देवी के ऊपर पहाड़ टूट पड़ा था। क्योंकि तीन बेटियां व दो बेटों की परवरिश का बोझ उसके कंधों पर आ गया था। परंतु दिहाड़ी मजदूरी करके कर्मा देवी ने तीन बेटियां व दो बेटों की शादी कर दी। लेकिन वर्ष 2019 में 12वीं कक्षा पास करने के तुरंत बाद मनदीप सेना में भर्ती हो गया। बेटे की आर्मी में जाने के बाद परिवार आर्थिक रूप से उभरना शुरू हुआ तो बुधवार की रात को टेलीफोन से मिली सूचना ने उनके पूरे परिवार के सपने बिखेर कर रख दिए। क्योंकि उनके लाडले बेटे सैनिक मनदीप सिंह की गोली लगने से मौत हो गई। लेकिन अब मनदीप सिंह को याद करके पूरा परिवार बिखल रहा है।
सेन परिवार का पिछला गांव मतलोढा
सैनिक की मां कर्मो देवी ने बताया कि पिछला गांव उनका मतलोढा था। उनके पति रामफल सेन पूरे परिवार को लेकर गांव बोस्ती में करीब 13 साल पहले आए थे। लेकिन रामफल का 15 दिसंबर 2015 को निधन हो गया। सैनिक का बड़ा भाई संदीप कुमार गांव में हेयर ड्रेसर का काम करता है। घटना के बाद पूरे गांव में सन्नाटा पसरा हुआ है। गांव के निवर्तमान सरपंच जगदीश चंद्र ने सैनिक मनदीप सिंह के परिवार की केंद्र एवं प्रदेश सरकार से आर्थिक मदद करने की गुहार लगाई है।
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