भारत-पाक युद्ध के शहीद केहर सिंह को 57 साल बाद मिली पहचान, राजकीय स्कूल को दिया जाएगा नाम

भारत-पाक युद्ध के शहीद केहर सिंह को 57 साल बाद मिली पहचान, राजकीय स्कूल को दिया जाएगा नाम
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शहीद के बेटे और पौते द्वारा किया गया प्रयास रंग लाया और 31 जुलाई को ढांड पहुंचे उपमुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला ने गांव के राजकीय स्कूल का शहीद केहर सिंह के नाम पर रखने का ऐलान किया।

नरेश पंवार : कैथल

ढांड के शहीद केहर सिंह को आखिरकार 57 साल बाद पहचान मिल ही गई। उनके बेटे और पौते द्वारा किया गया प्रयास रंग लाया और 31 जुलाई को ढांड पहुंचे उपमुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला ने गांव के राजकीय स्कूल का शहीद केहर सिंह के नाम पर रखने का ऐलान किया। गौरतलब है कि कस्बा ढांड के केहर सिंह वर्ष 1965 की भारत-पाक की लड़ाई में शहीद हो गए थे। उनकी शहादत युद्ध के बाद एक चिट्ठी तक सिमटी हुई थी। पहले बेटे तो बाद में पौते ने प्रयास जारी रखा। कभी सेना के कार्यायलों तो कभी नेताओं के दरवाजे खटखटाए।

शहीदी के छह माह बाद हुआ था बेटे का जन्म

शहीद केहर सिंह के बेटे रणबीर सिंह ने बताया कि मेरी मां बताती थी कि बेटा जब तू मेरे पेट में था। तब तेरे पापा ने पाकिस्तान के साथ युद्ध करते हुए 23 वर्ष की उम्र में शहादत ले ली थी। शहीदी के 6 महीने बाद तेरा जन्म हुआ। सरकार सैनिक को उसकी पहचान के लिए कोई चौक, सरकारी इमारत या अन्य जगह का नाम रखती है, पर तेरे पिता के लिए सिर्फ चिट्ठी ही आई है।

शहीद के बेटे रणबीर सिंह बताते हैं कि मैंने 12 साल की उम्र में अपने पिता की कुबार्नी की पहचान के लिए सैनिकों और नेताओं से मिलना शुरू किया। उनसे मिलकर मांग रखी कि मेरे पिता के नाम से कोई सरकारी योजना, सरकारी कार्यालय, मार्ग या चौक का निर्माण किया जाए। जो उनके बलिदान को जिंदा रख सके। 34 वर्ष बीतने के बाद सिर्फ सैनिक बोर्ड की तरफ से एक बलिदान का प्रमाण पत्र दिया गया। बलिदान प्रमाण पत्र हमारे घर तक सिमट कर रह गया।

इस स्कूल का बदला जाएगा नाम

शहीद केहर सिंह के पोते विकास कुमार उर्फ विक्की ने बताया कि उसके पिता ने उसे उसके दादा की शहादत की बात बताई। इसके बाद हम दोनों बाप-बेटे ने शहीदी की पहचान के लिए प्रयास जारी रखे। आखिरकार 57 साल बाद हमारी इस मांग को पूरा करने का आश्वासन मिला है। अब तो उस दिन का इंतजार है जब ये मांग पूरी होगी और स्कूल के बाहर शहीद केहर सिंह विद्यालय लिखा जाएगा। उन्होंने बताया कि शहीदों के नामकरण से बच्चों में शहीदों के प्रति और अधिक पे्रम व श्रद्धा का भाव बढ़ेगा और बच्चे देशप्रेम के प्रति उत्साहित होंगे।


कस्बा ढांड के राजकीय स्कूल का मुख्य द्वार



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