हाईकोर्ट पहुंचा प्राइवेट नौकरियों में हरियाणा वालों को 75% आरक्षण का मामला

हाईकोर्ट पहुंचा प्राइवेट नौकरियों में हरियाणा वालों को 75% आरक्षण का मामला
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याचिका में आशंका जताई कि इस कानून के लागू होने से हरियाणा से इंडस्ट्री का पलायन हो सकता है तथा वास्तविक कौशलयुक्त युवाओं के अधिकारों का हनन है।

हरियाणा के निवासियों को निजी क्षेत्र की नौकरी में 75 प्रतिशत आरक्षण ( 75% reservation in job ) प्रदान करने वाले भाजपा-जजपा गठबंधन की सरकार ( Bjp- jjp Government ) के हरियाणा स्टेट एंप्लॉयमेंट ऑफ लोकल कैंडिडेट एक्ट 2020 को हाई कोर्ट ( Highcourt ) में चुनौती दे दी गई है। गुरुग्राम इंडस्ट्रियल एसोसिएशन द्वारा दायर याचिका में रोजगार अधिनियम 2020 को रद करने की मांग की गई है। याचिका में आशंका जताई कि इस कानून के लागू होने से हरियाणा से इंडस्ट्री का पलायन हो सकता है तथा वास्तविक कौशलयुक्त युवाओं के अधिकारों का हनन है। याचिकाकर्ता एसोसिएशन के अनुसार 75 फीसदी नौकरियां आरक्षित करने के लिए 2 मार्च, 2021 को लागू अधिनियम और 6 नवंबर, 2021 की अधिसूचना संविधान, संप्रभुता के प्रावधानों के खिलाफ है। याचिका में इस एक्ट पर रोक लगाने की मांग की है।

याचिका के अनुसार हरियाणा सरकार का यह फैसला योग्यता के साथ अन्याय है। ओपन की जगह आरक्षित क्षेत्र से नौकरी के लिए युवाओं का चयन करना एक प्रतिकूल प्रभाव डालेगा। सरकार का यह फैसला अधिकार क्षेत्र से बाहर का व सुप्रीम कोर्ट के कई फैसलों के खिलाफ है। इसलिए इसे रद्द किया जाए। याचिका के अनुसार धरती पुत्र नीति के तहत राज्य हरियाणा सरकार निजी क्षेत्र में आरक्षण दे रही है है, जो नियोक्ताओं के संवैधानिक अधिकारों का उल्लंघन है, क्योंकि निजी क्षेत्र की नौकरियां पूर्ण रूप से योग्यता व कौशल पर आधारित होती हैं। याचिका के अनुसार यह कानून उन युवाओं के संवैधानिक अधिकार के खिलाफ है जो शिक्षा के आधार पर भारत के किसी भी हिस्से में नौकरी करने की योग्यता रखते हैं।

याचिका में बताया गया कि यह कानून योग्यता के बदले रिहायशी आधार पर निजी क्षेत्र में नौकरी पाने के लिए पद्धति को शुरू करने का एक प्रयास है जो हरियाणा में निजी क्षेत्र में रोजगार संरचना में अराजकता पैदा करेगा। यह कानून केंद्र सरकार की एक भारत श्रेष्ठ भारत की नीति के विपरीत है। कोविड -19 से प्रभावित बाजार को कुछ राहत की जरूरत है लेकिन यह कानून जो निजी क्षेत्र के विकास को भी बाधित करेगा और संभावना है कि इसी कारण राज्य से इंडस्ट्री स्थानांतरित भी हो सकती है। यह याचिका अभी हाई कोर्ट की रजिस्ट्री में फाइल कर दी गई है और यह जल्द ही सुनवाई के लिए सूचीबद्ध हो सकती है।

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