Mausam Update : आईएमडी ने जताई बारिश की संभावना, किसानों की चिंता बढ़ी, जानें कैसा रहेगा मौसम

नारनौल। मार्च महीने के आगामी दिनों में मौसम विभाग की ओर से जताई गई हल्की बारिश या बूंदाबांदी की संभावना ने किसानों की चिंता बढ़ा दी है। जिससे परेशान किसान मजदूरी में अपनी सरसों की कटाई करवाने में जोर से लग गए है। किसानों को चिंता है कि कहीं बारिश के कारण उनकी फसल खराब न हो जाए, कयोंकि इससे पहले जनवरी महीने में लगातार पड़े पाले के कारण सरसों की फसल में काफी नुकसान हो गया था। ऐसे में अब अगर बारिश होती है तो बची सरसों की फसल भी खराब हो जाएगी। जिले में किसानों ने 90100 हेक्टेयर में सरसों की बिजाई अक्टूबर महीने में की थी। जिसकी वर्तमान में कटाई चल रही है।
बता दें कि भारतीय मौसम विभाग ने प्रदेश में लगातार एक के बाद एक पश्चिमी विक्षोभ सक्रिय होने की संभावना जताई है। 20 मार्च तक परिवर्तनशील रहने की संभावना है। कहीं बारिश तो कहीं बूंदाबांदी हो सकती है। मौसम विभाग की इसी भविष्यवाणी ने किसानों को चिंता में डाल दिया है। किसानों को कहना है कि अगर फसल कटाई के समय बारिश होती है तो उनको काफी आर्थिक नुकसान उठाना पड़ेगा, क्योंकि सर्दी के सीजन में जनवरी महीने में लगातार पड़ी कड़ाके की ठंड व पाले से सरसों में 50 से 80 प्रतिशत नुकसान का अनुमान है। अब अगर बारिश होती है तो जो कुछ सरसों की फसल बची है वह भी खराब हो जाएगी।
मजदूरों ने दिहाड़ी
किसानों ने बताया कि मजदूरों ने भी दिहाड़ी बढ़ा दी है। जिसके चलते एक एकड़ सरसों की फसल कटाई के लिए तीन से छह हजार रुपये खर्च करने पड़ रहे है। किसानों से बताया कि बाहरी राज्य यूपी व बिहार ने काम करने आई लेबर सरसों की कटाई ठेके पर कर रही है। जिसके लिए लेबर तीन से चार हजार रुपये लेते है। अगर एक एकड़ सरसों की कटाई स्थानीय मजदूरों से दिहाड़ी में कटवाते है तो उन्हें छह से साढ़े छह हजार रुपये खर्च करने पड़ रहे है। इसके अलावा मजदूरों को उनके गांव से लाने व वापस छोड़ने के लिए वाहन भी किराये पर करना पड़ता है। किसानों से बताया कि पिछले साल बाहर की लेबर तीन हजार रुपये में एक कड़क सरसों की कटाई का लेती थी। जिनसे अब करीब एक हजार रुपये बढ़ा दिए है, जबकि दिहाड़ी मजदूरों ने भी अपनी दिहाड़ी 500 से बढ़ाकर 600 रुपये कर दी है।
स्थानीय मजूदरों से नहीं हो पाती है पूर्ति
बता दें कि जिले में सबसे अधिक सरसों की बिजाई किसानों की ओर से की जाती है। जिसकी कटाई लगभग दो सप्ताह चलती है। अगर सरसों की फसल की समय पर कटाई नहीं की जाए तो किसानों को फसल में नुकसान का डर रहता है। इसलिए ज्यादातर किसान मजदूरों से अपनी फसल की कटाई करवाते है। ऐसे में स्थानीय मजदूरों से पूर्ति नहीं हो पाती है। इसलिए किसान दूसरे राज्यों से लेबर बुलाते है। यहीं कारण है कि पिछले कई सालों से यूपी, एमपी व राजस्थान ने हजार मजदूर जिले में किसानों के पास काम करने आ रहे है।
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