सामान्य अस्पतालों में इनटर्नशिप नहीं कर सकेंगे यूक्रेन से लौटे MBBS विद्यार्थी

योगेंद्र शर्मा : चंडीगढ़
यूक्रेन से लौटने वाले एमबीबीएस के विद्यार्थियों की इनटर्नशिप सामान्य अस्पतालों में नहीं हो सकेगी, क्योंकि इस पर सीधे ही नेशनल मेडिकल कमीशन ने फिलहाल रोक लगा दी है। बाहर से आने वाले मेडिकल विद्यार्थियों की इंटर्नशिप को लेकर हरियाणा के सेहत और गृह मंत्री अनिल विज ने संबंधित विभाग आला अफसरों की बैठक लेकर इस संबंध में हरियाणा से संबंधित युवाओं की संख्या को देखते हुए राज्य के सभी मेडिकल कालेजों में बराबर संख्या में बाटने के लिए कहा है। इसके अलावा भी उनकी इंनर्टशिप को लेकर जो भी तकनीकी दिक्कतें आ रही हैं, उनको ठीक तरह से समझाकर बेहतर से बेहतर सलाह देने को कहा है, ताकि उनके करियर पर कोई प्रतिकूल प्रभाव नहीं हो।
सूत्रों ने बताया कि बीती शाम को सेहत और गृह मंत्री अनिल विल ने मेडिकल एजूकेशन और रिसर्च विभाग के अफसरों की बैठक लेकर यूक्रेन से लौटने वाले मेडिकल स्टूडेंट्स को लेकर सारे बिंदुओं पर विचार किया था। जिसमें बताया गया कि इसमें तीन श्रेणी के विद्यार्थी हैं। जिसमें सबसे पहले बिल्कुल ही ताजा ( फ्रैश ) आने वाले पंजीकरण की श्रेणी है। इसके अलावा ढ़ाई से ऊपर इस तरह के विद्यार्थी भी हैं, जो इंटर्नशिप कर रहे हैं। इसके अलावा एक श्रेणी तीसरी इस तरह की भी है, जो एनओसी लेकर जा चुके हैं। लेकिन इस पर विभागीय अफसरों और इंटर्नशिप कराने वाले अफसरों व टीम ने चिंतन मंथन किया है। ताकि सभी के करियर पर कोई विपरीत प्रभाव नहीं हो, जो करके एनओसी ले चुके हैं, उनका भी रिकार्ड देखा जाएगा, क्योंकि इनमें कुछ इस इस तरह के विद्यार्थी भी हैं, जिनकी कोविड के दौरान वहां पर पढ़ाई नहीं हुई और दो साल तक ऑनलाइन ही पढ़ते रहे अर्थात इस तरह के मेडिकल स्टूडेंट को इसका नुकसान यह रहा कि उनकी प्रैक्टिकली पढ़ाई नहीं हुई, जबकि मेडिकल फील्ड में यह बेहद ही अहम और सीधे-सीधे लोगों की कीमती जान का सवाल है। कुल मिलाकर सभी बातों पर मंथन करने के बाद में यह बात भी सामने आई है कि कुल संख्या सात सौ से भी ज्यादा हरियाणा के विद्यार्थियों की है।
नेशनल मेडिकल कमीशन ने लगाई रोक
सामान्य अस्पतालों में पहले होने वाले इंनर्टनशिप अब नहीं हो सकेगी क्योंकि वहां पर इसे कराने में भी कईं तरह की दिक्कतें और प्रतिकूल प्रभाव सामने आने लगे हैं, जिस कारण नेशनल मेडिकल कमीशन ने इस पूरी तरह रोक लगा दी है। राज्यों ने भी इसे लागू कर दिया है, अब विभागीय अफसरों ने भी इस बात का ब्ल्यू प्रिंट मंत्री के सामने रखना है, कि आने वाले समय के लिए क्या कदम उठाए जा रहे हैं। लेकिन ऑऩलाइन पढ़ाई करने वालों को अब एक साल नहीं बल्कि दो साल की इंटर्नशिप करनी होगी क्योंकि उनके करियर में प्रैक्टिकल भी बेहद अहम है। जो कर चले और एनओसी ले गए हैं, इस संबंध में उनको अपना प्रैक्टिकल और इंटर्नशिप पूरी करने को कहा जाएगा।
यहां पर बता दें कि रूस-यूक्रेन युद्ध से संकट में बडी़ संख्या में भारतीय विद्यार्थियों के सामने हर तरह का संकट था। भारत सरकार की मदद के बाद ही उनकी जान और करियर बच सका है। आंकड़ों पर गौर करें, तो करीब 16 हजार भारतीय मेडिकल छात्रों को भारत के कॉलेजों में दाखिले को लेकर सरकार की ओर से पहल की गई थी। इस दिशा में सरकार की ओऱ से फॉरेन मेडिकल ग्रेजुएट लाइसेंसिएट रेगुलेशन ( एफएमजीएल ) एक्ट को लेकर भी मंथन हुआ था। जिसके बाद में इन्हें और परिवारों को बड़ी राहत मिली थी। अब इसमें अलग अलग राज्यों के स्टूटेंड भी थे। जिनके करियर औऱ इंटर्नशिप को लेकर भी कुछ झंझट सामने आए हैं। वैसे, सामान्य तौर पर बाहर से आने वाले स्टूडेंट्स की ट्रेनिंग और इंटर्नशिप भारत सेे बाहर ही करनी होती थी। नेशनल मेडिकल कमीशन द्वारा छात्रों को 6 महीने से अधिक ऑनलाइन पढ़ाई की अनुमति नहीं मिलने से छात्रों के सामने कुछ चुनौतियां थीं लेकिन काफी हद तक सरकार ने इन्हें कम कर दिया है।
हम इनके करियर को लेकर गंभीर : विज
हरियाणा के सेहत और गृह मंत्री विज ने कहा कि हम यूक्रेन और रुस से मेडिकल की पढ़ाई कर आने वाले विद्यार्थियों उनके परिवारों को लेकर बेहद ही गंभीर हैं। हमारी केंद्र की मोदी सरकार और हमने राज्य में बहुत से कल्याणकारी कदम उठाए हैं, इंटर्नशिप में भी कोई दिक्कत नहीं हो इस बारे में भी कदम उठा रहे हैं। अफसरों से मैने बैठक लेकर दिशा निर्देश जारी कर दिए हैं ताकि इन युवाओं को किसी भी तरह की कोई दिक्कत पेश नहीं आए।
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