खेल सिरमौर एमडीयू : स्पोट्र्स निदेशक कार्यालय पर 3 महीने से लटका ताला

अमरजीत एस गिल/रोहतक। महर्षि दयानंद विश्वविद्यालय (Maharshi Dayanand University) के खेल निदेशक डॉ. देवेंद्र सिंह ढुल गत 28 फरवरी को सेवानिवृत्त हो गए। इसके बाद डॉ. ढुल को यूनिवर्सिटी ने दो साल का सेवा विस्तार दे दिया। लेकिन मामला कोर्ट-कचहरी में पहुंचा। विस्तार पर हाईकोर्ट (High Court) ने स्टे लगाया। इसके बाद 3 अप्रैल काे शारीरिक शिक्षा विभाग के प्रो. आरपी गर्ग को खेल निदेशक का अतिरिक्त कार्याभार सौंपा गया। तब से लेकर अब तक डॉ. गर्ग को यूनिवर्सिटी प्रशासन ने कार्यालय उपलब्ध नहीं करवाया। जिस ऑफिस में बैठकर डॉ. ढुल ने एमडीयू को खेल की देश-दुनिया में पहचान दी, उस पर अब तीन महीने से ताला लगा है।
पहचान कैसे हासिल की, यह अलग मुद्दा हो सकता है। कायदे से आफिस प्रो. आरपी गर्ग को दिया जाना चाहिए था। लेकिन ऐसा नहीं हुआ। सूत्र बताते हैं कि इस समय कार्यालय की चाबी ऐसे व्यक्ति के पास है, जिसके पास नहीं होनी चाहिए। उस व्यक्ति से प्रो. गर्ग चाबी हासिल कर लें, यह जरूरत वे कर नहीं पा रहे हैं। आप ये भी जान लें कि यूनिवर्सिटी के कस्टोडियन कुल सचिव हैं। विश्वविद्यालय की सभी प्रकार की संपति को सुरक्षित रखने की जिम्मेदारी रजिस्ट्रार की होती है। निदेशक कार्यालय के बगल में कांफ्रेंस रूम है। यहां बैठकर ही प्रो. गर्ग गत 3 अप्रैल से कार्यालयी कामकाज कर रहे हैं। जब से इन्हें निदेशक का अतिरिक्त कार्यभार यूनिवर्सिटी प्रशासन ने दिया है, तब से ये अपने शारीरिक शिक्षा विभाग में बहुत ही कम जाते हैं। घर से सीधे ही निदेशक कार्यालय पहुंचते हैं और वहीं से ही वापसी हो जाती है।
कोई जरूरी काम हुआ तो ही अपने विभाग जाते हैं। बताया जा रहा है कि प्रो. गर्ग ने कार्यालय लेने के लिए कभी यूनिवर्सिटी प्रशासन से अनुरोध भी नहीं किया। अनुरोध क्यों नहीं किया, यह तो प्रो. गर्ग ही अच्छे से जानते हैं। लेकिन चर्चाएं ये भी हैं कि कहीं कार्यालय के चक्कर में निदेशक पर ही किंतु-परंतु ही न लग जाएं। इसलिए कांफ्रेंस रूम से ही प्रो. गर्ग ऑफिस की गतिविधियाें कर रहे हैं।
डायरेक्टर पद प्रो. गर्ग को ऐसा ही हासिल नहीं हुआ है, इसके लिए इन्होंने खूब लामबंदी की। अब यह प्रो. गर्ग के धुर विरोधियों से सहन नहीं हो रहा है। ऐसे में जहां भी पटखनी देना का मौका मिला, वहीं प्रो. गर्ग को चारों खाने चित्त करने का प्रयास होगा। एक समय तो यूनिवर्सिटी प्रशासन ने शारीरिक शिक्षा विभाग को बंद करने का मन बना लिया था। एकाध कोर्स को दूसरे विभाग में शिफ्ट भी कर दिया था। तब प्रो. गर्ग यूनिवर्सिटी प्रशासन से काफी खफा रहते थे। लेकिन अब खेल निदेशक का अतिरिक्त कार्यभार मिला तो प्रशासन की संस्तुति में लगे रहते हैं। प्रशासन ने भी प्रो. गर्ग पर मेहरबानी करने में कोई कोर-कसर नहीं छोड़ी। डीन एजुकेशन की जिम्मेदारी भी अब इन्हीं के कंधों पर ही है। जबकि एक समय में तो कार्यकाल पूरे हुए बिना ही विभागाध्यक्ष पद से भी हटा दिया गया था।
रिकॉर्ड सुरक्षित रखें यूनिवर्सिटी: विश्वविद्यालय से संबंधित एक कॉलेज के खेल शिक्षक ने करीब दो-अढ़ाई महीने पहले यूनिवर्सिटी को पत्र लिखकर अनुरोध किया था कि खेल निदेशालय के रिकॉर्ड को सुरक्षित करने के इंतजाम किए जाएं। इस शिक्षक ने तो यहां तक संदेह जाहिर किया है कि रिकॉर्ड को नष्ट भी किया जा सकता है। सूत्र बताते हैं कि प्रशासन ने इस बारे में खेल निदेशक स्टॉफ को अवगत करवा दिया है।
मामला कोर्ट में विचारधीन
डॉ. देवेंद्र सिंह ढुल को रिटायरमेंट के बाद दो साल का सेवा विस्तार देने का मामला अभी भी हाईकोर्ट में विचाराधीन है। ढुल दोबारा से निदेशक पद पर नियुक्त होंगे या नहीं, यह कोर्ट तय करेगा। लेकिन वर्तमान निदेशक प्रो. गर्ग को अभी भी उम्मीद है कि डॉ. ढुल शायद फिर से डायरेक्टर पद संभाल लें। प्रो. गर्ग और डॉ. ढुल की काफी नजदीकियां रही हैं, यह भी किसी से छुपा नहीं है। जब शारीरिक शिक्षा विभागाध्यक्ष की जिम्मेदारी प्रो. भगत सिंह राठी के पास थी तो प्रो. गर्ग के दिन गर्दिश में थे। इन्हीं दिनों में प्रो. गर्ग, खेल निदेशक डॉ. देवेंद्र सिंह ढुल के पास बैठकर ही समय व्यतीत करते थे। प्रो. राठी और प्रो. गर्ग में कैसे संबंध हैं, ये पूरा कैंपस बाखूबी जानता है। जब,जिसको जहां मौका मिलता है, एक दूसरे को पटक दिया जाता है। इस पटका-पटकी में विभाग का ऐसा भट्ठा बैठा कि कई साल तक तो कोर्स भी बंद रहे। पिछले साल ही दोबारा एडमिशन शुरू हुए हैं।
मुझे यह जानकारी नहीं है कि खेल निदेशक प्रो. आरपी गर्ग को अभी तक ऑफिस दिया गया है या नहीं। कार्यालय उपलब्ध करवाना प्रशासनिक प्रकिया है। स्पोट्र्स डायरेक्टर ही इस बारे में कुछ बता सकते हैं। -सुनित मुखर्जी निदेशक जन संपर्क महर्षि दयानंद विश्वविद्यालय
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