अवधेश कुमार का लेख : संजय राउत की गिरफ्तारी के मायने

अवधेश कुमार का लेख : संजय राउत की गिरफ्तारी के मायने
X
संजय राउत को गिरफ्तार करने से पहले ईडी ने कई संपत्तियां अटैच की हैं। ईडी ने अलीबाग में आठ भूमि के टुकड़ों और दादर के गार्डन कोर्ट में एक फ्लैट को धनशोधन मुकदमे के तहत अटैच किया। अलीबाग के किहिम बिच के भूखंड संजय राउत की पत्नी वर्षा राउत और स्वप्ना पाटकर के नाम से है तो दादर के गार्डन कोर्ट में वर्षा राउत के नाम। ईडी ने संजय राउत के दोस्त प्रवीण राउत के 9 करोड़ की संपत्ति को भी इसमें अटैच किया। ईडी ने आरोप लगाया है कि संजय राउत के परिवार ने इन संपत्तियों को पात्रा चॉल की संपत्तियों धोखाधड़ी द्वारा बेचने से प्राप्त धन से खरीदा गया। क्या कोई कह सकता है कि इन सब ने मिलीभगत कर भ्रष्टाचार नहीं किया था?

अवधेश कुमार

प्रवर्तन निदेशालय यानी ईडी द्वारा शिवसेना नेता संजय राउत की गिरफ्तारी केवल समय की बात थी। उच्चतम न्यायालय द्वारा ईडी की कुर्की , गिरफ्तारी आदि को सही ठहराने के बाद ईडी अधिकारियों का आत्मविश्वास बढ़ गया है। 22 जुलाई को ईडी ने पात्रा चाॅल मामले में सुजीत पाटकर की पत्नी स्वप्ना पाटकर से पूछताछ की तभी यह साफ हो गया कि संजय राऊत के इर्द-गिर्द शिकंजा कस चुका है। स्वप्ना ने एक ऑडियो क्लिप रिलीज किया जिसमें एक व्यक्ति उसे धमकी और गालियां दे रहा है जिसके बारे में उसका कहना था कि वह संजय राउत है जिन्होंने बार-बार उन्हें और उनके परिवार को धमकी दी है। संजय राउत गिरफ्तार किये जाने वाले अकेले व्यक्ति नहीं रहेंगे। इसके बाद उनके परिवार , और कई दोस्तों की गिरफ्तारियां हो सकती है। इसके पूर्व उनके दोस्त और व्यवसायी प्रवीण राउत पहले महाराष्ट्र की आर्थिक अपराध शाखा और बाद में ईडी द्वारा गिरफ्तार किए जा चुके हैं। कोई दोषी है या नहीं है इसका अंतिम फैसला न्यायालय करता है लेकिन इन मामलों में कुछ बातें साफ दिखाई दे रही हैं।

संजय राउत को गिरफ्तार करने से पहले ईडी ने कई संपत्तियां अटैच की हैं। ईडी ने अलीबाग में आठ भूमि के टुकड़ों और दादर के गार्डन कोर्ट में एक फ्लैट को धनशोधन मुकदमे के तहत अटैच किया। अलीबाग के किहिम बिच के भूखंड संजय राउत की पत्नी वर्षा राउत और स्वप्ना पाटकर के नाम से है तो दादर के गार्डन कोर्ट में वर्षा राउत के नाम। ईडी ने संजय राउत के दोस्त प्रवीण राउत के 9 करोड़ की संपत्ति को भी इसमें अटैच किया। 5 अप्रैल, 2022 को ईडी की प्रेस रिलीज में कहा गया था कि इसने धन शोधन निषेध कानून के तहत 11.15 करोड़ की अचल संपत्ति अटैच किया है। ईडी ने आरोप लगाया है कि संजय राउत के परिवार ने इन संपत्तियों को पात्रा चॉल की संपत्तियों धोखाधड़ी द्वारा बेचने से प्राप्त धन से खरीदा गया। ध्यान रखने की बात है कि ईडी संजय राऊत उनके दोस्तों और साझेदारों तक तब पहुंची जब पीएमसी यानी पंजाब महाराष्ट्र कोऑपरेटिव बैंक घोटालों की जांच में शामिल हो गई थी। इसी में से वर्षा राउत के नाम रुपए हस्तांतरित किए गए थे और वहीं से जांच की दिशा उस ओर भी मुड़ी। वैसे यह मुकदमा मुख्यतः मुंबई के गोरेगांव पश्चिम के पात्रा चौल में भ्रष्टाचार और धोखाधड़ी से संबंधित है। गुरु आशीष कंस्ट्रक्शन प्रा. लि. द्वारा पात्रा चॉल के पुनर्विकास में अनियमितताओं, धोखाधड़ी एवं संशोधन का विकराल तांडव देखने को मिलता है। पीएमसी में निवेशकों के 4355 करोड़ रुपये का घोटाला हुआ था और इसमें एचडीआईएल या हाउसिंग डेवलपमेंट इंफ्रास्ट्रक्चर लिमिटेड की बड़ी भूमिका सामने आई थी। कर दिया गया था जिससे दादर का फ्लैट फ्लैट खरीदा गया।

गुरु आशीष कंस्ट्रक्शन प्राइवेट लिमिटेड को 672 खरीददारों के लिए पात्रा चाॅल परियोजना के विकास का काम दिया गया था। एक त्रिपक्षीय समझौता सोसायटी ,महाराष्ट्र हाउसिंग एंड एरिया डेवलपमेंट अथॉरिटी एमएचएडीए यानी महाडा और गुर आशीष कंस्ट्रक्शन प्राइवेट लिमिटेड के बीच हुआ था। इस समझौते के तहत डेवलपर को विस्थापित किरायेदारों को 672 फ्लैट देना था तथा महाडा के लिए 3000 फ्लैट बनाना था और शेष क्षेत्र को ये बेच सकते थे। गुरु आशीष कंस्ट्रक्शन ने फ्लोर स्पेस इंडेक्स एफएसआई को 9 डेवलपर्स को बेच दिया जिससे 901 करोड़ 79 लाख रुपये प्राप्त हुए। इसने 672 वह फ्लैट बनाए ही नहीं। गुरु आशीष कंस्ट्रक्शन ने एक अन्य प्रोजेक्ट मीडोज लांच किया जिसमें फ्लैट खरीदारों से बुकिंग के रूप में 138 करोड़ रुपये प्राप्त किएा। इस तरह गुरु आशीष कंस्ट्रक्शन प्राइवेट लिमिटेड के निदेशकों द्वारा किए गए अपराध से कुल 1039 करोड़ 79 लाख रुपया पात्रा चॉल विकास के नाम पर प्राप्त हुए। जैसे पूरी कमाई सारे नियम कानूनों को ताक पर रखकर धोखाधड़ी से की गई वैसे ही इसमें से कुछ राशि निकटतम लोगों को स्थानांतरित किया गया।

पैसे कहां कहां गए इसकी छानबीन से पता चला कि करीब 100 करोड़ रुपये एचडीआईएल से प्रवीण राउत के खाते में भेजा गया। प्रवीन राऊत के खाते से राशि उनके निकट लोगों, परिवारिक सदस्यों तथा व्यवसाय से जुड़े लोगों के अलग-अलग खातों में गया। वर्षा के खाते में इसमें से 83 लाख गए जिससे दादर का फ्लैट खरीदा गया। ईडी के अनुसार अलीबाग में टीम बीच पर 8 भूखंड इसी के पैसे से खरीदे गए जो वर्षा और सपना पाटकर के नाम से है। इस भूमि की खरीद में नगद भुगतान किया गया जिसका हिसाब कहीं नहीं लिखा है। इसी की छानबीन के बाद इनकी संपत्तियों को कुर्क किया गया। इसी में सुजीत पाटकर का नाम आया जो संजय राउत की दोनों बेटियों के व्यवसायिक साझेदार हैं। सुजीत पाटकर की शराब कंपनी मैगपी डीएफएस प्राइवेट लिमिटेड में 16 वर्षों से संजय राउत की बेटियां पूर्वसी और विधिता पार्टनर हैं। पाटकर की पत्नी और संजय राऊत की पत्नी ने संयुक्त रूप से अलीबाग में जमीन खरीदा था। प्रवीन राउत भी पाटकर से जुड़ा हुआ था। यहां यह भी जानना जरूरी है कि गुरु आशीष कंस्ट्रक्शन प्रा. लि. एचडीआईएल यानी हाउसिंग डेवलपमेंट इंफ्रास्ट्रक्चर लिमिटेड का एक सहायक कंपनी है। एचडीआईएल पंजाब और महाराष्ट्र कोऑपरेटिव बैंक यानी पीएमसी के 4355 करोड रुपये के धोखाधड़ी मामले में ईडी तथा अन्य एजेंसियों द्वारा जांच के घेरे में है। इसे राजनीतिक मामला बताने वाले जरा सोचें कि उन 672 किरायेदारों पर क्या गुजरी जब उन्हें पता चला कि बिना फ्लैट बनाए ही उस जगह को बेच दिया गया। उनके बारे में भी सोचें जिनके पैसे पीएमसी घोटाले में डूब गए। इन लोगों ने बिना कुछ किए कई बिल्डरों से 234 करोड़ रुपए

एचडीआईएल के लेजर के अनुसार पालघर क्षेत्र में भूमि अधिग्रहण के लिए प्रवीण राउत को राशियां दी गई थी। ईडी ने संजय राउत की पत्नी से पीएमसी बैंक मामले में प्रवीण राउत की पत्नी के साथ संबंधों को लेकर पूछताछ की । इसके अनुसार प्रवीण राऊत ने अपनी पत्नी माधुरी प्रवीण राउत को एक करोड़ 60 लाख रुपये दिए। माधुरी राउत ने इनमें से 55 लाख 50 हजार 23 दिसंबर, 2010 को तथा 5 लाख 15 मार्च ,2011 को ब्याज मुक्त कर्ज के रूप में वर्षा राउत को दिए। छानबीन से स्पष्ट हुआ कि वर्षा राऊत व माधुरी राउत अवानी कंस्ट्रक्शन में पार्टनर हैं और वर्षा राउत ने इससे 12 लाख रुपये प्राप्त किए, जो कर्ज में बदल दिए गए, जबकि इनका योगदान केवल 5625 रुपया था। क्या इसके बावजूद कोई कह सकता है कि इन सब ने मिलीभगत कर भ्रष्टाचार नहीं किया या इसमें धन शोषण शोधन का मामला नहीं था?

ईडी का तो इसमें बाद में प्रवेश हुआ। मुंबई पुलिस की आर्थिक अपराध शाखा यानी ईएफओ ने सबसे पहले पात्रा चाॅल के पुनर्विकास की जांच के लिए प्राथमिकी दर्ज किया था। इसमें प्रवीण व अन्य की गिरफ्तारियां हुई थी। जब इस में भारी पैमाने पर नकदी का मामला आया तो ईडी ने 2020 में मुकदमा दर्ज किया ।

(लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं, ये उनके अपने विचार हैं।)

Tags

Next Story