स्कूलाें में बच्चों को फिर मिलेगा मिड-डे मील, कोरोना के बाद घर-घर बंट रहा था राशन

स्कूलाें में बच्चों को फिर मिलेगा मिड-डे मील, कोरोना के बाद घर-घर बंट रहा था राशन
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अभी यह स्पष्ट नहीं हो पाया है कि कब से खाना तैयार करवाया जाएगा, लेकिन फिलहाल शिक्षा विभाग ने वर्तमान सत्र के दौरान शीघ्र बच्चों को दोपहर के समय भोजन दिए जाने का खाका तैयार कर लिया है।

हरिभूमि न्यूज : भिवानी

कोरोना की लहर पूरी तरह से थमने के बाद अब शिक्षा विभाग ने सरकारी स्कूलों में बच्चों को मिड-डे मील योजना के तहत खाना देने की तैयारी शुरू कर ली। हालांकि अभी तक यह स्पष्ट नहीं हो पाया है कि कब से खाना तैयार करवाया जाएगा, लेकिन फिलहाल शिक्षा विभाग ने वर्तमान सत्र के दौरान शीघ्र बच्चों को दोपहर के समय भोजन दिए जाने का खाका तैयार कर लिया है। दूसरी तरफ शिक्षा विभाग की तरफ से पत्र आने के बाद स्कूल मुखियाओं नेमिड-डे मील योजना के तहत भोजन बनाने के बर्तनों को साफ व रसोई की सफाई शुरू करवा दी है।

पिछले करीब दो साल से स्कूलों में बच्चों को दोपहर का भोजन नहीं दिया जाता था। अब फिर से भोजन देने की तैयारी शुरू कर दी है। अब घर-घर जाकर राशन नहीं बांटा जाएगा। मौलिक शिक्षा विभाग के निदेशक ने पत्र भेजकर सभी स्कूल मुखियाओं से मिड-डे मील (पका पकाया भोजन) फिर से बच्चों को दिलाए जाने की तैयारी शुरू करने के निर्देश दिए है। भेजे निर्देशों में कहा गया है कि वे राशन तैयार करने के बर्तनों को साफ व रसोई की सफाई व्यवस्था दुरुस्त करवा लें ताकि विभाग के निर्देश आते ही तत्काल दोपहर का भोजन बनाने की प्रक्रिया शुरू हो सके।

कुकों का कराया मेडिकल, सिलेंडरों में डलवाई गैस

शिक्षा विभाग की तरफ से मिड-डे मील शुरू करने से संबंधित पत्र आने के बाद स्कूलों में भोजन तैयार करने वाले कुकों के मेडिकल करवाने की प्रक्रिया शुरू करवा दी है। साथ ही कुकों का कोरोना रिर्पोट भी मांगी गई है। ताकि भोजन बनाना शुरू होने की प्रक्रिया में किसी तरह की कोई अड़चन न बन पाए। बताते हैं कि जिले के अधिकांश स्कूलों में तैनात कुकों का मेडिकल पहुंच गया है। बाकी मेडिकल करवाने की प्रक्रिया में जुटे है। दूसरी तरफ स्कूल मुखिया ने स्कूलों में दोपहर का भोजन तैयार करवाने के लिए गैस सिलेंडरों में गैस आदि डलवाई है।

न गेहूं और न ही चावल, कैसे बनेगा खाना

भले ही शिक्षा विभाग ने स्कूलों में मिड-डे मील का राशन तैयार करवाने के निर्देश दे दिए हो, लेकिन अनेक स्कूल ऐसे है जिनमें न तो चावल का स्टॉक है और न ही गेहूं का स्टॉक पहुंच पाया है। ऐसे में किस तरह से बच्चों को राशन दिया जा सकता है। दूसरी तरफ खाना तैयार करवाने के लिए स्कूलों के पास कुकों को वेतन या अन्य सामान मंगवाए जाने के लिए एक पैसे का भी बजट नहीं है। ऐसे में किस तरह से शिक्षा विभाग के निर्देशाें की पालना हो पाएगी।

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