Bahadurgarh : ग्रामीण इलाके में नियमित हुई कॉलोनियों से प्रवासी श्रमिकों को सर्वाधिक लाभ

- गरीबों को नसीब हो सकेंगी मूलभूत सुविधाएं, बहादुरगढ़ की 14, झज्जर की 9 और बेरी की 2 कॉलोनियां नियमित हुई
- सारी उम्र की जमा पूंजी से बनाए घर के ढहने का खतरा भी टलने से ली राहत की सांस
Bahadurgarh News : हरियाणा सरकार (Haryana Government) द्वारा 450 कॉलोनियों को नियमित करने की घोषणा हुई है। इनमें झज्जर जिले की 25 कॉलोनियां (Colonies) भी शामिल हैं। अधिकांश कॉलोनियां दिल्ली की सीमा से सटे हरियाणा के गांवों में आबाद हुई हैं। इनमें मूलत: प्रवासी श्रमिक छोटे-छोटे मकान बनाकर रह रहे हैं। सरकार के इस निर्णय से उन्हें सीधा लाभ होना तय है। अन्य गांवों में भी नियमित की गई कॉलोनियों में बहुतायत प्रवासी श्रमिकों की है।
बता दें कि सीएम मनोहर लाल द्वारा की गई घोषणा के तहत बहादुरगढ़ की 14, झज्जर की 9 और बेरी की 2 कॉलोनियां नियमित हुई हैं। बहादुरगढ़ की 11 कॉलोनियां ग्रामीण इलाके में हैं। केवल तीन कॉलोनियां शहरी आबादी से सटी हैं। कानोंदा गांव में विकास विहार के नाम से 24.52 एकड़ तथा 6.628 एकड़ में दूसरी कॉलोनी अप्रूव हुई है। कानोंदा और खैरपुर के रकबे में 4.06 एकड़ में एक अन्य कॉलोनी स्वीकृत हुई। जाखौदा गांव में भी 3.83 एकड़ में एक तथा 4.23 एकड़ में दूसरी कॉलोनी अप्रूव की गई है। इस्सरहेड़ी में सरकारी स्कूल के पीछे 2.45 एकड़ में कॉलोनी को नियमित किया गया है। खैरपुर गांव में 17.4 एकड़ जमीन पर अवैध कॉलोनी मंजूर हुई है। गांव मुकंदपुर में 5.5 एकड़ में कॉलोनी को मंजूरी मिली है। लोवा कलां सिद्दीपुर में 17.13 एकड़ में शिव मंदिर कॉलोनी को स्वीकृति मिली है। आसौदा टोडरान में 2.5 एकड़ में पालम विहार कॉलोनी मंजूर हुई है। गांव गुभाना में पेट्रोल पंप के पीछे 32.12 एकड़ में कॉलोनी को वैधता दी गई है। शहर के निकट सराय औरंगाबाद में ट्रिनिटी स्कूल के पीछे 5.87 एकड़ में कॉलोनी को अप्रूव किया गया है। गांव कसार में केएलजी के साथ 2.6 एकड़ में कॉलोनी अप्रूव हुई है। सराय औरंगाबाद एवं बीरबरकताबाद के रकबे में 11.44 एकड़ में एमडी कॉलेज (कुबेर कॉलोनी) अप्रूव हुई है।
मनोहर सरकार द्वारा नियमित की गई अधिकांश कॉलोनियों में प्रवासी श्रमिक रहते हैं। चूंकि ग्रामीण इलाके में दिल्ली से सटी सीमाओं पर विकसित इन कॉलोनियों में कम रेट पर जमीन उपलब्ध हो जाती है। तो प्रवासी श्रमिक इनमें रहने के लिए 25-30 गज जमीन खरीद अपना आशियाना बना लेते हैं। यह अलग बात है कि इन कॉलोनियों में ना तो जलनिकासी के उचित प्रबंध हैं और ना ही बिजली-पानी की नियमित सप्लाई। गलियां भी कच्ची पड़ी हैं। प्रदेश सरकार द्वारा इन कॉलोनियों को वैध करने के बाद प्रवासी श्रमिकों को सर्वाधिक लाभ होगा। एक तरफ जहां उन्हें मूलभूत सुविधाएं मिल सकेंगी। वहीं दूसरी ओर उनके सिर पर मंडराने वाला पीले पंजे का खतरा भी हट गया है।
झज्जर-बेरी में ये हुई वैध
गांव दुलीना में 17.68 एकड़ में डीएफएल ग्रीन कॉलोनी व 8.5 एकड़ में एमजी ग्रीन कॉलोनी, गांव कुलाना में 2.93 एकड़ में आर्य नगर-टू के अलावा 8.14 एकड़ में एक तथा 2.8 में दूसरी कॉलोनी को मंजूरी दी है। खेड़ी खुमार में 4.71 एकड़, माच्छरोली में 5.93 एकड़, बादली में 2.81 एकड़ में शिव एंक्लेव कॉलोनी और डावला में 2.082 एकड़ में कॉलोनी को वैधता मिली है। बेरी के दुजाना में 3.248 तथा 3.164 एकड़ में दो कॉलोनियां वैध की गई हैं।
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