प्रवासी श्रमिकों का होगा वेरिफिकेशन, दो माह चलेगा अभियान

हरिभूमि न्यूज. रेवाड़ी
बावल एमआईटी व उद्योगिक क्षेत्र धारूहेड़ा में बनी कंपनी व अन्य व्यावसायिक केंद्रों में काम करने वाले अनअडंटीफाइ श्रमिकों को जिले में बढ़ते अपराध की मुख्य वजह माना जा रहा है। बढ़ते अपराध को लेकर पुलिस द्वारा तैयार की गई इसी रिपोर्ट को आधार बनाकर जिला उपायुक्त ने अब सभी कंपनियों व व्यवासियक केंद्रों पर काम करने वाले प्रवासी श्रमिकों की पहचान के लिए अपनी शक्तियों का प्रयोग करते हुए धारा 144 के तहत श्रमिका की वेरिफिकेशन के आदेश जारी कर दिए हैं।
वेरिफिकेशनका ओलवर ऑल इंजार्च (नोडल अधिकारी) लेबर कमीशनर को बनाया गया है। जिन्हें संबंधित थाना प्रभारियों के साथ अगले दो माह में विभिन्न कंपनियों में कार्यरत स्थाई व अस्थाई श्रमिकों के साथ जिले में दूसरे स्थानों पर काम करने वाले श्रमिकों की वेरिफिकेशन का जिम्मा सौंपा गया है। आदेशों की पालना में बाधा डालने वालों के खिलाफ सेक्शन 188 के तहत कार्रवाई अमल में लाई जाएगी। आदेशों में स्पष्ट किया गया है कि सभी कंपनी व संस्थान को अपने यहां काम करने वाले प्रवासी श्रमिकों का ब्यौरा उनके मूल पत्ते के साथ मुहैया करवाना होगा, ताकि किसी अपराध में संलिप्तता पाए जाने पर आरोपितों के खिलाफ कार्रवाई अमल में लाई जा सके। जिले में रह रहे लाखों प्रवासियों में से 10 हजार से अधिक ने जिले में अपने वोट भी बनवा चुके हैं।
लाखों की संख्या में रह हैं प्रवासी
औद्योगिक क्षेत्र विकसित होने के साथ जिले में प्रवासी लोगों का आगमन भी बढ़ा है। विभिन्न कंपनियों व व्यवसायिक प्रतिष्ठानों में काम करने वाले प्रवासी लोगों की पहुंच रेवाड़ी, धारूहेड़ा व बावल के साथ गांवों तक पहुंच चुकी है। उद्योगिक क्षेत्रों के साथ लगते गांवों में विशेष रूप से विकसित की गई कालोनियों में श्रमिक किराए पर रह रहे हैं तथा प्रवासी आबादी की संख्या लाखों में पहुंच चुकी है। जिनमें सबसे ज्यादा आबादी धारूहेड़ा व रेवाड़ी में रहने का अनुमान है।
झुग्गियों से भी जुड़े हैं अपराध के तार
आबादी बढ़ने के साथ झुग्गियों का भी विस्तार हुआ है। जिकने तार अक्सर अपराधिक घटनाओं से जुड़ते रहे हैं। झुग्गियों का विस्तार अब शहर के बाहर क्षेत्रों से हुडा सेक्टरों के साथ शहर की पॉस कालोनियों तक हो चुका है। घटना को अंजाम देने के बाद असामाजिक तत्वों के लिए झुग्गियों को सबसे सुरक्षित पनाहगार माना जाता है। झुग्गियों में न केवल असामाजिक गतिविधियों चलाना आसान रहता है, बल्कि पुलिस भी ऐसे क्षेत्रों में घुसने से बचती है।
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