DCRUST में स्वीमिंग पूल बनाने में लाखों का गोलमाल! राज्य सूचना आयोग ने अधिकारियों को किया तलब

हरिभूमि न्यूज. सोनीपत
विवादों में घिरे रहने वाले मुरथल के दीनबंधु छोटूराम विज्ञान एवं प्रोद्योगिकी विश्वविद्यालय (DCRUST) में स्वीमिंग पूल के निर्माण के दौरान घपले का आरोप लगा है। इस मामले में आरटीआई से प्राप्त जानकारी के अनुसार स्वीमिंग पूल में फिल्टर लगाने के नाम पर लाखों रुपये का घपला किया गया है।
इस मामले में आरटीआई एक्टिविस्ट पीपी कपूर ने स्टेट विजिलेंस ब्यूरो को भी विवि के एक अधिकारी के खिलाफ शिकायत की थी, शिकायत पर जब कोई कार्रवाई नहीं हुई तो उन्होंने इस पर आरटीआई लगा दी। आरटीआई का जवाब ना मिलने पर आरटीआई लगाने वाले आरटीआई एक्टिविस्ट पीपी कपूर ने राज्य सूचना आयोग को शिकायत की थी। इस शिकायत के बाद अब राज्य सूचना आयोग ने विजिलेंस विभाग, उच्चतर शिक्षा निदेशालय व तकनीकी शिक्षा निदेशालय के जनसूचना अधिकारियों को नोटिस भेज कर 8 मार्च को तलब किया है। तीनों अधिकारियों पर आरटीआई एक्ट 2005 के तहत सूचनाएं न देने का आरोप है। मामले की सुनवाई मुख्य सूचना आयुक्त यशपाल सिंघल करेंगे।
ये है मामला
आरटीआई एक्टिविस्ट पीपी कपूर ने बताया दीनबंधु छोटू राम यूनिवर्सिटी आफ साइंस एंड टेक्नोलॉजी मुरथल की कंस्ट्रक्शन डिवीजन के अधिकारियों के खिलाफ स्विमिंग पूल निर्माण में फजीर्वाड़े का आरोप लगाते हुए 3 अप्रैल 2021 को स्टेट विजिलेंस ब्यूरो के टॉल फ्री वाट्सअप नम्बर पर सबूतों सहित शिकायत दर्ज कराई थी। शिकायत पर हुई कारवाई का स्टेटस जानने के लिए कपूर ने 8 जुलाई 2021 को विजिलेंस विभाग में एक आरटीआई आवेदन लगाया। कपूर ने बताया कि उनके आरटीआई आवेदन को विजिलेंस विभाग, निदेशालय तकनीकी शिक्षा व निदेशालय उच्चतर शिक्षा विभाग के राज्य जनसूचना अधिकारियों ने खेला होईबे बना डाला। उनके आरटीआई आवेदन को एक दूसरे के पास ट्रांसफर कर सभी ने पल्ला झाड़ लिया। सात महीने बीत गए न तो फजीर्वाड़े की शिकायत पर विजिलेंस ब्यूरो ने कोई कारवाई की और न ही आरटीआई आवेदन का किसी ने कोई जवाब दिया। सूचनाएं न मिलने पर कपूर ने 3 दिसम्बर 2021 को राज्य सूचना आयोग में आरटीआई एक्ट 2005 के सेक्शन 18 (2) के तहत शिकायत की। इसी शिकायत पर राज्य सूचना आयोग ने तीनों विभागों के जन सूचना अधिकारियों को नोटिस भेज 8 मार्च को तलब किया है।
इस फर्जीवाड़े के हैं आरोप
आरटीआई में पीपी कपूर ने आरोप लगाया कि टेंडर एग्रीमेंट की शर्तों के अनुसार स्विमिंग पूल के लिए प्रज्ञा मॉडल 2000 एमएम डायामीटर (टोटल एन्टी कोरोसिव बोबीन वाउंड फिल्टर) के तीन फिल्टर 10,82,174 रुपये प्रति फिल्टर के रेट से लगाने थे। आरोप के अनुसार कंस्ट्रक्शन डिवीजन के अधिकारियों ने मेजरमेंट बुक (एमबी) में भी यही फिल्टर लगाए जाने दर्ज किए गए जबकि मौके पर एटअव कंपनी के 3.20 लाख रु प्रति फिल्टर के रेट से कुल 9,60,000 कीमत के तीन फिल्टर लगा कर ठेकेदार को 32,36,522 रुपये की पेमेंट कर दी। इस तरह रुपये 22,86,522/- का फ्रॉड किया। इसी प्रकार शिकायत में और भी कई घपलों के आरोप लगाए गए हैं।
अधिकारी पर ये आरोप भी लगाए
पीपी कपूर ने स्टेट विजिलेंस ब्यूरो को दी अपनी शिकायत में आरोप लगाया था कि पिछले चुनावों में ड्यूटी से बचने के लिये डीसीआरयूएसटी के एक अधिकारी पर फर्जी मेडिकल बनवाने के आरोप लगे थे, उस दौरान तत्कालीन डीसी अंशज सिंह ने उन्हें नौकरी से स्वैच्छिक सेवानिवृति देने के आदेश भी वर्ष 2019 में दिए थे, लेकिन ये अपने प्रभाव का प्रयोग कर नौकरी कर रहे हैं। इसके अलावा उक्त अधिकारी पर नौकरी करते हुए भी रेगुलर एमटैक करने का भी आरोप लगाया गया था। अधिकारी पर स्वीमिंग पूल के प्रोजेक्ट में 80 हजार रुपये की वेल्यू बैटरी को 3.50 लाख रुपये प्रति बैटरी के हिसाब से तीन बैटरी की पेयमेंट करने का आरोप लगाया था। वहीं पीवीसी पाइप में भी 600 रुपये प्रति मीटर की बजाए 2600 रुपये प्रति मीटर भुगतान करने का आरोप लगाया था। अधिकारी पर पीपी कपूर ने आरोप लगाया था कि ये मनमर्जी से कार्यालय आते हैं और अपने चहेते व निकट संबंधियों को विवि में ही एजेंसी के माध्यम से नौकरी पर लगा रखा है। शिकायत में उक्त अधिकारी की संपत्ति की जांच कराने की मांग की गई थी।
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