मंत्री कंवरपाल ने विधानसभा में फसलों की खरीद के आंकड़े प्रस्तुत किए

मंत्री कंवरपाल ने विधानसभा में फसलों की खरीद के आंकड़े प्रस्तुत किए
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कंवरपाल ने कहा है कि हमारी सोच कभी टकराव की नहीं रही लेकिन विपक्ष टकराव की स्थिति पैदा करने के लिए किसानों को भ्रमित कर रहे हैं। फसलों की रिकॉर्ड खरीद हमारी सरकार ने की है।

हरियाणा के शिक्षा मंत्री कंवरपाल ने कहा है कि हमारी सोच कभी टकराव की नहीं रही लेकिन विपक्ष टकराव की स्थिति पैदा करने के लिए किसानों को भ्रमित कर रहे हैं। फसलों की रिकॉर्ड खरीद हमारी सरकार ने की है। कंवरपाल सदन में कांग्रेस द्वारा लाए गए अविश्वास प्रस्ताव पर बोल रहे थे। उन्होंने कहा कि विपक्ष का उद्देश्य किसानों का हित करना नहीं बल्कि टकराव की स्थिति पैदा करता है।

उन्होंने किसानों के निधन के लिए विपक्ष को सीधे सीधे दोषी ठहराते हुए कहा कि वर्तमान राज्य सरकार ने किसान समृद्धि योजना के तहत किसानों के खातों में 6-6 हजार रुपये सीधे भेजे हैं। कंवरपाल ने आंकड़े प्रस्तुत करते हुए कहा कि मैं धान और गेहूं की खरीद के आंकड़ों की बात नहीं करता क्योंकि इन दोनों फसलों की खरीद में तो हमारी सरकार ने पूर्व की सरकारों के मुकाबले बहुत अधिक खरीद की है।

उन्होंने कहा कि वर्ष 2013-14 में सरसों का एमएसपी घोषित था लेकिन सरसों की एक किलोग्राम भी सरकारी खरीद नहीं हुई जबकि 2020-21 में 7.49 लाख मीट्रिक टन सरसों की सरकारी खरीद 4425 रुपये के समर्थन मूल्य पर की गई। इसीप्रकार, 2013-14 में चना, सूरजमुखी, मक्का और मूंग की भी कोई सरकारी खरीद नहीं हुई जबकि 2020-21 में 10636 मीट्रिक टन चना की 4875 रुपये के एमएसपी पर, 16207 मीट्रिक टन सूरजमुखी की 5650 रुपये के एमएसपी पर, 4016 मीट्रिक टन से अधिक मक्का की 1850 रुपये के एमएसपी पर और 1099.65 मीट्रिक टन मूंग की 7196 रुपये के एमएसपी पर खरीद की गई। इसके अतिरिक्त, 2020-21 में 736000 मीट्रिक टन से अधिक बाजरे की सरकारी खरीद भी की गई जबकि 2013-14 में इसकी सरकारी खरीद नहीं हुई थी।

कंवरपाल ने कहा कि पूर्व की सरकारों ने किसानों की चिंता कभी नहीं की। उन्होंने बहुत सी फसलों का एमएसपी तक घोषित नहीं किया था। उन्होंने कहा कि भाषण से किसान का पेट नहीं भरेगा, कर्म से किसान का कल्याण होगा, जिसके लिए हम दृढ़ संकल्पित हैं। उन्होंने कांग्रेस के सदस्यों से पूछा कि वे बताएं कि कृषि कानूनों में काला क्या है?इसके अतिरिक्त, उन्होंने कहा कि लाल किले पर हुड़दंग मचाने वाले उपद्रवियों के खिलाफ कार्रवाई की गई तो कांग्रेस ने उन अपराधियों को बचाने के लिए वकीलों की फौज खड़ी कर दी।

कैमला के कार्यक्रम का जिक्र करते हुए कंवरपाल ने कहा कि हम चाहते तो कार्यक्रम में अव्यवस्था फैलाने वालों को रोक सकते थे लेकिन हमने लाठीचार्ज नहीं कराई और पुलिस को सख्ती करने की अनुमति नहीं दी। उन्होंने कहा कि कांग्रेस यही चाहती थी कि लाठीचार्ज हो और टकराव बढ़े लेकिन हमने कांग्रेस के मंसूबों को कामयाब नहीं होने दिया। उन्होंने कहा कि कांग्रेस का इतिहास लाठीचार्ज का रहा है। कुलदीप बिश्नोई और उनके समर्थकों पर कांग्रेस सरकार के समय लाठीचार्ज हुआ था। उस लाठीचार्ज में न केवल प्रदर्शनकारियों को बुरी तरह पीटा गया था बल्कि 100 से ज्यादा गाड़ियाें को तोड़ दिया गया था।

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