विधायक वरुण चौधरी बोले, दर्शक दीर्घा में बिठा कर विधायकों को दर्शक बना दिया गया

चंडीगढ़। हरियाणा विधानसभा (Haryana Vidhan Sabha) के एकदिवसीय सत्र में चर्चा की बलि चढ़ी। सभा में बोलने का किसी विधायक को अवसर नहीं दिया गया। प्रश्नकाल,शून्य काल, ध्यानाकर्षण पर कोई चर्चा नहीं हुई। भाजपा सरकार ने कुछ मिनटों में 12 बिल पास किए बिना चर्चा का अवसर दिए जो कि दुर्भाग्यपूर्ण है। विधायक वरुण चौधरी (MLA Varun Chaudhary) ने कहा जब इतना खर्चा हो चुका है, इतनी एहतियात बरती जा रही है तो सत्र क्यों नहीं चलाया जा रहा।
उन्होंने डिप्टी स्पीकर को सत्र शुरू होने से पहले पत्र भी दिया जिसमें लिखा कि छत्तीसगढ़ मे सत्र चल रहा है 4 दिन का,असम में 31 अगस्त से सत्र है 4 दिन का, जो कि बाढ़ प्रभावित भी है और कोरोना के केस भी हरियाणा से ज्यादा है। पड़ोसी हिमाचल प्रदेश में 7 सितंबर 2020 से सत्र है 10 दिन का इसलिए हरियाणा में भी सत्र लंबा चलाया जाए। विधायक सत्र के माध्यम से ही अपनी संवैधानिक जिम्मेदारी को निभा सकते हैं।
जब सत्र में एक के बाद एक विधेयक पास किए जा रहे थे जिन्हें प्रसारित भी नहीं किया गया था, वरुण चौधरी ने सदन में कहा कि इस कार्यवाही को देखकर संविधान निर्माताओं की आत्मा रोती होगी।उन्होंने क्या सोच कर प्रावधान बनाएं और किस प्रकार की कार्यवाही हो रही है। संविधान का पालन भावना से नहीं किया जा रहा है।बेरोजगारी दर में हरियाणा ने पूरे भारत में प्रथम स्थान प्राप्त किया है। यह रिपोर्ट सांख्यिकी विभाग भारत सरकार की है। अपराध दर में हरियाणा देश मे तीसरे स्थान पर है ये रिपोर्ट नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो की है। जिस प्रकार से रजिस्ट्री घोटाला हुआ है ऐसा प्रतीत होता है कि अच्छे दिन हरियाणा में केवल भू-माफिया के आए हैं। 2014 से जनवरी 2020 तक प्रदेश में 970 अवैध कॉलोनी बनी जो कि हजारों एकड़ में फैली है। किसान अध्यादेंशो को लेकर सड़कों पर है,शराब घोटाला, कर्मियों को समय पर वेतन नहीं मिल रहा,व्यापारियों के लिए रोज नए फरमान आते हैं,राशन वितरण सही नहीं हुआ,उसके बाद सरकार ने कोई चर्चा नहीं होने दी। भाजपा सरकार द्वारा घोटालों के लिए आपदा को अवसर बना दिया गया.यह देखना है कि सरकार कब तक कोरोना का सहारा लेगी और जनता के सवालों से बचेगी।
जिस रफ्तार से कार्यवाहीयो को अंजाम दिया जा रहा था, ऐसा प्रतीत हो रहा था जैसे कल कोई आसमान गिरने वाला है। सत्तापक्ष के विधायक भी नहीं बता सकते कि उन्होंने किन बदलावों पर अपनी सहमति जताई है क्योंकि ना पढ़ने का अवसर मिला और ना ही चर्चा का।
वरुण चौधरी ने कहा कि इस तरह से यदि सदन की कार्यवाही करनी है तो सदन को बुलाना ही नहीं चाहिए। विधायको को एक दूसरे से दूरी पर,दर्शक दीर्घा में बिठा कर उन्हें दर्शक ही समझ लिया गया जो कि लोकतंत्र के लिए दुर्भाग्यपूर्ण है। जब उप सभापति महोदय ने सदन में कहा कि प्रश्नों के जवाब दिए माने जाएं ध्यानाकर्षण प्रस्ताव का उत्तर दिया माना जाए,जो कि लिखित में दिए गए, तो विधायक वरुण चौधरी ने कहा कि फिर तो उप सभापति महोदय सदन की कार्यवाही भी करी मान ली जाए, क्यों मात्र औपचारिकता कर रहे हैं। वरुण चौधरी ने ऐसी कार्यवाही को देखते हुए अपनी नाराजगी जताते हुए मंत्रियों को कुछ ही मिनटों में इतने विधेयक (बिल) को पास कराने के रिकॉर्ड के लिए बधाई दी।
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