छोटी सरकार को मिलेंगे मॉडर्न पंचायत भवन, प्रत्येक जिला पार्षद का होगा अपना कार्यालय

छोटी सरकार को मिलेंगे मॉडर्न पंचायत भवन, प्रत्येक जिला पार्षद का होगा अपना कार्यालय
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डिप्टी सीएम दुष्यंत चौटाला ने बताया कि प्रदेश के प्रत्येक जिला मुख्यालय पर ‘मॉडर्न पंचायत भवन’ बनाए जाएंगे, जिनमें जिला परिषद के चेयरमैन के साथ-साथ पार्षदों के बैठने के लिए भी अलग-अलग कमरे बनाए जाएंगे ताकि वहां बैठकर वे अपने-अपने क्षेत्र की विकास योजनाओं का खाका तैयार कर सकें।

हरियाणा के उपमुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला ने बताया कि राज्य सरकार ने प्रदेश की पंचायतीराज संस्थाओं जैसे ग्राम पंचायत, ब्लॉक समिति व जिला परिषद को सशक्त करने की दिशा में कई कदम उठाए हैं। इसी कड़ी में अब सरकार ने निर्णय लिया है कि प्रदेश के हर जिला मुख्यालय पर 'मॉडर्न पंचायत भवन' बनाए जाएंगे। इन भवनों में पहली बार जिला परिषद के पार्षदों को कार्यालय उपलब्ध करवाए जाएंगे।

डिप्टी सीएम, जिनके पास विकास एवं पंचायत विभाग का प्रभार भी है, ने लोक निर्माण (भवन एवं सडक़ें) विभाग के अधिकारियों की बैठक की अध्यक्षता की तथा 'छोटी सरकार' कही जाने वाली पंचायतीराज संस्थाओं के लिए जिला मुख्यालय पर 'मॉडर्न पंचायत भवन' बनाने के लिए तैयार किए गए प्रस्ताव व नक्शा पर चर्चा की और आवश्यक दिशा-निर्देश दिए।

दुष्यंत चौटाला ने बताया कि प्रदेश के प्रत्येक जिला मुख्यालय पर 'मॉडर्न पंचायत भवन' बनाए जाएंगे, जिनमें जिला परिषद के चेयरमैन के साथ-साथ पार्षदों के बैठने के लिए भी अलग-अलग कमरे बनाए जाएंगे ताकि वहां बैठकर वे अपने-अपने क्षेत्र की विकास योजनाओं का खाका तैयार कर सकें। उन्होंने बताया कि इन 'मॉडर्न पंचायत भवनों' में संबंधित विभाग के कार्यालय, मीटिंग-हॉल, प्रदर्शनी-हॉल, स्वयं सहायता समूहों द्वारा तैयार किए गए उत्पादों की बिक्री के लिए दो दुकानें तथा जिम-कम-योगा हॉल बनाया जाएगा।

उपमुख्यमंत्री ने बताया कि राज्य सरकार शक्तियों के विकेन्द्रीकरण में विश्वास रखती है, इसलिए पंचायतीराज संस्थाओं और शहरी स्थानीय निकायों को अनेक अधिकार दिए जा रहे हैं। उन्होंने बताया कि इन संस्थाओं को स्वच्छता, जल संरक्षण, फसल अवशेष जलाने में कमी लाने जैसे विभिन्न कार्यों पर निगरानी रखने की शक्तियां प्रदान की हैं। उन्हें गांव में शराब का ठेका खोलने या न खोलने की शक्तियां भी दी हैं। उन्होंने यह भी बताया कि पंचायती राज संस्थाओं और शहरी स्थानीय निकायों की वित्तीय स्थिति मजबूत करने के लिए सम्पत्ति के पंजीकरण पर लगाए गए स्टाम्प शुल्क का दो प्रतिशत राजस्व प्रदान करने का निर्णय लिया गया है।

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