Monsoon : पूर्वानुमानों को मानसून अभी भी देता दगा, पश्चिमी विक्षोभ के अनुमान 95% सही

अमरजीत एस गिल : रोहतक
मौसम विज्ञान विभाग द्वारा बीते एक दशक में पश्चिमी विक्षोभ को लेकर जितने भी पूर्वानुमान जारी किए, उनमें से 90-95 प्रतिशत सही साबित हुए हैं। लेकिन जब मानसून का सीजन शुरू होता है तो पूर्वानुमान 60-70 फीसदी तक भी स्टीक नहीं होते। इस समय मानसून का सीजन है। मौसम विज्ञान द्वारा लगातार पूर्वानुमान जारी किए जा रहे हैं कि उस दिन बरसात हो। परंतु ऐसा नहीं हो रहा है। जिसकी वजह से फोरकास्ट पर किसान सवालिया निशान लगा रहे हैं। क्योंकि पूर्वानुमान के मुताबिक किसान अब फसलों की बिजाई-रोपाई करते हैं।
हरियाणा उत्तरी पश्चिमी भारत के अंतिम छौर पर है। दक्षिणी-पश्चिमी मानसून अरब सागर और बंगाल की खाड़ी से यहां पहुंचता है। जब पहुंचता है तो उसमें नमी की मात्रा कितनी और हवाओं की गति क्या है। इसका विश्लेषण करके पूर्वानुमान जारी किए जाते हैं। डॉ. खिचड़ कहते हैं कि अगर एकदम से हवाओं का रूख बदल जाए औ जिस क्षेत्र में बारिश का फोरकास्ट जारी किया गया है, वहां की गति और दिशा में परिवर्तन हो जाए तो फिर पूर्वानुमान के मुताबिक बारिश नहीं हो पाती। इन्होंने बताया कि हाल के वर्षों में उसकी भविष्यवाणियों की स्टीकता में काफी सुधार आया है। पहले जहां मानसून पूर्वानुमान महज 60 फीसदी तक सही होते थे, वे अब 80 फीसदी तक स्टीक साबित होने का दावा डॉ. खिचड़ ने किया है।
पूर्वानुमान से नहीं हो रही बारिश
जुलाई के पहले सप्ताह में फोरकास्ट रिलिज हुआ कि सूमचे हरियाणा में 6-7 जुलाई को भारी बारिश होगी। प्रशासनिक मशीनरी किसी भी आपात स्थिति से निपटने की तैयारियों में जुट गई। लेकिन पूर्वानुमान के मुताबिक बारिश नहीं हुई। इसके बाद फिर एक और फाेरकास्ट जारी हुआ कि 9 से 11 जुलाई तक राज्य में तेज हवाओं के साथ बरसात होगी। यह पूर्वानुमान भी सही नहीं निकला।
खेती पर पड़ रहा प्रतिकूल असर
मौसम विज्ञान विभाग अब खंड स्तर के मौसम पूर्वानुमान जारी करता है। ऐसे में किसान पूर्वानुमान के मुताबिक ही फसलों की बिजाई-रोपाई करता है। लेकिन मानसून सीजन में फोरकास्ट के मुताबिक बारिश नहीं होती है। जिसके चलते किसानों को दिक्कतें होती हैं। मान लें फसल की बिजाई करनी है। पूर्वानुमान जारी किया गया है कि फ्लां दिनों में बरसात होगी। उस दौरान किसान पैसे बचाने के लिए खेत की सिंचाई नहीं करेगा। अगर बारिश नहीं होती है तो फिर किसान को सिंचाई भी करनी पड़ेगी और बिजाई में भी देरी होगी। जिससे पैदावार पर भी प्रतिकूल असर पड़ना स्वाभाविक है।
मानसून का क्षेत्र बताना मुश्किल कार्य
मानसून में एक खेत में बारिश हो जाती है और जबकि उसके साथ वाले में नहीं होती। इसकी वजह होती है कि मानसून में बादलों के चलने की गति काफी होती है। विभागाध्यक्ष ने बताया कि मानसून में ट्रफ बनता है। ट्रफ में हवाएं किसी एक जगह पर एकत्र होती हैं और वहां कम दबाव का क्षेत्र बनकर बादल बनते हैं। हवाओं के साथ नमी भी एकत्र होती है। इससे उन क्षेत्रों में बारिश होती है। पश्चिमी विक्षोभ सक्रिय होने के पूर्वानुमान इसलिए सही साबित हाेते हैं कि हवाओं के रूख में बदलाव नहीं होता। यह पता होता है कि वेस्टर्न डिस्टरबेंस कितने बड़े एरिया को कवर करने जा रहा है। जबकि मानसून में क्षेत्र के बारे में बताना थोड़ा मुश्किल होता है, जहां भी बारिश होने की परिस्थितियां बन जाती हैं, वहीं पर बारिश होती है। -डॉ. एमएच खिचड़, चौधरी चरण सिंह कृषि विश्वविद्यालय, हिसार
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