सरसों तेल की बढ़ती कीमतों पर सांसद दीपेंद्र ने जताई चिंता, सरकार से मांगा जवाब

सरसों तेल की बढ़ती कीमतों पर सांसद दीपेंद्र ने जताई चिंता, सरकार से मांगा जवाब
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सांसद दीपेंद्र ने कहा कि सरकार की जनविरोधी और रोक लगाने, हटाने वाली लगातार बदलती नीतियों के चलते मुनाफाखोरी, कालाबाजारी को बढ़ावा मिल रहा है। जिसका सीधा खामियाजा आम लोगों को खाने का तेल महंगे दाम पर खरीदकर चुकाना पड़ रहा है।

चंडीगढ़। सांसद दीपेंद्र हुड्डा ने सरसों तेल की आसमान छूती कीमतों पर गहरी चिंता जताते हुए कहा कि हिंदुस्तान के अधिकांश गरीब अपने खाने में सरसों तेल का इस्तेमाल करते हैं। लेकिन बड़ी कंपनियों को फायदा पहुंचाने की सरकार की नीतियों के चलते सरसों का तेल गरीबों की पहुंच से बाहर हो गया है। बाजार में एक लीटर वाले सरसों तेल की बोतल करीब 214 रुपये की एमआरपी पर बिक रही है। सरकार की जनविरोधी और रोक लगाने, हटाने वाली लगातार बदलती नीतियों के चलते मुनाफाखोरी, कालाबाजारी को बढ़ावा मिल रहा है। जिसका सीधा खामियाजा आम लोगों को खाने का तेल महंगे दाम पर खरीदकर चुकाना पड़ रहा है।

दीपेंद्र ने कहा कि इस महंगाई के चलते आम गृहणियों के रसोई का बजट भी बिगड़ता जा रहा है। दीपेंद्र हुड्डा ने मांग करी कि सरसों तेल के बढ़ते दामों पर तत्काल अंकुश लगाया जाए, ताकि लोगों को राहत मिल सके। उन्होंने भारत सरकार ने घरेलू खपत के लिये शुद्ध सरसों तेल के उत्पादन और बिक्री को बढ़ावा देने के नाम पर पिछले साल 1 अक्टूबर, 2020 से सरसों तेल में ब्लेंडिंग पर पूरी तरह से रोक लगा दी थी। इसका परिणाम ये हुआ कि 100 रुपये प्रति लीटर के आस-पास बिकने वाले सरसों तेल की कीमत 170 रुपये के आस-पास पहुंच गयी। लेकिन 2 महीने के अंदर ही बड़ी तेल कंपनियों के दबाव में सरकार ने सरसों के तेल में अन्य खाद्य तेल मिलाने पर पाबंदी की रोक 4 दिसंबर, 2020 को वापस ले ली लेकिन, कंपनियों ने सरसों तेल के दाम नहीं घटाए।

अब एक बार फिर 8 जून 2021 से सरकार ने ब्लेंडिंग पर रोक लगा दी है। दीपेंद्र हुड्डा ने सरकार से जवाब मांगा कि सरकार ने 9 महीने पहले अक्टूबर 2020 में ब्लेंडिंग पर रोक लगायी तो फिर उसे दिसंबर 2020 में वापस किस आधार पर लिया। ऐसा क्या हुआ कि सरकार को दो महीनों के अंदर ही अपने आदेश को वापस लेना पड़ा। अब फिर से उसी प्रकार की रोक का आदेश क्यों जारी किया।

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