प्री-वाइब्रेंट गुजरात सम्मेलन : सांसद सुनीता दुग्गल को आठ राज्यों का बनाया प्रभारी

हरिभूमि न्यूज. फतेहाबाद
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के कुशल नेतृत्व में केंद्र सरकार द्वारा किसानों की आय बढ़ाने तथा कृषि को बदलने के लिए गंभीरता से कार्य किया जा रहा है। इसी उद्देश्य से किसान हित में केंद्र सरकार द्वारा कई कारगर योजनाएं क्रियांवित की गई है। किसान प्राकृतिक खेती को अपनाकर अधिक से अधिक लाभ कमाएं, इसके लिए 14 से 16 दिसंबर, 2021 तक गुजरात के आणंद में प्री-वाइब्रेंट गुजरात समिट-2021 का आयोजन किया जा रहा है।
सिरसा लोकसभा क्षेत्र की सांसद सुनीता दुग्गल संसद में लगातार किसानों के हितों की आवाज बुलंद करती हैं और धरातल स्तर पर किसानों को योजनाओं का लाभ मिले, इसके लिए निरंतर प्रयासरत रहती है। सांसद की इसी कार्य कुशलता को देखते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उन्हें आठ राज्यों जिसमें असम, मेघालय, अरुणाचल प्रदेश, मणिपुर, मिजोरम, नागालैंड, त्रिपुरा, सिक्किम राज्यों का प्रभारी का दायित्व सौंपा गया है ताकि सम्मेलन में अधिक से अधिक किसानों की भागीदारी हो और ब्लॉक स्तर पर किसानों को प्राकृतिक खेती अपनाने का संदेश मिले।
सम्मेलन में अधिक से अधिक किसानों की भागीदारी सुनिश्चित करने के उद्देश्य से सांसद सुनीता दुग्गल ने सभी आठ राज्यों के किसान संगठनों के प्रतिनिधियों से वर्चुअल बैठक की और सम्मेलन में अधिक से अधिक किसानों की भागीदारी सुनिश्चित करने की रूपरेखा तैयार की और आवश्यक दिशा निर्देश भी दिए। सांसद सुनीता दुग्गल ने बताया कि राज्यों में एटीएमए नेटवर्क भी किसानों को प्राकृतिक खेती के अभ्यास और लाभों के बारे में जानने और जानने के लिए इस कार्यक्रम को लाइव देखने के लिए जोड़ेंगे। इसके अतिरिक्त, देश भर के किसान और लोग पीएमइंडियावेबकास्ट डॉट निक डॉट इन लिंक के माध्यम से सम्मेलन में भाग ले सकते हैं या इसे दूरदर्शन पर लाइव देख सकते हैं।
सांसद सुनीता दुग्गल ने बताया कि सरकार ने पिछले छह वर्षों के दौरान किसानों की आय बढ़ाने के लिए कृषि को बदलने के लिए कई उपाय शुरू किए हैं। किसान बाजार की मांग के अनुसार प्राकृतिक खेती अपना कर अधिक से अधिक मुनाफा कमा सकते हैं। प्राकृतिक खेती अपनाने से न केवल फसल के उत्पादन में वृद्धि होती है बल्कि मिट्टी का स्वास्थ्य भी बढ़ता है। इसके अलावा किसान भाई फसल विविधीकरण अपना कर तथा कम पानी में अधिक पैदावार हासिल कर सकते हैं, जिससे फसल पर कीट एवं रोगों में कमी आती है, इसके साथ-साथ यह प्रणाली पर्यावरण संतुलन में भी मददगार साबित होती है।
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