निकाय चुनाव : अदालत के निर्णय से बदले सियासी मिजाज, सभी दलों के धुरंधर नेता फिर से सक्रिय

हरिभूमि न्यूज. बहादुरगढ़
नगर परिषद के अध्यक्ष की कुर्सी पर काबिज होने का सपना देख रहे पिछड़ा वर्ग के नेताओं को हाईकोर्ट का निर्णय रास नहीं आ रहा। इसे लेकर भाजपा के बीसी नेताओं ने बैठक कर सरकार से नगराध्यक्ष की सीट उनके लिए ही आरक्षित रखने की गुहार लगाई है। हालांकि दूसरी तरफ अदालत के निर्णय के बाद सभी दलों के धुरंधर नेता फिर से सक्रिय हो गए हैं। उनके चुनाव लड़ने की उम्मीद फिर से जाग गई है। इंटरनेट मीडिया के साथ ही आमजन में भी इसे लेकर चर्चाएं आम हैं। बहरहाल, सबकी नजर सोमवार को होने वाली चुनाव आयोग की प्रेस कॉन्फ्रेंस पर टिकी हुई हैं।
बता दें कि बहादुरगढ़ नगर परिषद का गत चुनाव 22 मई 2016 को हुआ था और चयनित बोर्ड का कार्यकाल 23 जून 2021 को समाप्त हो चुका है। इसके बाद सरकार ने चुनाव करवाने के क्रम में बहादुरगढ़ नप के अध्यक्ष का पद पिछड़ा वर्ग की महिला के लिए आरक्षित कर दिया। बावल निवासी नागरिक की याचिका पर सुनवाई करते हुए पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट ने सुप्रीम कोर्ट द्वारा मध्यप्रदेश के संदर्भ में दिए गए निर्णय का हवाला देते हुए बगैर आरक्षण के चुनाव करवाने के आदेश दिए। इस पर सरकार ने भी चुनाव करवाने के लिए गेंद चुनाव आयोग के पाले में डाल दी। अब सोमवार को चुनाव आयोग की प्रेस कॉन्फ्रेंस में इसे लेकर घोषणा होने की संभावना है।
उधर, भाजपा से जुड़े पिछड़ा वर्ग के स्थानीय नेताओं ने राज्य सरकार से बहादुरगढ़, बावल, झज्जर व नांगल चौधरी निकायों के अध्यक्ष पद को बीसी वर्ग के लिए ही आरक्षित रखकर चुनाव करवाने की पुरजोर मांग की है। भाजपा पिछड़ा वर्ग प्रकोष्ठ के जिलाध्यक्ष धर्मबीर वर्मा, पूर्व नगर पार्षद राजपाल शर्मा, जसबीर सैनी, ठेकेदार सुनील जांगड़ा, विनोद यादव व रामकुमार सैनी आदि का कहना है कि भाजपा सरकार बनाने में ओबीसी समाज का बड़ा योगदान रहा है। निकाय अध्यक्ष पदों पर भी ओबीसी समाज का हक बनता है। उन्होंने सीएम मनोहर लाल व प्रदेशाध्यक्ष ओमप्रकाश धनखड़ से चार निकायों के प्रधान पदों पर ओबीसी का आरक्षण बहाल रखने का आग्रह किया है।
वहीं दूसरी ओर अदालती निर्णय के बाद सामान्य वर्गों के नेताओं में भी उत्साह लौट आया है। नगराध्यक्ष का पद बीसी महिला के लिए आरक्षित होने के बाद वार्ड तक सीमित होने वाले ब्राह्मण, पंजाबी, जाट, वैश्य, राजपूत और अनुसूचित जाति के नेताओं ने भी भाग-दौड़ शुरू कर दी। भाजपा, कांग्रेस, इनेलो, जजपा व आप में शामिल सभी जातियों के नेताओं ने प्रधान बनने के सपने देखने शुरू कर दिए हैं। आमजन में भी यही चर्चा है कि हाईकोर्ट के आदेश के बाद नगरीय सरकार के चुनाव में जोरदार टक्कर देखने को मिलेगी। हालांकि यह संशय अभी बना हुआ है कि प्रधान का पद महिला के लिए आरक्षित रहेगा अथवा सामान्य रहेगा।
© Copyright 2025 : Haribhoomi All Rights Reserved. Powered by BLINK CMS
-
Home
-
Menu
© Copyright 2025: Haribhoomi All Rights Reserved. Powered by BLINK CMS