हरियाणा में निकाय चुनाव पर फिर लगा ग्रहण, अब अगले साल होने की संभावना

हरियाणा में निकाय चुनाव पर फिर लगा ग्रहण, अब अगले साल होने की संभावना
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प्रदेशभर के 45 नगर परिषदों और पालिकाओं का कार्यकाल अब से पहले हो चुका है पूरा, जनप्रतिनिधि नहीं बल्कि अफसरों के हाथों में सौंपी बागडोर, अभी इसी तरह से चलेगा काम।

योगेंद्र शर्मा. चंडीगढ़

कोविड संक्रमण की दो लहरें झेल चुके जिन लोगों प्रदेश की नगर पालिकाओं, परिषदों में खाली हुए जनप्रतिनिधियों के पदों को भरने में अभी भी वक्त लगेगा। अब प्रदेशभर में 45 नगर निकायों का चुनाव नए साल में ही संभव हो सकेगा । यह बात अलग है कि राज्य चुनाव आयुक्त सरकार की ओर से इशारा होनेके साथ ही चुनाव कराने के लिए तैयार है।

पिछले लंबे समय से राज्यभर के विभिन्न शहरों में नगर परिषद और नगर पालिका चेयरमैन, पार्षदों के पद चुनाव नहीं होने के कारण खाली पड़े हुए हैं। वार्डों में आरक्षण आदि की प्रक्रिया भी पूरी कर ली गई है। आरक्षण को लेकर पहली बार में हुए ड्रा को लेकर कुछ शिकायतों व फीडबैक के आधार पर अफसरों ने इसे दोबारा से करने का फैसला लिया था। लेकिन पूरे मामले में हरियाणा शहरी निकाय मंत्री अनिल विज ने सभी अफसरों से विचार मंथन और फील्ड में बातचीत करने के बाद पारदर्शी तरीके से किए गए आरक्षण ड्रा को इसी तरह से रहने देने का निर्देश जारी कर दिया गया। जिसके बाद में दूसरी बार आऱक्षण के लिए ड्रा करने के फैसले को टाल दिया गया।

पहले कोविड संक्रमण और दूसरी लहर के कारण मामला पचड़े में पड़ा रहा। वहीं बाद में आऱक्षण को लेकर मामला लटकता हुआ दिखाई दिया। लेकिन लंबे समय से जनप्रतिनिधियों की बजाय अफसरशाही के हाथों में कमान होने के कारण लोग भी परेशान हो चुके हैं। इस तरह से आने वाले वक्त में माहौल पूरी तरह से ठीक रहा, तो नए साल में ही ये चुनाव संभव हो सकेंगे।

35 के करीब निकायों में होने हैं, चुनाव

प्रदेश के अंदर 45 लगभग नगर परिषदें और नगर पालिकाओं में चुनाव होने हैं। इसका लंबे समय से लोगों द्वारा इंतजार किया जा रहा है। लगातार कईं प्रकार की चुनौतियों के कारण इनमें जनप्रतिनिधियों को बागडोर सौंपे जाने में देरी हो रही है। कुल मिलाकर इन सभी की बागडोर अफसरों के हाथों में बतौर प्रशासक है।

चुनाव आयुक्त बोले- हम चुनाव के लिए पूरी तरह तैयार

हरियाणा राज्य चुनाव आयुक्त दिलीप सिंह का कहना है कि हम चुनाव के लिए पूरी तरह से तैयार हैं। सरकार की ओर से जैसे ही हरिझंडी मिलने के बाद में प्रक्रिया की शुरुआत कर दी जाएगी। लेकिन आयुक्त मानते हैं कि अब चुनाव नए साल में ही हो पाए क्योंकि उनको भी चुनाव कराने के लिए वक्त चाहिए। चुनाव आयोग आफिस आयुक्त आफिस पहले भी इस बारे में पत्र भेजकर इस बारे में स्थिति पर नजर रखे हुए है।

सियासी पार्टियों की नजरें इन चुनावों पर भी टिकी

सियासी पार्टी और इनके नेताओं की नजरें इस पर टिकी हुई हैं। भाजपा की ओऱ से सबसे पहले चुनाव प्रबंधन समितियों का गठन किया गया। कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष सैलजा और नेता विपक्ष भूपेंद्र हुडडा नेता विपक्ष और पूर्व सीएम, इनेलो से अभय सिंह चौटाला सभी इन चुनावों मे देरी किए जाने को लेकर सत्तापक्ष पर चुनाव से बचने के आरोप लगा रहे हैं। लेकिन पंचायत चुनावों में देरी कानूनी पचड़े के कारण और निकाय चुनावों में अड़चन कोविड के कारण पड़ी। शहरी निकाय मंत्री अनिल विज मानते हैं कि निकायों में बड़ी संख्या में चुनाव होना है। लेकिन लगातार अहम कारणों कोविड और बाकी कारणों से चुनावों मे देरी हुई है। लेकिन सबसे पहला काम लोगों की जान बचाने की जिम्मेदारी हमारे ऊपर है।। सभी निकायों में प्रशासक नियुक्त किए गए हैं।

अप्रैल और मई में होने थे चुनाव

शहरी निकाय विभाग की ओर से प्रशासनिक अफसरों को फिलहाल, जिम्मेदारी दी घई है। लेकिन निकायों में अप्रैल-मई में ही चुनाव प्रस्तावित था कोरोना ने यहां पर भी पहिया थाम दिया था। शहरी निकाय विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव आफिस की ओर से जारी हुए पिछले दिनों नोटिफिकेशन में फतेहाबाद, समालखा, फिरोजपुर झिरका, पुन्हाना, गोहाना, असंध, होडल, पलवल, सोहना, तावडू, निसिंग, चीका, मंडी डबवाली, चरखी दादरी, झज्जर, महम, रानियां, जींद, कैथल, राजौंद, पेहवा, थानेसर,, हांसी, कलावाली, उचाना, बहादुरगढ़, नरवाना, टोहाना, महेंद्रगढ़, लाडवा, शाहबाद, घरौंडा, सफीदों, गन्नौर, भुना, बावल, ऐलनाबाद, नांगल चौधरी, नारनौल, नूह, नारायणगढ़, रतिया व बरवाला सहित 45 में कार्यकाल पूरे हो चुके हैं।

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