दिन-प्रतिदिन सरसों हो रही महंगी, बढ़ते दामों को देखकर घर में ही रख रहे किसान

दिन-प्रतिदिन सरसों हो रही महंगी, बढ़ते दामों को देखकर घर में ही रख रहे किसान
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अब किसान अपनी सरसों की फसल को घरों में रखने लगे हैं। किसानों का कहना है कि यह आठ हजार रुपये प्रति क्विंटल होगी तभी बेचेंगे। कुछ किसान अपनी सरसों की फसल बेच भी चुके हैं। लेकिन काफी किसानों ने अभी तक बिक्री नहीं की है।

अजमेर गोयत : महम

अबकी बार बारानी क्षेत्र के किसानों की सरसों फसल उनके लिए संकट मोचन साबित हो रही है। आलम यह है कि रोज रोज बढ़ रहे भावों के मध्येनजर किसानों ने फसल बेचने से ही परहेज कर लिया है। अब किसान अपनी सरसों की फसल को घरों में रखने लगे हैं। किसानों का कहना है कि यह आठ हजार रुपये प्रति क्विंटल होगी तभी बेचेंगे। कुछ किसान अपनी सरसों की फसल बेच भी चुके हैं। लेकिन काफी किसानों ने अभी तक बिक्री नहीं की है। सबसे पहले निकलते ही सरसों 4850 रुपये प्रति क्विंटल से शुरू हुई थी। सरकार द्वारा सरसों का एमएसपी 4650 रुपये प्रति क्विंटल तय किया हुआ था। लेकिन अबकी बार किसान को सरकारी रेट पर बेचनी ही नहीं पड़ी। यहां तक कि भाव को देखते हुए काफी किसानों ने ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन भी नहीं कराया था विभागीय अधिकारियों की माने तो सरसों की प्राइवेट खरीद को लेकर इस बार बड़ा रिकार्ड बनने वाला है।

आढ़ती एसोसिएसन के प्रधान धर्मबीर सिवाच व आढ़ती अजय नेहरा ने बताया कि सरसों का भाव सबसे ज्यादा राजस्थान में है। जयपुर की मंडी में अबतक सबसे ज्यादा भाव सात हजार रुपये प्रति क्विंटल बिक चुकी है। जबकि हरियाणा में आदमपुर मंडी सबसे तेज रही है। वहां पर 6600 रुपये सरसों बिक रही है। उनका मानना है कि सरसों अबकी बार आसमान छू सकती है।

कस्बे के आस पास के क्षेत्र में होती सरसों की बिजाई

महम कस्बे के आस पास का क्षेत्र सिंचाई के लिहाज से पूरी तरह बरसात पर ही निर्भर है। यहां पर न जमीनी पानी ही अच्छा है और न ही नहर का पानी भरपूर मात्रा में मिल पाता है। इसलिए इस क्षेत्र के अधिकतर भाग में सरसों की बिजाई की जाती है। अबकी बार बरसात के मौसम में भी बरसात न होने के कारण किसानों ने सरसों की कम पैदावार कम बताई है। लेकिन भाव बढ़ने से किसानों के वारे न्यारे होते दिखाई दे रहे हैं। किसानों का कहना है कि अगर भाव में इसी तरह तेजी रही तो अगले सीजन में गेहूं का रकबा घट कर सरसों के रकबे में बढ़त हो सकती है।

महंगी होने का मुख्य कारण

जानकारों का मानना है कि इस बार सरकार ने विदेशों से पाम आयल के आयात पर रोक लगा दी है। पाम आयल का इस्तेमाल रिफाइंड बनाने में होता है। पाम आयल का आयात बंद है, इसलिए सरसों के तेल की मांग बहुत अधिक हो गई है और सरसों के भाव आसमान छू रहे हैं। सरसों का समर्थन मूल्य 4,650 रुपये है लेकिन यह खुले बाजार में ही 6350 रुपये के भाव में बिक रही है। यही कारण है कि इस बार सरकार को सरसों की सरकारी खरीद करने की जरूरत ही नहीं पड़ रही। सरसों तेल 140 से 155 रुपये प्रति लीटर बिक रहा है।

दो दिन से नहीं बेचने आया किसान

बांके बिहारी ऑयल मिल के मालिक विपुल संगला व मित्तल एग्रो ऑयल मिल के मालिक सोनू मित्तल का कहना है कि ज्यों ही भाव में उछाल आया है किसानों ने सरसों रोक ली है। दोनों मिलों में पिछले दो दिनों से एक भी दाना नहीं खरीदा गया है।

सरकार को भी फायदा

सरसों के अधिक भाव से सिर्फ किसानों को ही फायदा नहीं हो रहा है बल्कि सरकार को भी करोड़ों का फायदा हो रहा है। हल्दी लगे ने फिटकरी रंग भी चोखा वाली कहावत पूरी तरह से सही साबित हो रही है। बिना सरकारी खरीद किए भी प्रति क्विंटल सरसों खरीद पर मार्केट कमेटी को मार्केट फीस मिल रही है। महम मार्केट कमेटी सचिव देवीराम ने बताया कि अब तक महम मिल मालिकों द्वारा 9627 क्विंटल सरसों खरीद पर 495116 रुपये की मार्केट फीस जमा कराई जा चुकी है। बड़ी बात यह है कि इस बार सरकार को सरसों खरीद के लिए कोई मशक्कत नहीं करनी पड़ रही है। किसानों का कहना है कि अभी हेफेड व बाबा रामदेव के लिए सरसों की खरीद नहीं हुई है। अप्रैल के अंत तक सरसों की प्राइवेट खरीद निश्चित तौर पर रिकार्ड तोड़ेगी।

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