नमाज विवाद : हरियाणा के अधिकारियों के खिलाफ अवमानना कार्रवाई के लिए याचिका, Supreme Court करेगा सुनवाई

नई दिल्ली : उच्चतम न्यायालय (Supreme Court) गुरुग्राम में जुमे की नमाज अदा करने में कथित व्यवधान को लेकर हरियाणा सरकार(Haryana Government) के शीर्ष अधिकारियों के खिलाफ अवमानना कार्रवाई के लिए दायर याचिका तत्काल सूचीबद्ध करने पर सोमवार को तैयार हो गया। यह याचिका पूर्व सांसद मोहम्मद अदीबी ने दायर की है।
प्रधान न्यायाधीश एनवी रमण, न्यायमूर्ति एसएस बोपन्ना और न्यायमूर्ति हिमा कोहली की पीठ ने अदीबी की याचिका पर वरिष्ठ अधिवक्ता इंदिरा जयसिंह के कथन पर गौर किया। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार के अधिकारी 2018 के शीर्ष अदालत के फैसले का पालन नहीं कर रहे हैं, जिसमें घृणा अपराधों को रोकने के लिए कई निर्देश जारी किए गए थे। जयसिंह ने कहा, यह केवल समाचार पत्र की खबरों पर आधारित नहीं है, हमने खुद शिकायत की है। हम प्राथमिकी दर्ज करने के लिए नहीं कह रहे। इस अदालत ने ही कई उपाय सुझाए हैं।'' प्रधान न्यायाधीश ने कहा, '' मैं इस पर गौर करूंगा और इसे तुरंत उचित पीठ के समक्ष सूचीबद्ध करूंगा।
हरियाणा के मुख्य सचिव और पुलिस महानिदेशक के खिलाफ कार्रवाई की मांग
अदीब ने तहसीन पूनावाला की याचिका पर पारित पूर्व फैसले का पालन नहीं करने के लिए हरियाणा के मुख्य सचिव और पुलिस महानिदेशक के खिलाफ कार्रवाई की मांग करते हुए अवमानना याचिका दायर की है। गुरुग्राम में खुले में निर्दिष्ट स्थानों पर नमाज अदा करने में व्यवधान की कथित घटनाएं हुई हैं। शीर्ष अदालत ने 2018 में, केन्द्र और राज्यों को दिशानिर्देश जारी किए थे, जिसमें उन्हें कानून लागू करने वाले अक्षम अधिकारियों के खिलाफ त्वरित सुनवाई करने, पीड़ित को मुआवजा देने, निवारक सजा देने और अनुशासनात्मक कार्रवाई जैसे कदम उठाने के लिए कहा गया था। एक दिशा निर्देश अनुसार, राज्य प्रत्येक जिले में एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी को नोडल अधिकारी के रूप में नामित करेंगे, जो पुलिस अधीक्षक रैंक से कम का नहीं हो। ये अधिकारी भीड़ द्वारा की जाने वाली हिंसा और पीट-पीट कर हत्या की घटनाओं को रोकने के लिए कदम उठाने के लिए एक कार्यबल का गठन करेंगे, जो एक डीएसपी-रैंक के अधिकारी के निर्देश तहत काम करेगा। दिशानिर्देश अनुसार, कार्यबल ऐसे लोगों के बारे में खुफिया जानकारी एकत्रित करेगा, जिनके ऐसे अपराध करने की आशंका है या जो नफरत फैलाने वाले भाषणों, भड़काऊ बयानों और फर्जी खबरों को फैलाने में शामिल हैं। वहीं, राज्य सरकारें उन जिलों, उप-मंडलों और गांवों की तत्काल पहचान करेंगी, जहां हाल के दिनों में भीड़ द्वारा पीट-पीट कर हत्या करने और हिंसा की घटनाएं सामने आई हैं।
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