स्वच्छता के नाम पर नेताओं ने खूब फोटो खिंचाई, लेकिन बहादुरगढ़ में नहीं सुधरे हालात-ए-सफाई

स्वच्छता के नाम पर नेताओं ने खूब फोटो खिंचाई, लेकिन बहादुरगढ़ में नहीं सुधरे हालात-ए-सफाई
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कई जगहों पर दूषित जला भरा हुआ है, बीमारियां फैलने का खतरा मंडरा रहा है। लेकिन देखने वाला कोई नहीं है। ट्रिपल इंजन सरकार विकास के दावे तो कर रही है। लेकिन, शहर की सफाई व्यवस्था बेपटरी है। जनहित से जुड़े शहर की सफाई जैसे मुद्दे पर काम की बजाय केवल राजनीति की जा रही है।

बहादुरगढ़। महात्मा गांधी की जयंती के एक दिन पहले नेताओं ने शहर में कई स्थानों पर स्वच्छता के लिए झाडू हाथ में पकड़ी थी और खूब तस्वीरें भी खिंचवाई, लेकिन इसके उल्ट शहर में अनेक स्थानों पर कचरा फैला है। कई जगहों पर दूषित जला भरा हुआ है, बीमारियां फैलने का खतरा मंडरा रहा है। लेकिन देखने वाला कोई नहीं है। ट्रिपल इंजन सरकार विकास के दावे तो कर रही है। लेकिन, शहर की सफाई व्यवस्था बेपटरी है। जनहित से जुड़े शहर की सफाई जैसे मुद्दे पर काम की बजाय केवल राजनीति की जा रही है।

महात्मा गांधी को स्वच्छता का आदर्श पुरुष माना जाता है और उन्हीं के नाम पर मोदी सरकार ने जयंती के एक दिन पहले गांधी जी को स्वच्छांजलि देने के लिए स्वच्छता अभियान चलाया। इसमें मंत्री, सांसद, विधायक, प्रधान व पार्षद आदि के साथ सफाई कर्मचारी व अधिकारी जुटे थे। अभियान के दौरान जहां बड़े पदों पर बैठे लोगों ने हाथ में झाड़ू थाम कर जनता को साफ-सफाई के प्रति अधिक जागरूक होने का संदेश दिया। वहीं, तमाम जगहों पर यह अभियान महज एक औपचारिकता और फोटो सेशन तक सीमित रह गया। शहर की गलियों से लेकर शहीद स्मारक तक में साफ-सफाई की गई और खूब फोटो भी खिचवाएं। फोटो देखकर लग रहा था कि शहर आज पूरी तहर स्वच्छ हो जाएगा। लेकिन धड़ाधड़ क्लिक किए गए चित्रों में सफाई से ज्यादा नेताओं को फोकस में रखा गया।

शहर के पुराने बस अड्डे में सड़ चुका पानी नेताओं के झूठे दावों की पोल खोल रहा है। सिटी मेट्रो स्टेशन से नीचे उतरते ही यात्रियों को बहादुरगढ़ की सफाई व्यवस्था से रूबरू होने का मौका मिल जाता है। सेक्टर-2 के पार्कों व खाली प्लॉटों में भरे पानी में काई जम चुकी है। कई गलियों में सीवर का पानी भरा है। छोटूराम नगर में ज्यादातर गलियों में गंदगी के देर लगे हैं। अधिकांश खाली प्लॉटों में जलभराव मच्छरों का ठिकाना बना है। औद्योगिक क्षेत्रों में भी सफाई का बुरा हाल है। सेक्टर-17 में नाले का पानी सड़क पर भरा है। एमआईई में भी गंदगी की भरमार है। लाइनपार समेत शहर के कई इलाकों में कूड़े के ढेर स्वच्छता पखवाड़े की कलई खोल रहे हैं। ऐसे में शासन-प्रशासन को चाहिए कि दिखावा छोड़कर सफाई व्यवस्था को पुख्ता करने का प्रयास किया जाए।

बेशक सरकार के अभियान में भागीदार बनकर अनेक भाजपा नेताओं और कार्यकर्ताओं ने अपनी मौजूदगी बढ़़-चढ़कर दिखाने की कोशिश की। आम जनता को स्वच्छता के प्रति अधिक संवेदनशील होने का संदेश देने के मकसद के साथ नेताओं ने हाथ में झाड़ू तो थामी, लेकिन चंद मिनटों के सफाई अभियान पर फोटो सेशन हावी हो गया। परिणामस्वरूप शहर के विभिन्न इलाकों में गंदगी बरकरार है। जलभराव से हालात बिगड़े नजर आ रहे हैं। गंदे पानी में पल रहे मच्छर लोगों को बीमार कर रहे हैं। हर बार की तरह इस बार भी स्वच्छता पखवाड़े के नाम पर केवल लकीर पीटी गई। नेताओं ने अपने तयशुदा स्थलों पर जरूर सफाई की। लेकिन शहर से लेकर देहात तक ज्यादातर इलाकों में गंदगी व्याप्त रही। यह हालात सच में बदलने की जरूरत है।

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