नारनौल : एक किलोमीटर से भी कम दूरी में नगर परिषद ने बना दिए दस स्पीड ब्रेकर, आने-जाने वाले परेशान

नारनौल। बीरबल की नगरी नाम से मशहूर नारनौल शहर को अब स्पीड ब्रेकरों वाले शहर के नाम से जाना जाए तो कोई अतिश्योक्ति नहीं होगी, क्योंकि शहर की शायद ही ऐसी कोई गली या मोहल्ला होगा, जहां स्पीड ब्रेकर न बनाए गए हों। कमाल की बात यह है कि शहर की अंदुरूनी सड़कें एवं नालियों भले ही टूटी हुई हैं, लेकिन उनकी मरम्मत करने की बजाए नगर परिषद ने नगर पार्षदों व खास लोगों की सिफारिश पर जगह-जगह स्पीड ब्रेकर बना दिए हैं। इन स्पीड ब्रेकरों पर कोई रंग-रोगन भी नहीं किया गया है, जिस कारण थोड़ा सा अंधेरा होने पर ही यह स्पीड ब्रेकर दिखाई नहीं देते हैं और लोग इन पर गिरकर चोटिल हो रहे हैं।
पिछले तीन-चार सालों में छलक नाला निर्माण को लेकर चर्चाओं में रही नगर परिषद आजकल स्पीड ब्रेकर निर्माण के लिए लोगों की जुबां पर है। नगर परिषद के अधीन यूं तो 31 वार्ड आते हैं, लेकिन एक वार्ड में दो-तीन स्पीड ब्रेकर बनाने की बजाए इससे ज्यादा संख्या में नए स्पीड ब्रेकर बना दिए हैं। नए स्पीड ब्रेकर सीसी यानि सीमेंट-कंकरीट के बनाए जा रहे हैं। यह स्पीड ब्रेकर ऊंचे बनाए जा रहे हैं और जब कोई दुपहिया वाहन या बड़ी वाहन इन पर से गुजरता है तो वाहन की स्पीड तो टूट ही जाती है, वाहन को नुकसान होने का खतरा भी मंडराया रहता है। खास बात यह है कि इन स्पीड ब्रेकरों से वाहन चालक कतई खुश नहीं हैं, क्योंकि एक गली में ही दो-तीन नहीं, बल्कि ज्यादा स्पीड ब्रेकर बना दिए गए हैं। कमाल की बात है कि पिछले साल ही शहर में सीसी सीमेंट-कंकरीट के स्पीड ब्रेकर बनाने की बजाए प्लास्टिक से बने स्पीड ब्रेकर सड़कों में लगाए गए थे, जो अधिकांश जगहों पर अब भी बरकरार हैं। हालांकि यह प्लास्टिक वाले स्पीड ब्रेकर इन सीमेंट-कंकरीट वाले स्पीड ब्रेकरों की तुलना में काफी लंबे-चौड़े एवं ऊंचे होने बजाए बेहद सीमित थे और वाहन चालक वाहन की स्पीड कम करके इन पर से आसानी से गुजर जाते थे, लेकिन अब जो स्पीड ब्रेकर बनाए जा रहे हैं, वह इन प्लास्टिक के स्पीड ब्रेकरों की तुलना में काफी मोटे एवं ऊंचे बनाए जा रहे हैं। शहर में 95-100 स्पीड ब्रेकरों पर करीब 3.5 लाख रुपये खर्च किए जा रहे हैं।
स्पीड ब्रेकर बनाने में नगर परिषद ने इंदिरा कॉलोनी में इंतहां कर दी है। यहां पर सीआईए थाना के सामने से स्पीड ब्रेकर की शुरूआत हो जाती है तथा इंदिरा कॉलोनी तक पूरे दस स्पीड ब्रेकर मात्र थोड़ी-थोड़ी दूरी में ही बना दिए गए हैं। जबकि यह दूरी एक किलोमीटर भी पूरी नहीं है, लेकिन छोटे से टुकड़े में ही दस स्पीड ब्रेकर बना दिए गए हैं। जिनको लेकर वाहन चालक न केवल दुखी एवं परेशान हैं, बल्कि बार-बार स्पीड ब्रेकर आने से गिरकर चोटिल भी हो रहे हैं।
एंबुलेंस के लिए भी हैं बाधा
नारनौल अस्पताल से अक्सर एंबुलेंस नांगल चौधरी क्षेत्र के गांवों में आती-जाती रहती है। कभी जच्चा-बच्चा तो कभी बीमार एवं अन्य कारणों से एंबुलेंस चलती रहती है, लेकिन सीआईए से इंदिरा कॉलोनी तक बनाए गए स्पीड ब्रेकर एंबुलेंस का भी रास्ता रोक रहे हैं और लोगों को अस्पताल पहुंचने में देरी हो रही है।
सड़कों एवं नालियों की स्थिति अब भी खराब
कमाल की बात है कि नगर परिषद के अधीन शहरी क्षेत्र में बनी सड़कों एवं नालियों की स्थिति अब भी कई जगहों पर बेहद खराब है। शहर में करीब डेढ़ साल से लाइटें नहीं लगी हैं और लोग अंधेरे में ठोकरें खा रहे हैं, लेकिन सरकार का पैसा सड़कों एवं नालियों की दशा सुधारने की जाए स्पीड ब्रेकरों पर खर्च किया जा रहा है। नगर परिषद के अधिकारियों की दिशा एवं दशा पर लोगों को तरस आता है।यह कहते हैं नगर पार्षद:
नगर पार्षद देवेंद्र ने बताया कि सीआईए रोड वार्ड नंबर 14 व 15 में आता है। इस मार्ग पर एक्सीडेंट ज्यादा हो रहे थे। एक व्यक्ति धौबी जोहड़ के पास हुई आमने-सामने की टक्कर से कौमा में है, जबकि एक अन्य की मौत हो चुकी है। लोगों की शिकायत और हमारी भी डिवाइडर बनवाने की मांग थी। अंडरपास एवं जल महल की तरफ से फुल स्पीड में वाहन आते थे और एक्सीडेंट करते थे। ज्यादा डिवाइडर दो पार्षद होने एवं लोगों की शिकायत पर बनाए गए हैं।
यह कहते हैं नप अधिकारी
नगर परिषद के कनिष्ठ अभियंता पवन कुमार यादव ने बताया कि शहर में करीब 95-100 स्पीड ब्रेकर बनाए गए हैं। इनके निर्माण पर करीब साढ़े तीन लाख रुपये की लागत आई है। एक-एक पार्षद के तीन-तीन डिवाइडर हिस्से आए हैं। यह स्पीड ब्रेकर नगर पार्षदों व लोगों की शिकायत पर हादसों वाली जगहों पर बनाए गए हैं।
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