नारनौल की अदालत ने नाबालिग से सेक्सुअल असॉल्ट मामले में आरोपित को सुनाई 5 साल की सजा

नारनौल की अदालत ने नाबालिग से सेक्सुअल असॉल्ट मामले में आरोपित को सुनाई 5 साल की सजा
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कोर्ट ने आरोपित सतीश को दोषी करार देते हुए धारा 323 आईपीसी के तहत एक वर्ष, धारा 452 आईपीसी के तहत पांच वर्ष, धारा 506 आईपीसी के तहत पांच वर्ष व धारा 8 पॉक्सो एक्ट के तहत पांच वर्ष कठोर कारावास की सजा सुनाई है।

हरिभूमि न्यूज. नारनौल : जिला न्यायालय ने घर में घुसकर नाबालिग से सेक्सुअल असॉल्ट करने के मामले में आरोपित को पांच साल कठोर कारावास की सजा व 31 हजार रुपये का जुर्माना लगाया है। वहीं, जुर्माना न भरने पर आरोपित को 10 माह अतिरिक्त कारावास की सजा के आदेश अदालत ने दिए हैं।

पुलिस प्रवक्ता सुमित कुमार ने बताया कि एसपी विक्रांत भूषण ने जिले के सभी थाना प्रबंधक, चौकी इंचार्ज व अनुसंधानकर्ताओं को विशेष निर्देश दिए हुए हैं कि महिला विरूद्ध अपराध व पॉक्सो एक्ट के तहत शिकायत का बिना किसी विलंब के अभियोग अंकित करें, साथ ही महत्वपूर्ण साक्ष्य व तकनीकी साक्ष्यों के आधार पर प्रभावी पुलिस कार्रवाई करते न्यायालय में आरोपितों को दंड व पीड़ित को न्याय दिलाने का कार्य करें।

इन्हीं निर्देशों की पालना के परिणामस्वरूप पुलिस की ओर से की गई पैरवी पर घर में घुसकर नाबालिग के साथ सेक्सुअल असॉल्ट करने के मामले में शुक्रवार को अमनदीप दीवान स्पेशल कोर्ट/अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश फास्ट ट्रैक कोर्ट पॉक्सो की कोर्ट ने आरोपित सतीश को दोषी करार देते हुए धारा 323 आईपीसी के तहत एक वर्ष, धारा 452 आईपीसी के तहत पांच वर्ष, धारा 506 आईपीसी के तहत पांच वर्ष व धारा 8 पॉक्सो एक्ट के तहत पांच वर्ष कठोर कारावास की सजा सुनाई है तथा 31 हजार रुपये का जुर्माना भी लगाया है। जुर्माना राशि नहीं भरने पर आरोपित को 10 माह की अतिरिक्त कारावास की सजा काटनी पड़ेगी।

मामले के अनुसार आठ अप्रैल 2019 को 15 वर्षीय नाबालिग पीड़िता के ब्यान पर थाना कनीना में मामला दर्ज किया गया था, जिसमें आरोपित ने आठ अप्रैल 2019 को घर में घुसकर नाबालिग पीड़िता के साथ सेक्सुअल असॉल्ट करने के आरोप थे। इस संबंध में थाना कनीना ने अविलंब अभियोग आईपीसी व पॉक्सो एक्ट की धाराओं के तहत दर्ज किया था। सुनवाई के दौरान न्यायालय ने मामले को बहुत ही संगीन माना व जांच इकाई की उत्कृष्ट पैरवी तथा प्रॉसीक्यूशन की ओर से पेश की गई मजबूत दलीलों से दोषी की सजा में कोई नरमी नहीं बरती। इसके बाद नाबालिग पीड़िता के मजिस्ट्रेट के समक्ष ब्यान करवाए गए। जांच इकाई ने महत्वपूर्ण साक्ष्यों का आंकलन कर अभियोग में प्रभावी कार्रवाई करते हुए आरोपित को गिरफ्तार कर न्यायालय में पेश किया। न्यायालय ने अभियोग में सुनवाई करते हुए आरोपित को कठोर सजा सुनाई है।

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