Narnaul : नागरिक अस्पताल में चिकित्सा सुविधाओं का टोटा, मरीज परेशान

Narnaul : नागरिक अस्पताल में चिकित्सा सुविधाओं का टोटा, मरीज परेशान
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  • नागरिक अस्पताल में करीब 42 चिकित्सकों के पद हैं स्वीकृत
  • अस्पताल में करीब 25 चिकित्सक विभिन्न पदों पर दे रहे सेवाएं, बाकी पद रिक्त

Narnaul : प्रदेश के स्वास्थ्य मंत्री अनिल विज सरकारी अस्पतालों में स्वास्थ्य सेवाओं की बढ़ोतरी के लाख बड़े-बड़े दावे करते हैं, लेकिन जिला स्तरीय नागरिक अस्पताल में सुविधाओं का अब भी टोटा बना हुआ है। एक तरफ जहां अस्पताल में विशेषज्ञ चिकित्सकों की कमी है, वहीं दवाइयों का भी टोटा बना हुआ है, जिसके चलते मरीजों को परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। नागरिक अस्पताल में बच्चों के वार्ड का विशेषज्ञ चिकित्सकों के अभाव में बुरा हाल है। कुछ ऐसे ही हालात गायिनी वार्ड का है। न्यूरो विशेषज्ञ तो अस्पताल को गठन से लेकर अब तक नसीब नहीं हुआ है।

बता दें कि नारनौल के सरकारी नागरिक अस्पताल में आमलोग बड़ी संख्या में अपना इलाज कराने के लिए आते हैं। साथ ही जिले की सीमाएं चारों ओर से घिरी होने के कारण यहां वहां के मरीज भी बड़ी तादाद में आते हैं। बच्चों की डिलीवरी के लिए तो नागरिक अस्पताल राजस्थान के सीमावर्ती ग्रामीणों में काफी मुफीद माना जाता है। यही वजह है कि इस अस्पताल का जच्चा-बच्चा वार्ड लगभग हमेशा ही भरा रहता है। यहां प्रतिदिन के डिलीवरी केसों की संख्या भी प्रदेश के अन्य सरकारी अस्पतालों की तुलना में काफी ज्यादा होती है। वहीं डॉक्टरों की कमी के कारण यहां आने वाला हर मरीज काफी परेशान दिखाई देता है। ऐसे में अनेक मरीजों को काफी दिनों तक चक्कर लगाने के बाद भी समुचित इलाज नहीं मिल पाता है। वहीं कई मरीज तो घंटों तक इंतजार करने के बाद बगैर ईलाज कराए ही अपने घर लौट जाते हैं या फिर प्राइवेट में जाने को मजबूर होते रहते हैं।

सरकारी नागरिक अस्पताल में आने वाली महिलाओं की भी अपनी ही समस्याएं हैं। महिलाओं का कहना है कि अपने बच्चों के इलाज के लिए वो सरकारी अस्पताल में आती तो हैं, लेकिन अनेक बार विशेषज्ञ डाक्टर नहीं होने के कारण उन्हें बैरंग लौटना पड़ता है। महिलाओं की समस्या ये भी है कि बच्चों के ईलाज के साथ-साथ घर की भी जिम्मेदारी उन पर है। इसलिए डॉक्टरों के इंतजार में पूरे दिन अस्पताल में रहना उनके लिए संभव नहीं हो पाता है। अस्पताल में डॉक्टरों की कमी के चलते मरीजों की परेशानियों को लेकर खुद चिकित्सा अधिकारी भी मानते हैं कि यहां पर अनेक स्पेशलिस्ट डॉक्टरों की अब भी कमी है। इतना ही नहीं, बल्कि 42 डॉक्टरों में से महज 20-25 डॉक्टर ही मौजूद हैं। ऐसे में पूरे जिले के साथ-साथ राजस्थान के मरीजों का भार यह अस्पताल किन हालातों में उठा रहा है, यह यक्ष प्रश्न हमेशा ही खड़ा रहता है।

डॉक्टरों की लिखी कई दवाइयां अस्पताल में नहीं मिलती

नागरिक अस्पताल में आने वाले मरीजों को डॉक्टर द्वारा जो दवाइयां लिखी जाती है। उनमें से अधिकतर दवाइयां अस्पताल के स्टोर में नहीं मिलती है, जिसके चलते उन्हें बाहर से महंगी दवाई लानी पड़ रही है। लोगों ने सरकार व प्रशासन से इस समस्या का शीघ्र हल करने व अस्पताल दवाइयां उपलब्ध करवाने की मांग की है, ताकि उन्हें कोई परेशानी न आए। जानकारी के अनुसार नागरिक अस्पताल में आने वाले मरीजों के लिए खांसी, शुगर और बीपी की दवाई और रेबीज के इंजेक्शन सहित अनेक दवाईयों की कमी कई बार बनी रहती है, जिसके चलते मरीजों को अस्पताल के बाहर से महंगी दवाई खरीदनी पड़ती हैं।

इन विशेषज्ञों की है कमी

नागरिक अस्पताल को पिछले दिनों यूं तो फिजिशियन डाॅक्टर मिल गया है और आईसीयू वार्ड चलने लगा है, लेकिन इसके बावजूद अनेक विशेषज्ञों की कमी है। उदाहरण के तौर पर नागरिक अस्पताल को न्यूरो डाॅक्टर तो कभी नसीब ही नहीं हुआ और जरा से सीरियर एक्सीडेंट केसों को ईलाज देने की बजाय सीधे रेफर ही कर दिया जाता है। अस्पताल में स्किन केयर यानि एलर्जी के डाॅक्टर की वर्षों से कमी है। बच्चों की केवल एक विशेषज्ञ महिला चिकित्सक हैं, जबकि चार होने चाहिए। ऐसे में प्लेन एमबीबीएस चिकित्सकों से एसएनसीयू, एनआरसी एवं जच्चा-बच्चा वार्ड संचालित किए जा रहे हैं। गंभीर कैंसर रोगियों के उपचार के लिए नागरिक अस्पताल में कोई चिकित्सक या सुविधा नहीं है। अल्ट्रासाउंड का केवल एक ही विशेषज्ञ होने के चलते मरीजों को डेट पर डेट दी जाती है। अस्पताल में तीन सालों से रखी ब्लड सप्रेटर मशीन का लाइसेंस नहीं मिल पाया है।

यह कहते हैं एमएस

नागरिक अस्पताल के चिकित्सा अधीक्षक डाॅ. कंवर सिंह चौहान ने बताया कि नागरिक अस्पताल में पहले की तुलना में चिकित्सा सेवाओं में वृद्धि हुई है। अब फिजिशियन डाॅक्टर भी आ गए हैं। गायिनी एवं एसएनसीयू वार्ड में भी विशेषज्ञ चिकित्सक लगाए गए हैं। अब जहां-जहां कमी है, उसकी निगरानी कर वहां के लिए भी स्टॉफ मांगा गया है। जैसे ही स्टॉफ मिलेगा, अस्पताल में उनकी नियुक्ति कर दी जाएगी।

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