Narnaul : शहर में व्याप्त गंदगी से एकबार फिर फिसड्डी हो सकती है नगर परिषद, अगस्त में होना है स्वच्छता सर्वेक्षण

Narnaul : शहर में व्याप्त गंदगी से एकबार फिर फिसड्डी हो सकती है नगर परिषद, अगस्त में होना है स्वच्छता सर्वेक्षण
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  • भारत स्वच्छता मिशन के तहत केंद्र की ओर से टीमें शहरों में आकर करेंगी स्वच्छता सर्वेक्षण
  • स्वच्छता सर्वेक्षण के बाद देशभर की तैयार की जाएगी रैंकिंग

Narnaul : स्वच्छता सर्वेक्षण-2023 का आयोजन शीघ्र शुरू होने वाला है। देशभर में होने वाले इस स्वच्छता सर्वेक्षण में जिला मुख्यालय नारनौल एकबार फिर फिसड्डी साबित हो सकता है। क्योंकि इस स्वच्छता सर्वेक्षण के प्रति नगर परिषद (City Council) का रवैया एकदम उदासीन बना हुआ है। साफ-सफाई एवं कूड़ा उठान का कार्य ठेका कंपनी को देने के बाद रामभरोसे जैसी स्थिति बनी हुई है। यही वजह है कि शहर के गली-मोहल्लों में कचरे के अंबार लगे हुए हैं और आम जनता सहित नगर पार्षदों द्वारा बार-बार आवाज उठाने के बावजूद उन्हें अनसुना किया जा रहा है।

बता दें कि इस बार होने वाला स्वच्छता सर्वेक्षण कुल 9500 अंकाें का होगा तथा इसमें सिटीजन फीडबैक लिए जाएंगे। जिसमें केंद्रीय टीमें बिना बताए शहर आएंगी और आमजन से सवाल-जवाब करेंगी। यह टीमें प्रतिदिन होने वाली सफाई, कूड़ा-कचरा उठान, टॉयलेट, पार्क, होटल, ढ़ाबों, स्कूलों, सड़कों, स्ट्रीट लाइटों, डिवाइडर, गंदी गलियों, गीला-सूखा कचरा डालने, मेडिकल बायोवेस्ट नष्ट करने, प्लास्टिक, डस्टबीन, डोर टू डोर कूड़ा कलेक्शन, शौचालयों के इस्तेमाल एवं साफ-सफाई, खुले में शौच करने, शौचालय सीवर लाइनों से जुड़े होने, सेफ्टिक टैंक होने पर उसकी सफाई के तौर-तरीकों आदि समेत जल निकासी के प्रबंध आदि विभिन्न बिंदुओं पर आमजन से फीडबैक लिया जाएगा, लेकिन जिला मुख्यालय पर यह तस्वीर एकदम उलटी नजर आती है। शहर में कचरे के नियमित उठान से लेकर जल निकासी तक की अच्छी व्यवस्था अब तक नहीं हो पाई है। रघुनाथपुरा में बनाए गए डंपिंग यार्ड में पिछले कई दशकों से कूड़ा-कचरा जमा है और वहां बेसहारा गोवंश मुंह मारता रहता है।

जानकारी के मुताबिक स्वच्छ भारत मिशन के तहत केंद्र सरकार द्वारा स्वच्छता सर्वेक्षण किया जाता है और इस बार भी केंद्रीय टीमें अगस्त माह में शहरों का दौरा कर सिटीजन फीडबैक लेंगी। नारनौल शहर में भी टीमें आएंगी, लेकिन स्वच्छता सर्वेक्षण को लेकर धरातल पर कोई तैयारी नजर नहीं आ रही है। शहर में जगह-जगह गंदगी के ढेर लगे हैं और समय पर कूडे़ का उठान नहीं हो पा रहा है। यही नहीं, शहर में बने सार्वजनिक शौचालयों की हालत भी खराब है। ऐसे में इस बार स्वच्छता सर्वेक्षण की रैंकिंग में नगर परिषद पहले भी ज्यादा पिछड़ सकती है। खुद शहर के नगर पार्षद भी शहर की सफाई, डोर टू डोर कूड़ा उठान व लिफ्टिंग के कार्य से खुश नहीं है।

शौचालयों की हालत खराब

नारनौल शहर में कुल 27 सार्वजनिक शौचालय हैं। इसमें से कई ऐसे हैं, जिनकी हालत बहुत खराब है। करीब पांच साल पहले रखे गए रेडीमेड शौचालयों के आवश्यक उपकरणों को उचित देखरेख के अभाव में असामाजिक तत्वों द्वारा तोड़फोड़ दिए गए हैं तो कई जगह पर पानी की व्यवस्था भी नहीं है। इनकी देखरेख खुद नगर परिषद करती है, लेकिन सफाई नहीं की जाती। कई शौचालयों पर तो आज भी ताले लटके हुए हैं। कईयों के गेट तक उखाड़े हुए हैं। इन्हें हर साल केवल तभी देखा जाता है, जब स्वच्छता सर्वेक्षण की टीम शहर में आती है।

इन सवालों के देने होंगे जवाब

स्वच्छता सर्वेक्षण टीम की तरफ से पूछे गए कुछ सवालों का जवाब भी देना होगा। टीम की तरफ से पूछे जाने वाले सवालों में क्या आपके घर से कूड़े-कचरे का उठान प्रतिदिन होता है। क्या आप सूखा और गीला कचरा अलग-अलग करके देते हैं। क्या आपके पड़ोस का एरिया हमेशा साफ रहता है। क्या आप गूगल पर आपके नजदीक का सार्वजनिक शौचालय सर्च कर सकते हैं, इन सभी सवालों के जवाब हां या ना में देने हैं।

ऐसे दें सकेंगे सिटीजन फीडबैक

शहरवासी स्वच्छता एप, क्यू आर कोड, वोट फॉर यूअर सिटी वेब पोर्टल, वोट फॉर यूअर सिटी एप, माई जीओवी वेबसाइट पर जाकर उक्त चार सवालों के जवाब दर्ज करवा सकेंगे, लेकिन इसके लिए नगर परिषद और पालिका प्रशासन को शहरवासियों को इसके लिए जागरूक करना होगा। उन्हें इसका उपयोग करना और फायदा बताना होगा, ताकि लोग इसके बारे में जाने और अपना फीडबैक दे सकें।

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