Narnaul Nagrik Hospital : सुबह 8 से 11 बजे तक ही होती मरीजों की जांच, दोपहर एक बजे दी जाती है रिपोर्ट, तब तक मरीज रहते परेशान

Narnaul News : नागरिक अस्पताल में मरीजों की जांच करवाने के लिए कमरा नंबर 23 में बेशक से लैब की स्थापना की गई है, लेकिन कमाल की बात यह है कि यह लैब आम मरीजों के लिए केवल तीन घंटे 8 से 11 बजे तक ही काम करती है। यदि 11 बजे के बाद यहां कोई मरीज जांच के लिए आता है तो उसे अगले रोज आने का फरमान सुनाया जाता है। जिस कारण मरीजों को सही समय पर जांच एवं उपचार का लाभ नहीं मिल पा रहा है तथा इससे मरीजों में अस्पताल प्रशासन के विरुद्ध रोष बना हुआ है।
जिला स्तरीय नागरिक अस्पताल वैसे तो चिकित्सकों की कमी से जूझता ही रहता है, लेकिन यहां पर मरीजों की खून व अन्य जांच के लिए रूम नंबर 23 में बनाई गई लैब भी मरीजों के लिए सिरदर्द से कम नहीं है। कमाल की बात यह है कि आम मरीजों के लिए यह लैब महज तीन घंटे ही काम करती है। वैसे तो इसके खुलने का समय प्रात: 8 बजे निर्धारित किया गया है, लेकिन इसकी साफ-सफाई एवं कंप्यूटर ऑन करने से अन्य आवश्यक कार्यों में ही 20-25 मिनट गुजर जाते हैं और लगभग आधे घंटे पश्चात सुचारु रूप से काम शुरू हो पाता है। इस लैब में महज 11 बजे तक ही मरीजों के टेस्ट के लिए सैंपल लिए जाते हैं और तीन घंटे उपरांत आम मरीजों के सैंपल लेना बंद कर दिया जाता है। इसके पश्चात मरीजों को दोपहर एक बजे तक अपनी जांच रिपोर्ट आने का इंतजार करना पड़ता है। इस लैब में रोजाना कलैक्ट किए जाने वाले सैंपलों की रिपोर्ट एकसाथ दोपहर एक बजे कोर्ट की भांति आवाज लगाकर मरीजों को दी जाती है। तब तक मरीज दो-चार घंटे ईधर-उधर बैठकर समय गुजारने को मजबूर होते रहते हैं। गौर करने वाली बात यह है कि जब मरीजों को एक बजे बाद रिपोर्ट मिलती है, तब तक जिस डाक्टर से परामर्श लिया, या तो वह सीट पर नहीं मिलता अथवा कई बार उसके यहां भीड़ के रूप में लंबी लाइन लगी रहती है और जांच कराने उपरांत भी मरीज का नंबर नहीं पड़ता, जिस कारण मरीज को दूसरे दिन भी अस्पताल आना पड़ता है। यदि बीच में कोई छुट्टी आ गई तो यह इंतजार और ज्यादा भी बढ़ जाता है। चिकित्सक बिना रिपोर्ट देखे मरीज को ठीक प्रकार से दवाई नहीं लिख पाते हैं।
महज 100-150 ही करते हैं टेस्ट
कमाल की बात यह है कि अस्पताल खुलने का समय प्रात: 8 बजे से दोपहर दो बजे तक का निर्धारित किया गया है, लेकिन यह लैब छह घंटे की बजाए महज तीन घंटे ही काम करती है। इस लैब में एक टेक्नीशियन, एक पैथोलोजिस्ट तथा एक कंप्यूटर ऑपरेटर की रेगुलर व्यवस्था की गई। इस रेगुलर स्टॉफ के अलावा भी यहां इंटरनशिप करने वाले मेडिकल के छात्र भी अपनी सेवाएं देते रहते हैं, जिनकी संख्या में भी पांच-छह स्टॉफ की होती है, लेकिन यह सभी केवल तीन घंटे ही नियमित रूप से काम करते हैं। शेष टाइम या तो यह खाली रहते हैं या फिर अमरजेंसी का कोई केस आ जाए तो उसकी जांच कर देते हैं। अन्यथा ड्यूटी टाइम में भी मोबाइल फोन देखने में इनका समय बीतता है। मूलत: प्रतिदिन औसतन 100-150 सैंपल ही यह कर्मचारी करते हैं, जबकि सरकारी अस्पताल आने वाले मरीजों की संख्या 800-1200 मरीज प्रतिदिन होती है।
मरीजों में नाराजगी
कमरा नंबर 23 के ईर्द-गिर्द बैठे मरीजों शांति देवी, उमा, रोहतास, देवीप्रसाद, सुमन, किरोस्ता आदि ने बताया कि वह सवेरे ही अस्पताल आ गए थे, लेकिन डाक्टर ने बीमारी देखने उपरांत टेस्ट लिख दिया। टेस्ट के लिए सैंपल दिए काफी समय हो चुका है, लेकिन अब रिपोर्ट आने के लिए एक बजे का इंतजार कर रहे हैं। सरोज, पुनीत, रमेश एवं महेश आदि ने बताया कि वह लैब रूम में टेस्ट कराने गए थे, लेकिन उन्हें 11 बजे बाद टेस्ट नहीं होने की बात कहकर वापस कर दिया। अब उन्हें कल सुबह फिर से टेस्ट करवाने के लिए अस्पताल आना पड़ेगा।
यह कहते हैं सिविल सर्जन
सिविल सर्जन डा. रमेश चंद्र आर्य ने बताया कि टेस्ट करने की व्यवस्था सभी अस्पतालों की अपनी इंटरनल व्यवस्था होती है। यदि पूरे दिन जांच की जाएगी तो मरीजों को रिपोर्ट मिलने का दो-तीन दिन का इंतजार करना पड़ेगा और वह चिकित्सक को समय पर नहीं दिखा पाएंगे। वैसे भी अस्पताल में होने वाले टेस्टों की रिपोर्ट अब चिकित्सकों के पास ई-उपचार पोर्टल पर खुद ही पहुंच जाती है। इसके लिए मरीज को कई मामलों में खुद रिपोर्ट लेकर आने की आवश्यकता नहीं होती। लैब 24 घंटे के बनाई गई है तथा उसमें चिकित्सक की सलाह पर एमरजेंसी के केस कभी भी आते रहते हैं। यदि प्रात:काल को 8 बजे टेस्ट के लिए सैंपल शुरू नहीं होते तो यह गलत है। सफाई का समय 7-8 बजे के बीच निर्धारित है। यदि सफाई आठ बजे बाद शुरू होती है तो इसकी जांच करवाई जाएगी।
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