Narnaul : विवादों का समाधान योजना में रूचि नहीं दिखा रहे अनाज मंडी के व्यापारी, सरकार दे रही छूट

- 2015 में अनाज मंडी की 85 दुकानों की लगी थी बोली, बोली उपरांत अधिकांश व्यापारियों ने जमा नहीं करवाया पैसा
- पैसा जमा नहीं करवाने वाले दुकानदारों के समाधान के लिए सरकार लेकर आई है विवादों का समाधान योजना
Narnaul : प्रदेश सरकार द्वारा हरियाणा राज्य कृषि विपणन बोर्ड के अंतर्गत चलाई गई विवादों का समाधान योजना का लाभ लेने में मंडी के व्यापारी रुचि नहीं दिखा रहे, जबकि इसकी अंतिम तिथि नजदीक आती जा रही है। इस योजना का लाभ उठाने के लिए विपणन बोर्ड ने 31 दिसंबर अंतिम तिथि निर्धारित की हुई है। विवादों का समाधान योजना के तहत मार्केट कमेटियों के अधीनस्थ संचालित सब्जी व अनाज मंडियों में प्लॉट धारक अपने प्लॉटों की बकाया किस्त जमा कराकर इस योजना का लाभ ले सकते हैं। योजना के तहत पैनल ब्याज पूरा माफ किया जा रहा है और ब्याज पर 40 प्रतिशत की छूट दी जा रही है।
उल्लेखनीय है कि नारनौल शहर में एक अनाज मंडी रेलवे रोड ब्वॉयज कॉलेज के समीप बनी हुई है, जबकि दूसरी नई अनाज, सब्जी एवं पशुचारा मंडी का निर्माण नांगल चौधरी रोड पर जल महल के समीप किया गया है। यह अनाज मंडी लगभग 65 एकड़ में बनी हुई है तथा इसमें अनाज तथा सब्जी एवं फल की दुकानें वर्ष 2015 में अलॉट की गई थी। तब अनाज मंडी की करीब 85 दुकानों की बोली लगाई थी। 20 बाई 50 गुणा साइज की एक दुकान की बोली लगाई गई थी और उस वक्त न्यूनतम रेट 42.90 लाख रुपये रखा गया था। उस वक्त नारनौल अनाज मंडी के व्यापारी इस बोली में शामिल हुए थे और लगभग सभी दुकानों की बोली लग गई थी, लेकिन बाद में इनके रेटों को लेकर मार्केट कमेटी एवं व्यापारियों के बीच विवाद खड़ा हो गया।
अनेक व्यापारियों ने बोली लगाने के बावजूद उसकी फुल एंड फाइनल फीस जमा नहीं करवाई थी और बाद में व्यापारी दुकानों का रेट ज्यादा होने की बात कहकर बोली की रकम जमा कराने से पीछे हट गए थे। मामला सरकार के मंत्रियों से लेकर सीएम दरबार तक पहुंचा, लेकिन समाधान नहीं हो पाया। इतना ही नहीं, रेट को लेकर व्यापारी हाईकोर्ट भी चले गए, लेकिन तब से लेकर अब तक इनका समाधान नहीं हुआ है रेटों को लेकर यह विवाद गहराता ही चला गया। फुल एंड फाइनल पेमेंट जमा नहीं कराने से व्यापारियों पर मार्केट कमेटी का ब्याज चढ़ता गया, जो अब एक दुकान की वेल्यू मय बयाज करीब 90-92 लाख रुपये हो गई है। हालांकि कुछ दुकानदार ऐसे भी रहे, जिन्होंने बोली की रकम मार्केट कमेटी में जमा करवा दी और अपने प्लाट का कब्जा लेते हुए वहां पर दुकान का निर्माण भी कर दिया, लेकिन अब भी ज्यादातर व्यापारियों ने यह पैसा जमा नहीं करवाया है। हालांकि बाद में विवादों का समाधान शुरू करने पर कुछ व्यापारी इस योजना में शामिल हो गए तथा दुकानों का पैसा जमा करवाकर अपना कब्जा ले लिया।
करीब 62 दुकानों का है अब भी विवाद
अनाज मंडी की उक्त 85 दुकानों में से अब भी लगभग 62 दुकानों का विवाद उलझा हुआ है। इन दुकानों की बोली का पैसा एवं ब्याज व्यापारी अदा नहीं कर रहे हैं तथा अब भी उक्त रेट को बहुत ज्यादा मानते हुए इसका विरोध कर रहे हैं। मामला कभी मंत्री तो कभी सीएम एवं अन्य उच्चाधिकारियों के पास जा चुका है और हाईकोर्ट में भी चला हुआ है, लेकिन अब तक फाइनल सेटलमेंट नहीं हो पाई है।
मार्केट कमेटी ने कर दिए नोटिस जारी
मार्केट कमेटी के उक्त अलॉटी आढ़तियों को गत 13 दिसंबर को नोटिस जारी किए थे कि वह इन दुकानों की बकाया रकम कमेटी में जमा करवाएं, लेकिन समाधान अब भी नहीं हुआ। उक्त नोटिस का व्यापारियों ने एक ज्ञापन के माध्यम से सामूहिक रूप से सचिव मार्केट कमेटी को जवाब दिया है। जवाब में लिखा है कि इसका केस माननीय पंजाब एवं हरियाणा कोर्ट चंडीगढ़ में विचाराधीन है और जब तक हाईकोर्ट का फैसला नहीं होता, तब तक मंडी के प्लाटों का कोई नोटिस जारी नहीं किए जाएं। साथ ही उन्होंने मांग भी की है कि प्रदेश सरकार के इन मंडी के प्लाटों की बकाया राशि पर जीरो प्रतिशत ब्याज या 2021 की हरियाणा मार्केटिंग बोर्ड द्वारा बनाई गई स्कीम के तहत हमारे एसोसिएशन के प्लाटधारकों को इस स्कीम में शामिल किया जाए, जिससे व्यापारी वर्ग को राहत मिल सके और जीवन यापन कर सकें। नोटिस का जवाब देने वालों में एसोसिएशन के प्रधान लाला बृजभूषण गर्ग, उपप्रधान राजीव छापड़ावाला, सहसचिव अनिल चौधरी, पूर्व सचिव रमेश कांटीवाला एवं महेश दौखेरा वाला आदि शामिल थे।
यह कहते हैं अधिकारी
मार्केट कमेटी सचिव विजय सिंह ने बताया कि इन दिनों विवादों का समाधान स्कीम चल रही है। यह स्कीम 31 दिसंबर तक लागू है। इस बाबत मंडी के व्यापारियों को अवगत करा दिया गया है, लेकिन वह इसमें रूचि नहीं दिखा रहे। यदि वह योजना लाभ लेना चाहें तो पैनल ब्याज पूरा माफ किया जा रहा है और ब्याज पर 40 प्रतिशत छूट दी जा रही है।
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