अपराधियों के लिए घर बराबर है हरियाणा की यह जेल, 18 महीने में मिल चुके 31 मोबाइल

अपराधियों के लिए घर बराबर है हरियाणा की यह जेल, 18 महीने में मिल चुके 31 मोबाइल
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अपराध करने के बाद सजा के तौर पर आरोपितों को जेल में रखा जाता है। उन्हें घर में मिलने वाली शानों-शौकत की वस्तुओं से दूर रखा जाता है ताकि जेल का अहसास हो और पुन: अपराध की तरफ कदम ना जाए।

हरिभूमि न्यूज : नारनौल

अपराध करने के बाद सजा के तौर पर आरोपितों को जेल में रखा जाता है। उन्हें घर में मिलने वाली शानों-शौकत की वस्तुओं से दूर रखा जाता है ताकि जेल का अहसास हो और पुन: अपराध की तरफ कदम ना जाए। ऐसे में अगर यह सुविधाएं अपराधियों को जेल में ही मुहैया हो तो उनके अंदर का डर खत्म होने लगता है। इसी तरह की सुविधाओं का अड्डा नसीबपुर जेल बनी है। मोबाइल मिलना यहां आम बात हो गई है। नशीला पदार्थ ( स्मैक, अफीम व सुल्फा ) भी किसी ना किसी बहाने से जेल के अंदर एंट्री कर रहा है। ऐसे में जेल प्रशासन पर सवाल उठना लाजमिय है।

2021 में 23, 2022 में अब तक 9 मोबाइल पकड़े

जानकारी के मुताबिक जिला जेल नसीबपुर में मोबाइल साधारण बंदी या कैदियों के पास कम, मोस्ट वांटेड अपराध की श्रेणी में शामिल बदमाश ज्यादा इस्तेमाल करते है। बीते साल गैंगस्टर गिरोह के कुछ साथी मोबाइल का इस्तेमाल करते पकड़े भी गए थे। आंकड़े बताते है कि साल 2021 में जनवरी से जून माह मोबाइल मिलने पर 13 एफआईआर सिटी थाना में दर्ज की गई। उस वक्त जनवरी माह में पांच मोबाइल मिले। मार्च में एक के बाद एक करके 13 मोबाइल मिले। अप्रैल माह में तीन, मई में एक और जून में भी एक मोबाइल जेल के अंदर बरामद किया गया। इसी तरह साल 2022 में जून तक की बात करें तो आठ एफआईआर दर्ज की जा चुकी है। इनमें जनवरी में एक, फरवरी में दो, मार्च व अप्रैल में एक-एक और मई व जून माह में दो-दो मोबाइल मिल चुके है। वहीं मई माह में 30 नशीले कैप्शूल भी बरामद किए गए थे। ऐसे में सवाल उठता है कि बिना जेल स्टाफ की मिलीभगत के बंदियों व कैदियों के पास मोबाइल व नशीले पदार्थ की खेम कैसे अंदर पहुंच सकती है। हालांकि अधिकांश बार जेल प्रशासन का यह तर्क होता है कि जेल भवन के चारों तीन ओर बस्ती बसी है। इस वजह से बाहर से यह सामान फैका जाता है।

समाधान : जैमर हो तो मोबाइल कॉल पर लग सकती है रोक

जेल में बैठकर बाहरी सम्पर्क स्थापित करने में मोबाइल का अहम रोल है। यहां से बाहर आपराधिक गतिविधियों को अंजाम दिया जा सकता है। अगर नसीबपुर जेल में जैमर हो तो जेल में बंद अपराधियों का बाहरी नेटवर्क तोड़ा जा सकता है। यह तभी ध्यान आता है जब या तो जेल में कोई अपराधिक घटना घट जाती है या फिर मोबाइल पकड़े जाते है। कुछ दिनों तक जैमर लगाने का शौर मचता है। फिर सरकार का ध्यान यहां से भटक जाता है।

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