हरियाणा के हर गांव में होगी प्राकृतिक खेती, प्रदेशभर में खोले जाएंगे प्रशिक्षण केन्द्र, अलग विभाग भी बनेगा

कुरुक्षेत्र : हरियाणा के कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री जेपी दलाल ने कहा है कि प्रदेश के हर गांव में किसानों को प्राकृतिक खेती से जोड़ने के लिए नया प्राकृतिक खेती विभाग बनाने की योजना पर कार्य शुरू कर दिया गया है। इस बार सरकार का प्रयास रहेगा कि बजट सत्र में प्राकृतिक खेती के लिए अलग से बजट भी तय किया जाए। इन तमाम पहलुओं पर चर्चा करने के लिए 8 मार्च को कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय के सभागार में प्राकृतिक खेती पर आधारित प्रदेश स्तरीय कृषि कार्यशाला का भी आयोजन किया जा रहा है। इस कार्यशाला में मुख्यमंत्री मनोहर लाल व गुजरात के राज्यपाल आचार्य देवव्रत भी शिरकत करेंगे। इस कार्यशाला के लिए करीब 1200 किसानों को आमंत्रित किया गया है।
कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री जेपी दलाल रविवार को कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय के सीनेट हॉल में कृषि एवं किसान कल्याण विभाग द्वारा आयोजित प्रेस वार्ता को सम्बोधित कर रहे थे। कृषि मंत्री ने कहा कि आज के आधुनिक युग में देश के साथ-साथ प्रदेश में जहर युक्त खेती की जा रही है। इससे जहां लोगों के स्वास्थ्य पर बुरा असर पड़ रहा है वहीं भूमि की सेहत खराब होने के साथ-साथ किसानों की आय भी कम हो रही है। इस गंभीर विषय को लेकर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और मुख्यमंत्री मनोहर लाल किसानों को प्राकृतिक खेती अपनाने के लिए जागरूक कर रहे हैं। इसकी शुरुआत 2 वर्ष पहले गुरुकुल कुरुक्षेत्र में राज्यपाल आचार्य देवव्रत की देखरेख में शुरू की गई थी।
कृषि मंत्री ने कहा कि सरकार हर ब्लॉक और हर गांव के किसानों को प्राकृतिक खेती से जोड़ने का प्रयास करेगी। सरकार किसानों के साथ मिलकर प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देगी ताकि लोगों को जहर युक्त उत्पादों से मुक्ति दिलाई जा सके। इसके लिए सरकार सबसे पहले लैब, उत्पादों की जांच करने की विधि, प्राकृतिक खेती करने वाले किसानों को सर्टिफाइड करने तथा अधिक से अधिक प्रशिक्षण केन्द्र खोलने पर ध्यान देगी। इसके बाद गुरुग्राम में ऑर्गेनिक मंडी स्थापित करेगी। इससे पहले प्रत्येक गांव में कुछ किसानों को प्राकृतिक खेती के साथ जोड़ने का प्रयास करेगी।
उन्होंने कहा कि सरकार ने दक्षिण हरियाणा में खारे पानी वाली जमीन पर झींगा मछली पालन को बढ़ावा देने का काम किया है। इस क्षेत्र में झींगा मछली उत्पादन को 2500 करोड़ से बढ़ाकर आने वाले 3 साल में 5000 करोड़ तक पहुंचाने का लक्ष्य निर्धारित किया है। इसके अलावा बागवानी को बढ़ावा देने के लिए अधिक से अधिक सब्सिडी और पशुपालन को बढ़ावा देने के लिए अच्छी नस्ल के पशुओं को तैयार करने की तरफ कदम बढ़ाए हैं। उन्होंने कहा कि प्रदेश सरकार सरसों, बाजरा, मक्का सहित अन्य फसलों के एमएसपी को लगातार बढ़ा रही है और सरकार ने गन्नौर में करीब 8 हजार करोड़ की लागत से एशिया की सबसे बड़ी मंडी का निर्माण करने का कार्य किया है। इस प्रोजेक्ट में 2 हजार करोड़ प्रदेश सरकार की तरफ से खर्च किया जाएगा।
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