अभी कोरोना के प्रति लापरवाही उचित नहीं

Haribhoomi Editorial : कोरोना को लेकर पिछले दो दिनों में दो बुरे समाचार सामने आए। पहला यह कि प. बंगाल के 24 परगना जिले के सोनारपुर के महामारी का संक्रमण लगातार बढ़ रहा है। यहां तीन दिनों का लॉकडाउन लगा दिया गया है। कोलकाता में भी कोरोना मरीजों की संख्या में 25 फीसदी का इजाफा हो गया है। यहां 19 कंटेनमेंट जोन घोषित कर दिए गए हैं। अगले ही दिन बृहस्पतिवार को खबर आई कि कर्नाटक के कोडागु जिले के नवोदय स्कूल में कोरोना विस्फोट हो गया है। यहां एक साथ 32 बच्चे संक्रमित हो गए हैं। यह दो खबरें बताने के लिए काफी हैं कि कोरोना अभी गया नहीं है। वायरस हमारे आस पास ही मौजूद है। यह सही है कि देश में कोरोना की दूसरी लहर मंद पड़ चुकी है, इसलिए राज्य सरकारों ने पाबंदियां लगभग खत्म कर दी हैं। लॉकडाउन केवल नाम भर का रह गया है। अधिकतम रियायतें दी जा रही हैं। त्यौहारों के मौसम में लोग भी बाजार, सार्वजनिक जगहों पर उमड़ रहे हैं। अगले स्पताह दिवाली है, उससे पहले धनतेरस और बाद में भैयादूज है। ऐसे में भीड़ में जाने से पहले हमें समझना होगा कि कोरोना अभी मौजूद है। कोविड-19 वायरस पहले से खतरनाक म्यूटेंट में है। यह सही है कि भारत में कोरोना कमजोर हुआ है, लेकिन दुनिया के कई देशों में संक्रमण कहर बरपा रहा है।
बीते सप्ताह से चीन में कोरोना वायरस के डेल्टा वैरिएंट की वजह से संक्रमण बढ़ रहा है। इनर मंगोलिया की एजिन काउंटी के लोगों को घर में रहने के लिए कहा गया है। एजिन की आबादी 35,700 है। इन्हें कोविड पाबंदियों का सख्ती से पालन करने का निर्देश दिया गया है। एजिन कोरोना के हॉटस्पॉट में से एक है। यहीं से संक्रमण चीन के 11 राज्यों में फैल गया है। यूरोप में भी कोरोना संक्रमण ने चिंता बढ़ा दी है। यूरोप के 47 देशों में से 39 में कोरोना की रफ्तार बढ़ने लगी है। यहां कोरोना के साप्ताहिक मरीज 23 फीसदी और मौतें 14 फीसदी की तेजी से बढ़ रही हैं। चिंता की बात यह कि कोरोना की पूर्व की लहरों से त्रस्त हो चुके जर्मनी, इटली और स्पेन में भी नए केस बढ़ रहे हैं। डब्ल्यूएचओ के अनुसार, ब्रिटेन में कोरोना के नए मामलों में 16 फीसदी जबकि रूस में 17 फीसदी की साप्ताहिक तेजी दर्ज की गई है। डब्ल्यूएचओ ने यूरोप को लेकर चेतावनी दी है कि सर्दी में तेजी के बाद यहां नए मामलों में इजाफा होने की आशंका है। हालांकि एशिया में साप्ताहिक केस 8 फीसदी और मौतें 4 फीसदी तक कम हुई हैं, लेकिन इसे देखते हुए कोरोना के प्रति लापरवाह होना खतरे से खाली नहीं है। त्यौहारी मौसम के चलते बाजारों में उमड़ी भीड़ कोरोना के प्रति बेपरवाह नजर आ रही है। न तो किसी के मुंह पर मास्क नजर आता है और न दो गज की दूरी। यहां तक कि सैनिजाइजर की तो बिक्री ही न के बराबर हो गई है। यह कोरोना के प्रति हमारी गंभीरता को दर्शाता है।
यह सही है कि हमने विकट हालात में न सिर्फ स्वदेशी वैक्सीन तैयार की, बल्कि दुनिया का सबसे बड़ा टीकाकरण अभियान चलाकर 100 करोड़ टीके लगाने के कीर्तिमान को भी हासिल कर लिया। साथ में यह भी सत्य है कि अभी तक देश की केवल 27 फीसदी आबादी को ही कोरोना के दोनों टीके लग पाए हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी समय-समय पर देशवासियों को आगाह कर रहे हैं कि खतरा अभी टला नहीं है, क्योंकि यह वायरस अभी मौजूद है और इसके स्वरूप बदलने की संभावना बनी हुई है। इस बीच कुछ स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने अलर्ट जारी किया है कि कोरोना के प्रति लापरवाही गंभीर रूप धारण कर सकती है, इसलिए सचेत रहना जरूरी है। इस सबके बीच एक अच्छी खबर भी है कि दिल्ली में किए गए छठे सीरो सर्वे के दौरान देश की राजधानी के 97 फीसदी लोगों में कोरोना के खिलाफ एंटीबॉडी पाई गई है। बीते दिनों हरियाणा में भी किए गए सर्वे के दौरान ऐसी ही रिपोर्ट सामने आई थी, लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि हम कोरोना के प्रति लापरवाह हो जाएं। त्यौहारों का समय में अगर जरूरी हो तभी बाजार जाएं। हमेशा मास्क का प्रयोग करें, बार-बार हाथ धोते रहें। उचित दूरी बनाकर रखना सबसे बड़ी सुरक्षा है। सुरक्षा हटी, दुर्घटना घटी।
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