Farmers protest : ना तो नियमित रूप से सफाई हो रही और ना ही समय पर उठाया जा रहा कूड़ा, किसान परेशान

Farmers protest  : ना तो नियमित रूप से सफाई हो रही और ना ही समय पर  उठाया जा रहा कूड़ा, किसान परेशान
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बहादुरगढ़ के बाईपास से लेकर टीकरी बॉर्डर तक गंदगी के कारण बीमारियों का प्रकोप बढ़ रहा है। वर्तमान में शहर और आंदोलन क्षेत्र में सबसे बड़ी समस्या गंदगी की है। यहां सड़कों पर कूड़ा उठाने के लिए कोई नहीं पहुंचता, जिसके चलते किसानों व आसपास रहने वालों को दिक्कत झेलनी पड़ती है।

हरिभूमि न्यूज. बहादुरगढ़

किसान आंदोलन के बीच गंदगी सबसे बड़ी समस्या बनकर उभरी है। सड़कों की सफाई न होना और कूड़ा कलेक्शन न होने की शिकायतें किसानों के बीच आम हैं। असलियत में ना तो सफाईकर्मियों की मॉनिटिरिंग का सिस्टम दिख रहा है और न ही कूड़ा उठान करने वाली कंपनी की मनमानी पर कोई नियंत्रण नजर आ रहा। इस ओर ध्यान दिया जाना चाहिए वरना लोगों का भरोसा नगर प्रशासन से उठ जाएगा।


बता दें कि शहर के बाईपास से लेकर टीकरी बॉर्डर तक गंदगी के कारण बीमारियों का प्रकोप बढ़ रहा है। वर्तमान में शहर और आंदोलन क्षेत्र में सबसे बड़ी समस्या गंदगी की है। यहां सड़कों पर कूड़ा उठाने के लिए कोई नहीं पहुंचता, जिसके चलते किसानों व आसपास रहने वालों को दिक्कत झेलनी पड़ती है। इस समस्या का पहल के आधार पर समाधान होना चाहिए। ताकि क्षेत्र में फैली गंदगी से लोगों को राहत मिले। यहां नाले-नालियों की नियमित रूप से सफाई नहीं होती है।

प्रशासन के दावे के अनुसार इस काम के लिए डेढ़ सौ सफाई कर्मचारी मौजूद हैं, मगर असलियत सड़क पर साफ नजर आ रही है। सफाई के अभाव में सड़कों पर कीचड़ की स्थिति उत्पन्न हो जाती है। ऐसे में कई बार निकलना भी मुश्किल हो जाता है। दरअसल, सरकार द्वारा महात्मा गांधी के सपने को ही आगे बढ़ाते हुए स्वच्छ भारत अभियान की शुरुआत की गई थी। लेकिन इससे शहर की सफाई पर तो सकारात्मक असर नहीं पड़ा, जबकि नगर परिषद का खजाना पूरी तरह से साफ हो रहा है।

अधिकारियों के अधिकांश दावों की हकीकत धरातल पर भिन्न है। बड़े पैमाने पर किसानों द्वारा खुले में शौच किया जाता है। शौचालयों के नाम पर केवल पॉलीथिन की आड़ बनाकर काम चलाया जा रहा है। यहां केवल शौच ही नहीं, बल्कि गंदगी का भी सैलाब है। ऐसी परिस्थितियों में हम कैसे महामारियों से बचने की कल्पना कर सकते हैं। मजबूरन किसान स्वयं सफाई में जुटे रहते हैं। यदि समय पर हम नहीं संभले तो स्थिति नियंत्रण के बाहर होगी। इसीलिए, कागजी दावों से ऊपर उठकर धरातल पर गंदगी से निपटना होगा। तभी हर कोई स्वस्थ रहेगा।

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